मुकेश अंबानी ने जेफ़ बेजोस से खुदरा बाजार छीन लिया!

भारतीय अरबपति ने अंततः इस विवाद को सुलझा लिया कि संकटग्रस्त फ्यूचर रिटेल लिमिटेड की संपत्ति का मालिक कौन होगा!

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फ्यूचर रिटेल टाइकून रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड से स्टोर स्पेस को सबलीज कर रहा है लेकिन Amazon.com, रिलायंस-फ्यूचर के 3.4 बिलियन डॉलर की खरीद में अभी भी अडंगा लगा रहा है लेकिन रिलायंस ने सहनशीलता के साथ इस सौदे को जारी रखा और अब धीरे धीरे फ्यूचर ग्रुप को अपने नियंत्रण में ले रहा है। अब तीन साल पुरानी देश की सबसे बड़ी कॉरपोरेट लड़ाई का नाटकीय खंडन होने को है और अंबानी ने बेज़ोस को बुरी तरह पराजित कर दिया है। अमेज़ॅन ने फ्यूचर ग्रुप में $192 मिलियन का निवेश कर दिया है ताकि वह भारतीय खुदरा बाजार पर कब्जा कर सके।

2019 के इस निवेश की पहले शर्त यह थी कि फ्यूचर की संपत्ति यानी की देश भर में लगभग 1,500 स्टोर अंबानी को नहीं बेची जाएगी, जो भारत के सबसे बड़े खुदरा साम्राज्य के मालिक हैं। जब बियानी ने ठीक वैसा नहीं किया तब अमेज़ॅन ने अनुबंध के उल्लंघन के लिए फ्यूचर के खिलाफ कार्यवाही शुरू की और रिलायंस का सौदा अधर में लटका दिया था।

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फ्यूचर द्वारा रिलायंस को भेजे गए संदेशों में भी हताशा साफ झलक रही है। फ्यूचर के 2 मार्च के एक संदेश में कहा गया है, “कृपया पुष्टि करें कि देय प्रतिफल में कोई कमी नहीं होगी। हमारे हितधारकों के लिए अंतिम विचार पर दृश्यता होना महत्वपूर्ण है।” अंबानी द्वारा इसका बेलआउट हमेशा स्पष्ट रूप से राष्ट्र हित में एक व्यावसायिक सौदा था। फ्यूचर का काम लेनदारों सहित अपने हितधारकों की देखभाल करना था। पर, रिलायंस ने अब ना सिर्फ अमेजन को पराजित कर दिया है पर फ्यूचर को भी इस संकट से निकलने के सबसे करीब है।

अब अमेज़न कहाँ है?

अमेजन रिलायंस से ये जंग हार चुका है और अब Amazon.com इंक और भारत के फ्यूचर रिटेल के बीच विवाद निपटान वार्ता अमेरिकी समूह की भारतीय फर्म में निवेश किए गए कम से कम $ 200 मिलियन की वापसी की मांग की है। अमेजन के लिए यह इस लड़ाई में पीछे हटने जैसा है।

अमेज़ॅन के प्रतिनिधियों ने फ्यूचर को सूचित किया कि विवाद समाप्त हो सकता है यदि अमेरिकी कंपनी 2019 में फ्यूचर यूनिट में निवेश किए गए कम से कम $ 200 मिलियन वापस प्राप्त कर सकती है।

फ्यूचर ने इसके बजाय अपनी शेष समूह कंपनियों में से एक में एक समान राशि की हिस्सेदारी की पेशकश की हैं पर रिलायंस ने फ्यूचर की अधिकांश खुदरा संपत्तियां अपने कब्जे में ले लीं, यह कहते हुए कि यह आर्थिक रूप से संकटग्रस्त थी लेकिन अमेज़न ने इसे स्वीकार नहीं किया है।

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भारत के सबसे बड़े रिटेलर रिलायंस द्वारा 25 फरवरी को फ्यूचर रिटेल आउटलेट्स का अधिग्रहण शुरू करने के बाद समझौता वार्ता तब शुरू हो गया था, जब उसके कर्मचारियों ने अचानक फ्यूचर के कई सबसे बड़े स्टोर्स पर नियंत्रण ग्रहण करके दिखाया।

इससे पहले मंगलवार को, अमेज़ॅन ने “सार्वजनिक नोटिस” शीर्षक वाले प्रमुख भारतीय समाचार पत्रों में बड़े विज्ञापन चलाए और आरोप लगाया कि रिलायंस और फ्यूचर द्वारा की गई कार्रवाई “गुप्त थी। फ्यूचर, जिस पर कुल मिलाकर 4 अरब डॉलर का कर्ज है ने कहा है कि अगर रिलायंस को खुदरा संपत्ति बेचने का उसका सौदा विफल हो जाता है तो वह दिवालिया हो जायेगा।

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रिलायंस ने जिस साहस और प्रतिबद्धता के साथ फ्यूचर ग्रुप को दिवालियापन के संकट से उभारा है, वह अतुलनीय है। इतना ही नहीं भारत के राष्ट्र हितों को प्राथमिकता देते हुए उसने भारत के खुदरा व्यापार का अमेजॉन जैसी बड़ी कंपनियों से रक्षण भी किया है। 200 मिलियन की मांग कर इस सौदे से पीछे हटने का प्रस्ताव देना अमेजॉन की कमजोरी जबकि रिलायंस की मजबूती को दर्शाता है। यह अमेजॉन के पक्ष में गिरावट का भी संकेतक है, अंततः बात अब अधिकार की लड़ाई से सिमट कर इस तथ्य पर आ चुकी है कि अगर प्रस्तावित क्षतिपूर्ति का भुगतान कर दिया जाता है तो अमेज़ॉन हार मान करके इस सौदे से पीछे हट जाएगा।

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