कांग्रेस अपने पुनरुद्धार के एक और प्रयास में विफल होने के लिए पूरी तरह तैयार है। देश की पुरानी पार्टी ने प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा था, जो सामने से अभियान का नेतृत्व कर रही थी लेकिन लगता है कि प्रियंका गांधी के पदभार संभालने से कांग्रेस को बिल्कुल भी फायदा नहीं होने वाला है, या यह कहा जा सकता है कि प्रियंका गांधी वाड्रा नई राहुल गांधी हैं, जो कांग्रेस को डुबोने का नेक कार्य कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और उसकी लड़ाई
कांग्रेस ने अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने की बहुत कोशिश की लेकिन निश्चित रूप से पिछले गठबंधन की हार के बाद कुछ भी नहीं हुआ। अंत में, चूंकि कोई विकल्प नहीं बचा था, कांग्रेस अपने दम पर लड़ाई में उतरी। प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने करहल जैसी कुछ सीटों को छोड़कर लगभग सभी 403 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। प्रारंभिक चरण में कांग्रेस को गंभीरता से नहीं लिया गया, क्योंकि पार्टी के पास राज्य में कोई कैडर और वोटबैंक नहीं था और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में बने रहने के लिए राजनीतिक दल को कैडर और वफादार मतदाता आधार, दोनों की आवश्यकता होती है।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के EXIT POLL में कांग्रेस इस बार भी कोई कमाल नहीं दिखा पाई है। एग्जिट पोल्स के हिसाब के कांग्रेस को 4-8 के बीच सीटें मिलती दिख रही हैं तो कई में 3 से 5 सीटें। इस बार के उत्तर प्रदेश चुनाव में जहां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पूरी ताकत झोंकते हुए महिला वोटर्स पर फोकस किया था, वहीं इस बार के EXIT POLL बता रहे हैं कि कांग्रेस यहां भी फेल साबित हो रही है।
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कांग्रेस का यह हाल पिछले 2017 के विधान सभा चुनाव से भी बहुत बुरी हालत साबित हो रही है
इस बार के चुनाव में जनता ने कांग्रेस के उन दावों-वादों पर भरोसा नहीं कर पाई जिसमे प्रियंका ने बड़े-बड़े वादों के ढेर लगा दिए थे । ‘प्रियंका गांधी ने पूरी ताकत से महिलाओं के सशक्तिकरण पर पूरा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा था जिसमें उन्होंने महिलाओं को उनके पैरों पर खड़ा होने, उनके लिए रोज़गार, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की बात को पुरज़ोर तरीक़े से उठाया। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, अच्छी कोशिशों के बावजूद आज भी जनता 2014 के पहले वाली कांग्रेस की नेगेटिव इमेज को ही अपने मन में बसाए बैठी है, यही वजह है कि कांग्रेस को जनता ने नकार दिया। भाजपा ने 2013 से पहले कांग्रेस की जो तुष्टिकरण वाली छवि बनाई थी, उसका भी कांग्रेस को लगातार नुकसान हो रहा है और उसको बदलने में कांग्रेस असफल साबित हो रही है।
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ये पहली बार थोड़े ना हो रहा है
प्रियंका गाँधी पहली बार किसी चुनाव का नेतृत्व नहीं कर रही हैं बल्कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भी प्रियंका गाँधी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की प्रभारी थी जिसमें उनके नेतृत्व में कांग्रेस की हालत पतली हो गई थी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं में प्रियंका गाँधी को लेकर उनके कौशल का ढींढोरा बहुत पीटा जाता है पर हालियां उत्तर प्रदेश रुझान ने प्रियंका गाँधी को राहुल गाँधी के समकक्ष खड़ा कर दिया है और प्रियंका गाँधी भी राहुल गाँधी की तरह हर बार हार का मुँह देखने की आदी हो गई है। गांधी परिवार जो कभी भारतीय राजनीति में पथ प्रदर्शक थे, आज वह अपनी जगह पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। राहुल गांधी को लॉन्च करने की अनगिनत असफल कोशिशें हुई हैं और अब उनकी ही बहन प्रियंका गांधी उनकी जगह ले रही हैं। हालांकि 10 मार्च के बाद उनकी लॉन्चिंग को जल्द ही उनके भाई की तरह असफल करार कर दिया जाएगा।
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