पिछले कई दिनों से एक ही नाम भारतीय क्रिकेट में गुंजायमान है– रवींद्र जडेजा, रवींद्र जडेजा, रवींद्र जडेजा। कई उन्हें इस समय का सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर मानते हैं, तो कई उन्हें टीम इंडिया का नया ‘मिस्टर भरोसेमंद’ मानते हैं। हाल ही में श्रीलंका के विरुद्ध मोहाली में हुए प्रथम टेस्ट में उन्होंने ताबड़तोड़ 175 रन ठोके और यदि पारी घोषित न की जाती तो अवश्य ही एक करिश्माई दोहरा शतक भी जड़ देते। इस बात से एक बार फिर सिद्ध होता है कि क्यों रवींद्र जडेजा जैसे ऑलराउंडर को हार्दिक पांड्या के ऊपर प्राथमिकता देनी चाहिए। परंतु ऐसा क्यों है? रवींद्र जडेजा टेस्ट क्रिकेट में रवींद्र जडेजा की कार्यकुशलता पर कम से कम कोई संदेह नहीं कर सकता, विशेषकर हाल ही में सम्पन्न हुए मोहाली टेस्ट के बाद, जहां भारत के प्रचंड विजय में उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके साथ ही उन्होंने एक अनोखा रिकॉर्ड भी बनाया। एक टेस्ट में 150 से अधिक रन और 5 विकेट लेने वाले वे तीसरे भारतीय टेस्ट क्रिकेटर बने। ऐसा कारनामा उनसे पूर्व 70 वर्ष पहले वीनू मांकड़ ने किया था।
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हार्दिक पांड्या से क्यों हो रही है तुलना
अब रवींद्र जडेजा की तुलना हार्दिक पांड्या से क्यों की जा रही है? रवींद्र जडेजा ने निरंतर अपनी प्रतिभा को तराशने पर ध्यान दिया है और अपने आप को और बेहतर बनाने पर ध्यान देना ही उनकी प्राथमिकता रही है। इसकी तुलना में हार्दिक पांड्या ने अपनी प्रतिभा को तराशने के बजाए केवल अपने व्यक्तित्व को संवारने पर ध्यान दिया, चाहे टीम की इज्जत जाए तेल लेने। उदाहरण के लिए फरवरी 2022 में हार्दिक पांड्या ने बहुप्रतिष्ठित रणजी ट्रॉफी में खेलने से मना कर दिया। अब कथित तौर पर वर्ष 2021 से पीठ की चोट से उबर रहे हार्दिक पांड्या भारतीय टीम के लिए अनुपलब्ध हैं। पर, वो आगामी इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) सीजन में गुजरात टाइटंस टीम की कप्तानी करेंगे।
हार्दिक पांड्या की मूल प्रकृति क्या है, इसके बारे में प्रकाश डालते हुए TFI पोस्ट के एक विश्लेषणात्मक पोस्ट में बताया गया है कि क्रिकेट एक ऐसा खेल बन गया है, जहां पैसा राजा बन गया है। आईपीएल मैचों पर ध्यान केंद्रित करना- जहां प्रत्येक खिलाड़ी का लक्ष्य पांच ओवर से अधिक प्रदर्शन नहीं करना होता है, जिससे स्टार खिलाड़ियों की टेस्ट और एकदिवसीय प्रारूप में मौका देने की क्षमता गंभीर रूप से बाधित होती है। अगर हार्दिक पांड्या की बात करें, तो उनका करियर अब लगभग खत्म हो गया है। लेकिन यह उस व्यक्ति को परेशान नहीं करता है, जो स्पष्ट रूप से अकेले आईपीएल में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए दृढ़ है। शायद यही वजह रही कि BCCI के मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा ने कहा था कि पांड्या के नाम पर तुरंत चयन के लिए विचार किया जाएगा, लेकिन तभी जब वह शत-प्रतिशत फिट होंगे।
जिसे बताया पार्ट टाइम क्रिकेटर वहीं बन गया रॉकस्टार
कहते हैं कि समय और लोगों को बदलने में देर नहीं लगती। वर्ष 2017 में जब भारत आश्चर्यजनक रूप से चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान से हार गया था, तो उसके दो प्रमुख कारण थे – भारतीय बल्लेबाज़ों का खराब प्रदर्शन, और अहम समय पर हार्दिक पांड्या को रवींद्र जडेजा का साथ न मिलना, जिसके कारण पांड्या एक जुझारू पारी खेलते हुए रन आउट हो गए। उस समय रवींद्र जडेजा पूरे देश की आंखों में विलेन बन चुके थे और उन्हें जबरदस्त आलोचना का सामना करना पड़ा था। लेकिन 2 वर्ष बाद ही ICC क्रिकेट विश्व कप में जब भारतीय टीम सेमीफाइनल में न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध पिछड़ रही थी, तो एक बार फिर हार्दिक पांड्या के कंधों पर भारत की नैया पार कराने की जिम्मेदारी आ गई। परंतु महोदय मात्र 32 रन के निजी स्कोर पर चलते बने।
उसके बाद रवींद्र जडेजा और महेंद्र सिंह धोनी की जोड़ी ने जो टीम को संभाला, उससे एक समय को ऐसा लगा कि भारत विजयी भी हो सकती है, और जब रवींद्र जडेजा आउट हुए, तो मानो पूरे देश को गहरा आघात जैसा प्रतीत हुआ। जडेजा की 77 रन की वो पारी आज भी भूले नहीं भुलाई जा सकती। लेकिन किसे पता था कि जिसे ‘Bitsand Pieces’ यानी पार्ट टाइम क्रिकेटर के नाम से जिसे कुछ कुंठित व्यक्तियों द्वारा चिढ़ाया जाएगा, वो आगे जाकर भारत के सबसे भरोसेमंद और सबसे उत्कृष्ट ऑलराउंडर्स में से एक बन जाएगा। आज रवींद्र जडेजा भारत के सबसे भरोसेमंद ऑलराउंडर की सूची में शीर्ष पर हैं, जो ऐसे-ऐसे पांच हार्दिक पांड्या पर भारी पड़ सकते हैं।
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