देवभूमि उत्तराखंड ने इस बार विधानसभा चुनावों के नतीजों में यह स्पष्ट कर दिया कि वो अवैध घुसपैठ और जमीन जिहाद, दोनों पर चोट करने के लिए तैयार है। जिस प्रकार राज्य के सीमा में घुसते ही पहाड़ नहीं दिखते, पहले मजारें और अवैध निर्माण दिन-प्रतिदिन अपनी संख्या बढ़ा पहाड़ की खूबसूरती धूमिल कर रहे हैं, उत्तराखंड की जनता ने उस दशा को बदलने के लिए भाजपा को वोट दिया है।
इस बार चुनावों में जहाँ भाजपा-कांग्रेस के अलावा यूकेडी और आम आदमी पार्टी अपनी जोर आजमाइश दिखाने की फिराक में थी, वहीँ भाजपा को एकतरफा मिल रहे जनाधार से यह सिद्ध हो गया कि यह नतीजे राज्य में बढ़ रही घुसपैठ और जिहाद को रोकने के लिए दिए गए हैं।
उत्तराखंड को देवभूमि कहा ही इसलिए जाता है क्योंकि यहाँ देवी-देवता वास करते हैं। उत्तराखंड के मूल में हिन्दू धर्म है, ऐसे में राज्य में बढ़ती मुस्लिम आबादी और उसमें भी वो जो अवैध रूप से भारत की सीमा में घुस आए हों, उनका राज्य में बढ़ता जनसंख्या घनत्व इस बात की ओर इशारा कर रहा था कि जैसे-जैसे इनकी जनसँख्या बढ़ेगी राज्य की भूमि पर हिन्दू देवस्थान कम और मदरसे अधिक दिखेंगे
ऐसे में अवैध घुसपैठ पर नियंत्रण लगाने के लिए उत्तराखंड की जनता ने भाजपा को जनमत देकर ये परिभाषित कर दिया कि देवभूमि को बचाने और उसकी मिट्टी की लाज बचाने के लिए वो हर कदम उठाएगी जिसकी आवश्यकता राज्य की जनता को लगेगी।
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दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा था उत्तराखंड में स्थित चार विश्व प्रसिद्ध धाम अर्थात् बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री के संचालन के लिए बनाए गए देवस्थानम बोर्ड एक्ट को भंग करना। इसके अंतर्गत एक बार फिर बद्री केदार मंदिर समिति पहले की तरह अपने अधिकारों के साथ सक्रिय हो जाएगी, जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री स्थानीय पुरोहितों की समितियों द्वारा संचालित किए जाएंगे।
सरकार इस बात को समझ गई थी कि धार्मिक अनुष्ठानों में सरकारी बाधा आना, उनके लिए बड़े खतरे के समान था। ऐसे में सरकार की ओर से यह प्रस्ताव पारित हुआ जिससे धार्मिक स्थानों की बागडोर पुनः भक्तों के हाथों में सौंप भाजपा ने सत्ता के शीर्ष पर पहुँचने के अपने फैसले को भुना लिया और अब फिरसे सरकार बनाने जा रही है। इसके आलावा सड़क निर्माण से लेकर मुलभुत सुविधाओं तक को पूरा करना भाजपा के लिए सोने पर सुहागा हो गया!
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