जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है कुछ ऐसा ही हाल ममता बनर्जी के मुंहबोले भतीजे अभिषेक बनर्जी का भी है। दरअसल पश्चिम बंगाल में कोयला घोटाले से जुड़े एक मामले में अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजीरा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दिल्ली कार्यालय में पेश होने का निर्देश दिया गया था। गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद ईडी ने अभिषेक बनर्जी से आठ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी।उनसे करीब छह घंटे तक पूछताछ की गई, लेकिन जांच एजेंसी उनके जवाबों से संतुष्ट नहीं थी।
ईडी के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी गयी थी
वहीं इस मामले में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजीरा ने कथित कोयला घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। दंपती रविवार को पूछताछ के लिए दिल्ली पहुंचे। दंपति ने दिल्ली उच्च न्यायालय से ईडी को निर्देश देने की मांग की थी कि उन्हें दिल्ली में पेश होने के लिए नहीं बुलाया जाना चाहिए क्योंकि वे पश्चिम बंगाल के निवासी हैं।
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अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी बुरी तरह से कोयला घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में फंसती जा रही हैं और इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी उन्हें ठेंगा दिखा रहा है। दरअसल, कोयला तस्करी केस में अभिषेक बनर्जी आज सोमवार को पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय के दिल्ली कार्यालय तो पहुंचे पर इस पूछताछ के समन के विरुद्ध उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी तो वहींर शीर्ष कोर्ट ने इसपर आज तुरंत सुनवाई से साफ मना कर दिया। जिसके बाद ही अभिषेक बनर्जी को ईडी कार्यालय जाना पड़ा।
इतना ही नहीं इससे पहले तो दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी 11 मार्च को दंपति की उस समन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी जिसमें उन्हें ईडी के समक्ष पेश होने को कहा गया था। दिल्ली जाने से पहले, बनर्जी ने रविवार को कहा, “हम भाजपा के सामने नहीं झुकेंगे जो प्रतिशोध के लिए ऐसा कर रहे हैं क्योंकि बंगाल में लोगों ने उन्हें खारिज कर दिया है। मैंने पिछले साल अगस्त में दिल्ली HC के समक्ष ED के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी थी। अदालत ने चार महीने तक याचिका पर सुनवाई की और फिर अपना फैसला तीन महीने के लिए सुरक्षित रखा। फिर भाजपा के राज्य चुनाव जीतने के एक दिन बाद, अदालत ने अचानक मेरी याचिका खारिज कर दी,यह संयोग नहीं हो सकता।
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रिपोर्ट्स के मुताबिक,ईडी ने टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी पर इस अवैध धंधे से प्राप्त धन के लाभार्थी होने का आरोप लगाया था। हालांकि, उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया है।वहीं नवंबर 2020 में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर ईडी द्वारा (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
क्या है कोयला घोटाला मामला?
जैसा कि टीएफआई द्वारा बड़े पैमाने पर रिपोर्ट किया गया था, ईडी ने सीबीआई द्वारा दर्ज नवंबर 2020 की प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया, जिसमें पश्चिम में आसनसोल और उसके आसपास बंगाल के कुनुस्तोरिया और कजोरा इलाके के ईस्टर्न कोलफील्ड्स खदानों से संबंधित करोड़ों रुपये के कोयला चोरी घोटाले का आरोप लगाया गया था।
स्थानीय कोयला संचालक अनूप मांझी उर्फ लाला को इस मामले में मुख्य संदिग्ध बताया जा रहा है। इस मामले में ईडी अब तक दो लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। उनमें से एक टीएमसी युवा विंग के नेता विनय मिश्रा के भाई विकास मिश्रा हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कुछ समय पहले देश छोड़ दिया और अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी। गौरतलब है कि ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, टीएमसी के युवा नेता विनय मिश्रा अभिषेक बनर्जी के बेहद करीब हैं। ईडी की जांच के अनुसार, बनर्जी पर कथित तौर पर 1900 करोड़ रुपये के कोयला घोटाले से काफी फायदा होने का आरोप है।
ममता बनर्जी की विरासत को सेंध
कई वर्षों से अभिषेक बनर्जी को ममता द्वारा टीएमसी के भविष्य के रूप में पेश किया जा रहा है। पार्टी कैडर के बीच लोकप्रिय नहीं होने के बावजूद, ममता अभिषेक को उनके खून से संबंधित होने के कारण प्रचारित करती हैं। बनर्जी के लिए रास्ता बनाने के लिए महुआ मोइत्रा, सुवेंदु अधिकारी (अब भाजपा में) जैसे विभिन्न नेताओं की अनदेखी की गई।
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हालांकि, ऐसा लगता है कि अभिषेक पतली बर्फ पर चल रहे हैं। टीएफआई की रिपोर्ट के अनुसार, अभिषेक के आग्रह पर ही ममता ने फरवरी में पार्टी के सभी पदों को भंग कर दिया और 20 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया जो सामूहिक रूप से पार्टी के काम की देखरेख करेगी। कथित तौर पर, अभिषेक पार्टी में ‘वन मैन, वन पोस्ट’ नीति को बढ़ावा देना चाहते थे। जबकि ममता शुरू में इस कदम के खिलाफ थीं, अभिषेक ने इस्तीफे की धमकी दी और अपना रास्ता बना लिया।
ईडी ने अभिषेक पर शिकंजा कसना जारी रखा तो क्या होगा?
अगर ईडी ने अभिषेक पर शिकंजा कसना जारी रखा, तो ममता और उनकी पार्टी को डायमंड हार्बर सांसद के साथ संबंध तोड़ने और आगे बढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। वर्तमान में टीएमसी और उसका अस्तित्व पूरी तरह से ममता की लोकप्रियता पर आधारित है। वह चुपचाप अभिषेक को बड़ा नेता स्थापित के रूप में दिखाने की कोशिश कर रही थी ताकि सत्ता परिवार में रहे। हालांकि, ईडी की जांच ने टीएमसी को बैकफुट पर ला दिया है और अगर ईडी के प्रश्नों का जवाब अभिषेक बनर्जी नहीं दे पाए यानी वो अपनी बेगुनाही साबित नहीं कर पाए तो उनको जेल की रोटी खानी पड़ेगी।