चित्रा रामकृष्ण: एक ऐसी मास्टरमाइंड जिसने NSE को ही चूना लगा दिया

'हिमालयन योगी' तो बहाना है!

चित्रा रामकृष्ण

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वह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के साथ प्रभावशाली रूप से जुडी हुई थी। वास्तव में, उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में चुना गया था जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को स्वच्छ और पारदर्शी बनाएगा। पर आज, वह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में कथित रूप से अवैध कृत्यों से जुड़े एक बड़े विवाद के केंद्र में है। यह कहानी है चित्रा रामकृष्ण की। दरअसल, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के पूर्व सीईओ की अग्रिम जमानत अर्जी को दिल्ली की एक अदालत ने खारिज कर दी। एक दिन बाद, CBI ने NSE के पूर्व शीर्ष कार्यकारी अधिकारी को 2018 में एक्सचेंज में किए गए हेरफेर के मामले में गिरफ्तार किया। इस मामले में यह दूसरी बड़ी गिरफ्तारी थी। इससे पहले जांच एजेंसी ने NSE समूह के पूर्व संचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम को गिरफ्तार किया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का एमडी और सीईओ बनना कोई छोटी उपलब्धि नहीं है और उससे भी विचित्र है इसमें हुई हेर-फेर की घटना। चित्रा रामकृष्ण की कहानी उत्थान और पतन की एक अजीबो-गरीब कहानी है। आइए, इसका अन्वेषण करते हैं।

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चित्रा रामकृष्ण का उदय

चित्रा रामकृष्ण का उदय 1990 के दशक में शुरू हुआ। वर्ष 1985 में IDBI के प्रोजेक्ट फाइनेंस डिवीजन में अपना करियर शुरू करने के बाद, रामकृष्ण तेजी से आगे बढ़ीं। रामकृष्ण और उनके पूर्ववर्ती रवि नारायण दोनों को IDBI के तत्कालीन अध्यक्ष एस एस नाडकर्णी ने चुना था। नाडकर्णी खुद भारत के नियामक क्षेत्र में एक प्रसिद्ध नाम हैं और उन्होंने SEBI के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है।

NSE में शामिल होने से पहले, रामकृष्ण ने कुछ समय SEBI के लिए काम किया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज वर्ष 1991 में स्थापित किया गया था और आर एच पाटिल, नारायण और रामकृष्ण इसकी कोर टीम में शामिल थे। चित्रा रामकृष्ण 90 के दशक की शुरुआत में स्क्रीन-आधारित अखिल भारतीय स्टॉक एक्सचेंज बनाने के लिए सरकार द्वारा चुनी गई पांच सदस्यीय टीम का भी हिस्सा थी, जो स्वच्छ और पारदर्शी व्यापार को सक्षम बनाने हेतु स्थापित किया गया था। उस समय, BSE हर्षद मेहता घोटाले की चपेट में था और इसलिए सरकार स्वच्छ व्यापार सुनिश्चित करने के लिए तत्पर थी। चार्टर्ड एकाउंटेंट, रामकृष्ण को 1 अप्रैल, 2013 से शुरू होने वाले पांच वर्षों की अवधि के लिए NSE का MD और CEO बनाया गया।

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भ्रष्टाचार के आरोप

चित्रा रामकृष्ण के लिए चीजें ठीक चल रही थी। NSE देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में बदल गया और उसका श्रेय उन सबको दिया गया, जिन्होंने इसके शानदार वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन दिसंबर 2016 में, चित्रा रामकृष्ण ने एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक और सीईओ के रूप में पद छोड़ दिया। यह माना गया की उनका बोर्ड के कुछ सदस्यों के साथ मतभेद था। हालांकि, भ्रष्टाचार के आरोपों का जल्द ही पर्दाफाश हो गया। अप्रैल 2019 में SEBI ने NSE को चित्रा रामकृष्ण और नारायण सहित कई व्यक्तियों से 12 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ 624.89 करोड़ रुपये की राशि निकालने के लिए कहा। NSE को इस राशि को इन्वेस्टर प्रोटेक्शन एंड एजुकेशन फंड (IPF) के को-लोकेशन मामले में अलग करने के लिए कहा गया था, जिसमें कुछ ब्रोकरों ने NSE सिस्टम तक अनाधिकृत पहुंच प्राप्त कर ली थी।

अगस्त 2020 में, SEBI ने NSE पर रामकृष्ण के पारिश्रमिक की शर्तों को बदलने और SEBI की अनुमति के बिना उसे छोड़ने पर एक 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। 11 फरवरी, 2022 को एनएसई, रामकृष्ण, नारायण, और अन्य को सेबी द्वारा फिर से दंडित किया गया था। इस बार प्रतिभूति अनुबंध नियमों का उल्लंघन करते हुए आनंद सुब्रमण्यम को समूह संचालन अधिकारी और एमडी के सलाहकार के रूप में नियुक्त करने के लिए ऐसा किया गया।

फेसलेस ‘सिद्ध पुरुष/योगी’ जो NSI चला रहे थे

सेबी के 11 फरवरी, 2022 के आदेश के साथ एक चौंकाने वाला विवरण सामने आया। बताया गया कि NSE के पूर्व MD और CEO चित्रा रामकृष्ण को 20 वर्षों तक एक फेसलेस “सिद्ध पुरुष/योगी”, एक परमहंस जो हिमालय पर्वतमाला में निवास करते हैं, उनके द्वारा निर्देशित किया गया था। बाजार नियामक ने कहा, “यह एक अज्ञात व्यक्ति है, जो NSE चला रहा था और रामकृष्ण उसके हाथ की कठपुतली मात्र थे।” चित्रा रामकृष्ण ने भी कथित तौर पर दावा किया है कि उन्होंने हिमालय में कहीं रहने वाले एक अज्ञात ‘सिद्ध पुरुष’ (योगी) से ईमेल के माध्यम से निर्देश लिया था।

यह सिद्ध पुरुष कौन है, ये अभी भी सवाल बना हुआ है। रामकृष्ण की अग्रिम जमानत याचिका को अस्वीकार करने वाले विशेष न्यायाधीश संजय अग्रवाल ने कहा, “इस स्तर पर यह प्रथम दृष्टया नहीं कहा जा सकता है कि वर्तमान आरोपी की भूमिका जांच के दायरे में नहीं थी। प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि आवेदक ने जांच एजेंसी को गुमराह करने के लिए एक अज्ञात व्यक्ति का परिचय दिया और उसकी मिलीभगत दिखाई है।” दूसरी ओर, एक अर्न्स्ट एंड यंग ऑडिट रिपोर्ट ने संकेत दिया कि सिद्ध पुरुष स्वयं आनंद सुब्रमण्यम हो सकते हैं। इसी बीच, अज्ञात व्यक्ति की पहचान के बारे में जांच एजेंसियां ​​अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई हैं। फेसलेस व्यक्ति की पहचान एक रहस्य बनी हुई है। हालांकि, चित्रा रामकृष्ण की कहानी घटनापूर्ण और रोचक होती जा रही है। वो भारत के शेयर बाजार में तेजी से बढ़ते हुए शीर्ष पर पहुंचने वाली प्रभावशाली चेहरा थी, लेकिन उनकी गिरावट उतनी ही तेज रही।

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