यासीन मलिक, कश्मीर का कुख्यात आतंकी और अलगाववादी नेता, जिसे आम भारतीय भारत का सबसे प्रमुख दुश्मन मानता है, वह कांग्रेस, वामपंथी उदारवादी मीडिया समूहों तथा लेफ्ट के कथित बुद्धिजीवियों के लिए सबसे प्रिय, आदर्श और सज्जन व्यक्ति है। इन दिनों द कश्मीर पाइल्स फिल्म के रिलीज होने के बाद कश्मीर के अलगाववाद और इस्लामिक आतंकवाद की चर्चा तेज हो गई है। इस फिल्म ने यह दिखाया कि कश्मीरी हिंदुओं के पलायन और नरसंहार के पीछे भारत में स्थित एक डीप स्टेट की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
यासीन मलिक से प्रभावित लगता है फिल्म का वो किरदार
विभिन्न एनजीओ बुद्धिजीवियों मीडिया संस्थाओं और राजनेताओं के एक गिरोह ने ना केवल कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार होने दिया बल्कि नरसंहार के बाद उस कहानी को अपने पूरे सामर्थ्य से दबाने का प्रयास किया और आवाज उठाने वाले लोगों को चुप कराया गया। इस फिल्म का प्रमुख पात्र जो कश्मीर के अलग-अलग अलगाववादियों को प्रदर्शित करते हुए बनाया गया, वह यासीन मलिक से प्रभावित लगता है।
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यासीन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का प्रमुख था। मलिक ने इंडियन एयर फोर्स के स्कवाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित कई कश्मीरी हिंदुओं की हत्या की थी। कश्मीर घाटी से हिंदुओं के पलायन के बाद जब भारतीय सेना ने अलगाववादी तत्वों पर कार्रवाई तेज की और दो से 3 वर्षों में सैकड़ों आतंकियों को मार गिराया तब यासीन मलिक ने गांधीवादी आंदोलन का चोंगा ओढ़ लिया। भारतीय फौज के हत्यारे मलिक को फौज की सुरक्षा में देश के मुखिया, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने आवास पर आमंत्रित कर दिया था। आप कल्पना करें कि इससे भारतीय फौज का मनोबल कितना गिरा होगा।
रवीश कुमार का एक इंटरव्यू इन दिनों वायरल है
मलिक का स्वागत सत्कार प्रधानमंत्री आवास पर तो हुआ ही कांग्रेस के नेता से लेकर वामपंथी मीडिया समूह तक सभी उसे आदर और सम्मान के साथ अपने बीच जगह देते रहे। रवीश कुमार का एक इंटरव्यू इन दिनों वायरल है जिसमें वह यासीन मलिक को, यासीन मलिक साहब कह कर बुला रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि मलिक का इंटरव्यू कब दिया गया था जब 2013 में उसने हाफिज सईद के साथ पाकिस्तान के कार्यक्रम में मंच साझा किया था। 2008 में मुंबई पर हुए विभत्स आतंकी हमले के बाद, जब हाफिज को भारत ने अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान लिया था, उसके बाद मलिक ने उसके साथ मंच साझा किया और रवीश ने तब भी मलिक को साहब कहा। तब भाजपा सहित RSS ने इसका कड़ा विरोध किया था, किन्तु रवीश इस इंटरव्यू में मलिक का विरोध करने वालों का ही मजाक उड़ाते दिखते हैं।
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इसी प्रकार 2019 में जब भारत सरकार ने यासीन मलिक के विरुद्ध कार्यवाही कर उसे जेल में बंद किया तथा उसके विरुद्ध 30 वर्ष बाद हत्या के मामले में ट्रायल शुरू करने का निर्णय किया था तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने कहा था कि भारत एक लोकतंत्र है और सरकार किसी नागरिक को डराकर नहीं कर सकती। चाको ने कहा कि हम मलिक के विचारों से सहमत हो या ना हो किंतु हमें उसकी हिम्मत की तारीफ करनी चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व लोकसभा सांसद, जो देश का कानून बनाने के लिए चुने जाते हैं, वह अलगाववादियों के मनोबल को देखकर तालियां बजा रहे हैं।
इंडिया टुडे ने तो 2008 के युथ आइकॉन कार्यक्रम में यासीन मलिक को मंच देकर, उसे अघोषित रूप से भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा बता दिया था। कश्मीरी हिंदुओं ने इसके विरुद्ध नई दिल्ली में प्रदर्शन भी किया था किंतु सरकार से लेकर इंडिया टुडे मीडिया ग्रुप तक किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली।
Yasin Malik was invited as a “Youth Icon” at India Today Conclave (2008). When I questioned Anand Mahindra, who presided the panel, for calling him “secular”“peaceful” he blocked me on twitter. Yasin Malik is a terrorist. Conclave video👇 #TheKashmirFiles https://t.co/Qpu1Z3zs1b
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) March 13, 2022
भारत की समस्या इस्लामिक आतंकवाद नहीं
भारत की समस्या इस्लामिक आतंकवाद नहीं बल्कि उसे मिलने वाला सेक्युलरिस्ट संरक्षण है। आजादी के पूर्व कांग्रेस भारत के विभिन्न समुदायों के लिए एक मंच बनने का प्रयास करती रही और महात्मा गांधी सभी समुदायों के एकमेव नेता बनने के लिए प्रयास करते रहे। कट्टरपंथी मुसलमानों ने कभी भी इस एकत्व के भाव को स्वीकार नहीं किया, किंतु कांग्रेस सहित गांधीवादी नेताओं ने सदैव ही उन्हें मनाने के लिए उनकी आवभगत की। मुस्लिम कट्टरपंथियों के प्रति अपनाई गई समझौतावादी नीति के कारण ही भारत का विभाजन हुआ, और इसी कारण कश्मीर में अलगाववाद ने सिर उठाया। अपने अहम की संतुष्टि अथवा क्षुद्र स्वार्थों की पूर्ति के लिए जब तक लोग आतंकी तत्वों को बढ़ावा देते रहेंगे देश में शांति स्थापित नहीं हो सकती।