जब-जब देश में पत्रकारिता के नाम पर एजेंडे की बयार का प्रवाह करने वालों का नाम लिया जाएगा तो उसमें राणा अय्यूब जैसे फ़र्ज़ी तथ्यों के साथ पत्रकारिता करने वालों का नाम सबसे आगे आएगा। अब इसी फ़र्ज़ी पत्रकारिता के कारण जब अय्यूब पर कानूनी शिकंजा कसा जाने लगा तो राणा अय्यूब का मन द्रवित और व्यथित हो गया। इस बार राणा अय्यूब की करारी बेइज़्ज़ती हुई और उन्होंने अपना सारा दुःख आकर ट्विटर पर बिखेर दिया।
राणा अय्यूब को लंदन जाने से रोक दिया गया
राणा अय्यूब को मंगलवार को लंदन जाने से रोक दिया गया क्योंकि वह कथित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी हैं, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है। इसके साथ ही वो कोरोना महामारी में जुटाए गए चंदे के नाम पर विदेशी फंडिंग नियमों के कथित उल्लंघन के संबंध में आरोपित हैं। ऐसे में देश से बाहर जाना कानून के विरुद्ध ठहराए जाने के साथ ही अय्यूब पर पुनः ईडी और अन्य जांच एजेंसियों का शिकंजा कस चुका है। ऐसे में सवाल तो मजेदार तरीके से उठाया जाना चाहिए क्या मोदी जी, आपके राज में कितने धोखेबाज़ों के बुरे दिन आते रहेंगे।
दरअसल, मंगलवार को राणा य्यूब को लंदन के लिए उड़ान भरने से पहले मुंबई हवाई अड्डे पर रोक दिया गया था। चूंकि प्रवर्तन निदेशालय COVID-19 राहत के लिए चंदा इकट्ठा करते समय राणा अय्यूब द्वारा विदेशी फंडिंग नियमों के कथित उल्लंघन की जांच कर रहा है। ऐसे में लंबित जांच के बीच में देश छोड़कर जाना कानून का उल्लंघन है क्योंकि ऐसे आरोपों से भागना आरोपियों को सबसे सुलभ लगता है। इसपर अय्यूब ने ट्वीट किया कि प्रवर्तन निदेशालय का समन “बहुत उत्सुकता से” उनके इनबॉक्स में तभी पहुंचा जब उन्हें मुंबई हवाई अड्डे पर रोक दिया गया।
I was stopped today at the Indian immigration while I was about to board my flight to London to deliver my speech on the intimidation of journalists with @ICFJ . I was to travel to Italy right after to deliver the keynote address at the @journalismfest on the Indian democracy
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) March 29, 2022
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राणा अय्यूब ने ट्वीट कर लिखा कि, “आज मुझे मुंबई में लंदन जाने से रोक दिया गया। जब मैं International Journalism Festival में भारतीय लोकतंत्र और पत्रकारों को डराने-धमकाने पर अपना भाषण देने के लिए लंदन के लिए अपनी फ्लाइट पकड़ने वाली थी। मैंने इस कार्यक्रम से जुडी जानकारी कुछ हफ्ते पहले ही सार्वजनिक रूप से पोस्ट की थीं, फिर भी मुझे रोके जाने के बाद ईडी का समन मेरे इनबॉक्स में आ गया।”
फल की चिंता भी तो करनी ही चाहिए थी अय्यूब जी!
अब जब कर्म किए हो तो फल की चिंता भी तो करनी ही चाहिए थी न अय्यूब जी। कोरोना महामारी की आड़ में समाज हित में चंदा इकठ्ठा करने की इस ढोंग का जब पर्दाफाश हो गया और जांच एजेंसियों ने नकेल कसनी शुरू कर दी तब राणा अय्यूब को अपने हक़ और हितों की याद आई। उससे पहले घपले करने में तल्लीन थीं यह तथकथित पत्रकार। ऐसे में जब मामला विचारधीन है तो देश से जाने का क्या ही तुक बनता है। कोई भी सामान्य व्यक्ति ये कहेगा कि सच बाहर आते ही देश छोड़ने की तैयारी थी।
अब जब लंदन जाने से राणा अय्यूब को रोक दिया गया है तो प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें 1 अप्रैल को पूछताछ के लिए तलब किया है। अय्यूब के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस द्वारा सितंबर में विकास सांकृत्यायन द्वारा दायर की गई उस FIR पर आधारित है जिसमें अय्यूब पर चंदे के पैसे को व्यक्तिगत हितों के लिए उपयोग में लाने का आरोप लगा था।”ईडी स्रोतों” के लिए जिम्मेदार एक दस्तावेज के अनुसार, वित्तीय अपराधों की जांच करने वाली एजेंसी ने पाया कि पत्रकार ने 2020 और 2021 के बीच धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए केटो नामक एक ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से ₹ 2.69 करोड़ से अधिक जुटाए थे। ईडी ने आरोप लगाया कि उसकी जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि दान के नाम पर पूरी तरह से पूर्व नियोजित और व्यवस्थित तरीके से धन जुटाया गया था, और धन का उपयोग उस उद्देश्य के लिए किया ही नहीं गया था जिसके लिए धन जुटाया गया था।
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मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कई और मामले भी आ चुके हैं सामने
ऐसे में फिर चाहे अगस्त 2019 में, NDTV के सह-संस्थापक और प्रधान संपादक प्रणय रॉय और सह-संस्थापक राधिका रॉय को मुंबई से बाहर जाने से रोके जाने की बात हो या हाल ही में अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडीज को मुंबई हवाई अड्डे पर आव्रजन अधिकारियों ने एलओसी (लुक आउट सर्कुलर) के कारण रोक दिया था। यह सभी मामले भी मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े हुए थे, ऐसे में केंद्रीय जांच एजेंसियों पर मात्र इस बात के लिए शक करना क्योंकि सरकार भाजपा की है तो कानून और संविधान पर यह सीधा प्रहार होगा।
अय्यूब सरीखे फ़र्ज़ी पत्रकारों ने अपने एजेंडे को चलाने के लिए क्या कुछ नहीं किया पर जब अपनी पर आई तो मिमयाने लगीं जैसे सत्यवादी हरिश्चंद्र की वंशज हों। जांच एजेंसियों को ऐसा करने से न ही अय्यूब जैसे वित्तपोषित एजेंडाधारी रोक सकते हैं और न ही उनकी जमात के अन्य जमाती। कानून सबके लिए एक समान है फिर चाहे वो कोई भी हो। यह रुदाली राग गाने से विदेशी मीडिया आपको सहानुभूति भले ही दे रहा हो पर अपने कर्मों को स्वयं से अधिक कोई नहीं पहचानता, ऐसे में यदि राणा अय्यूब स्वतः अपना आंकलन कर लेती हैं तो उन्हें खुद ही शर्म आएगी कि क्या क्या नहीं किया उन्होंने अपनी झूठ की दुकान चलाने के लिए।