भारत और भारतीय संसाधनों को जितनी यातनाएं दी गईं और जितना कोसा गया आज उतना ही विश्व उसके हर उस फैसले की प्रशंसा करने में आगे है जो मेक इन इंडिया की तर्ज़ पर लिए गए। अब उस भारतीय रेलवे व्यवस्था को भूरी-भूरी प्रशंसा मिल रही है जिसके बारे में बात करने में एक समय में अमूमन किसी भी भारतीय को शर्म आती थी। अब उसी रेल को ख्याति मिलने के साथ ही उसके आमूलचूल बदलाव को वैश्विक स्तर पर सराहना मिल रही है।
भारतीय रेलवे को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिल रहा बढ़ावा
भारतीय रेलवे में वंदे भारत एक्सप्रेस के प्रादुर्भाव के बाद वो भारत के एक अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क के रूप में स्वीकृत हो गया है। दरअसल, भारतीय रेलवे को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत ने बढ़ावा दिया और वंदे भारत एक्सप्रेस के परिणाम सबके सामने हैं। MyGovIndia के ट्विटर हैंडल को देखें तो एक अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन के अनुसार भारत के मानक अब एक अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क हैं।
द सऊदी गजट (The Saudi Gazette) में कहा गया है कि भारतीय रेलवे की वंदे भारत एक्सप्रेस ने मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को नई गति दी है। वंदे भारत एक्सप्रेस की प्रत्येक खेप का यूरोपीय की तुलना में 40 प्रतिशत सस्ती होने का अनुमान है। इसके अलावा, प्रकाशन ने यह भी कहा कि नई भारतीय रेलवे ब्रेकिंग से 30 प्रतिशत विद्युत ऊर्जा की बचत होती है।
वहीं इससे पहले, सरकार ने कहा था कि वंदे भारत की प्रमुख प्रणालियों को प्रधानमंत्री ‘मेक इन इंडिया’ के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए भारत में डिजाइन और निर्मित किया गया है।
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एक समय था जब फिस्सड्डी साबित होती थी भारतीय रेलवे
एक समय था, जब सफाई, ट्रेन की देरी और अन्य सभी मानकों पर भारतीय रेलवे फिस्सड्डी साबित होती थी और उससे अधिक दबाव था कर्ज़े में डूबती भारतीय रेल। ऐसे में 2014 के बाद एनडीए गठबंधन की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार आयी फिर क्या था परिवर्तन और औचक निर्णय लेने की बयार चल पड़ी। जिसके बाद धीरे-धीरे ही सही पर सकारात्मक बदलाव देखे जाने लगे।
आज की भारतीय रेल व्यवस्था में नए रूटों पर नई ट्रेनों के संचालन और सभी अनियमितताओं को सुधारने से लेकर नए कल को लिखने का जज्बा है और इसी का परिणाम है कि आज विदेशी मीडिया घराने उसी व्यवस्था की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं।
A boost to Indian Railways! #AatmaNirbharBharat pic.twitter.com/cerv45OowJ
— MyGovIndia (@mygovindia) April 9, 2022
बता दें, वंदे भारत एक्सप्रेस के सभी कोच जीपीएस आधारित ऑडियो-विजुअल यात्री सूचना प्रणाली, स्वचालित दरवाजे, मनोरंजन प्रयोजनों के लिए ऑन-बोर्ड हॉटस्पॉट वाईफाई के साथ-साथ बहुत ही आरामदायक सीटों से लैस हैं। ट्रेन के सभी टॉयलेट बायो-वैक्यूम टाइप के हैं। ट्रेन के अंदर रोशनी की कमी नहीं है, अर्थात सामान्य रोशनी के साथ-साथ प्रत्येक यात्री सीट के लिए व्यक्तिगत भी मौजूद है। वंदे भारत एक्सप्रेस के प्रत्येक डिब्बे में एक पेंट्री है जिसमें गर्म भोजन के साथ-साथ गर्म और ठंडे पेय परोसने की सुविधा है।
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को जानिए
भारतीय रेलवे की वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में कुल 16 एसी कोच हैं, जिनमें से दो कोच एग्जीक्यूटिव क्लास के कोच हैं। वंदे भारत की कुल बैठने की क्षमता 1,128 यात्रियों की है। पीएमओ के अनुसार, यह क्षमता शताब्दी एक्सप्रेस के पारंपरिक रेक के मुकाबले काफी ज्यादा है। यह सभी इलेक्ट्रिक उपकरणों को कोचों के नीचे शिफ्ट करने के साथ-साथ ड्राइविंग कोच में सीटों के कारण भी है।
पीएमओ ने कहा था कि सुरक्षा, गति और सेवा वंदे भारत की पहचान है। वंदे भारत प्रभाव, प्रदर्शन, सुरक्षा के साथ-साथ आराम के अंतरराष्ट्रीय मानकों से मेल खाता है। फिर भी वैश्विक कीमतों के आधे से भी कम लागत, वैश्विक रेलवे व्यवसाय में गेम चेंजर बन सकता है। ऐसे में भारत बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ अधिक नियमित स्तर पर निर्माण सुनिश्चित करने के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है। उसी के हिस्से के रूप में, भारतीय रेलवे के इस उदय को निर्णायक माना जा रहा है जिसके ऊपर सभी की निगाह गड़ी हुई हैं साथ ही तारीफ किए बगैर रहा भी नहीं जा रहा है।