भारत के सबसे शिक्षित राज्य के मुख्यमंत्री, जिनके शासन को सुशासन का प्रतिमान माना जाता है, उनके महानतम कार्यों में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। हम बात कर रहे हैं केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन की। विजयन सरकार ने गोल्ड स्कैम के बाद एक नया घोटाला किया है। कोरोना महामारी की आग में जब पूरा देश झुलस रहा था, उस समय केरल सरकार लोगों की जान की परवाह किए बिना घोटाले को अंजाम दे रही थी और इस घोटाले में राज्य के सीएम का नाम भी सामने आ रहा है। खबरों के मुताबिक कोरोना महामारी के दौरान केरल में पीपीई किटकिट की खरीद में घोटाला किया गया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केरल के सीएम पिनाराई विजयन और पूर्व वित्त मंत्री टीएम थॉमस इसाक ने वर्ष 2020 में महामारी की पहली लहर के दौरान बाजार मूल्य से तीन गुना अधिक मूल्य पर पीपीई किट खरीदने की मंजूरी दी थी। इसका खुलासा RTI द्वारा हुआ है। विपक्ष द्वारा इस मामले में पहले सिर्फ पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा को घेरा जा रहा था, किंतु RTI से पता चला है कि इस घोटाले में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा के साथ ही मुख्यमंत्री विजयन और पूर्व वित्त मंत्री थॉमस इसाक भी शामिल हैं।
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3 गुना ज्यादा कीमत पर खरीदे गए पीपीई किट्स
पूर्व स्वास्थ मंत्री पर आरोप यह था कि केरल के स्वास्थ्य विभाग ने शैलजा की निगरानी में पीपीई को 1,550 रुपये प्रति किट की दर से कोच्चि की एक कंपनी से ऑर्डर किया था। जबकि कोच्चि की कंपनी द्वारा प्रत्येक पीपीई किट का मूल्य ₹450 तय किया गया था। आरोप लगने पर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने कहा था कि मुख्यमंत्री पी विजयन और तत्कालीन वित्त मंत्री थॉमस ने भी इस खरीद को मंजूरी दी थी। हाल ही में एक आरटीआई दस्तावेज ने उनके दावे की पुष्टि की है और अब यह सिद्ध हो गया है कि वास्तविक मूल्य से 3 गुने दाम पर पीपीई किट खरीदने की मंजूरी में मुख्यमंत्री और तत्कालीन वित्त मंत्री भी शामिल थे। इस खरीद के लिए आईवी लिंक्स, कैरन, न्यू केयर, न्यू केयर हाइजीन प्रोडक्ट्स, महिला परिधान और फास्टन जैसी विभिन्न कंपनियों को 73.9 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था।
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कई घोटालों में सामने आ चुका है राज्य के मुख्यमंत्री का नाम
यह पहला ऐसा मामला नहीं है जहां मुख्यमंत्री का नाम सीधे भ्रष्टाचारियों की सूची में आया है। इसके पूर्व हुए गोल्ड स्कैम में भी सीएम के मुख्य सचिव सहित मुख्यमंत्री का नाम आया था। विजयन का नाम तो स्वयं मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश ने लिया था। इसके बाद सहकारिता घोटाले में भी मुख्यमंत्री का नाम सामने आया था। इरिंजालकुडा में सत्तारूढ़ माकपा के नियंत्रण वाले कारावन्नूर सहकारी बैंक में कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये की सहकारिता घोटाला का मामला सामने आया था। ध्यान देने वाली बात है कि भारत के सबसे शिक्षित राज्य की जनता ऐसे घोटालों के बाद भी विजयन को समर्थन देती है यह अचंभित करने वाला है।
हालांकि, वामपंथी प्रभाव वाले राज्यों की बात करें तो यह स्वाभाविक ही लगता है। चीन, रूस, उत्तर कोरिया, जिस जगह वामपंथी विचारधारा के लोग सत्ता में आए, वहां की जनता में सरकार के भ्रष्टाचार और कुकृत्यों के विरुद्ध आवाज उठाने का पौरुष समाप्त हो जाता है। केरल वाइफ स्वैपिंग जैसे कुकृत्य का गढ़ बनता जा रहा है। अपराध चरम पर है। लोकतांत्रिक वातावरण कुचल दिया गया है। सरकार की जवाबदेही शून्य है। किंतु आश्चर्यजनक रूप से इन कुकृत्यों के बाद भी केरल को इसके बाद भी आदर्श प्रशासनिक मॉडल बताया जाता है।
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