कट्टरपंथियों, वामपंथियों और कथित लिबरलों ने मौजूदा समय में देश में जिस तरह की स्थिति पैदा कर दी है, ऐसे में सतर्कता ही सबसे पहला उपाय बनकर सामने आ रहा है। इसी बीच हिन्दू धर्म के आस्था के प्रतीक चारधाम यात्रा में बाधा और नासूर बनते जा रहे जिहादी और विक्षिप्त तत्वों से बचाव के लिए उत्तराखंड की भाजपा सरकार नई रणनीति के साथ आगे आई है। आगामी चारधाम यात्रा की तैयारियों के बीच अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लग सकती है। दरअसल, संतों के एक समूह द्वारा जारी किए गए रोक के आह्वान के जवाब में, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट कर दिया है कि जल्द ही राज्य में बड़े पैमाने पर ‘सत्यापन अभियान’ चलाया जाएगा। इसका सीधा मतलब है कि संदेहजनक तत्वों को निचोड़ कर पूरी प्रक्रिया के बीच गुजरना होगा और अन्तोत्गत्वा वो पकडे जाएंगे।
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उत्तराखंड में धार्मिक उन्मादियों की लगेगी लंका
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते दिन मंगलवार को कहा कि राज्य प्रशासन चारधाम यात्रा के दौरान बड़े पैमाने पर ‘सत्यापन अभियान’ चलाएगा। सीएम ने आगे कहा कि “हमारे राज्य को शांत रहना चाहिए, हमारे राज्य के धर्म और संस्कृति को संरक्षित किया जाना चाहिए। इसके लिए, हमारी सरकार एक अभियान चलाएगी। राज्य प्रशासन यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा कि जिनके पास उचित सत्यापन नहीं है, वे इसे करवाएं और जिन लोगों के कारण स्थिति अस्थिर हो सकती है, वे राज्य में प्रवेश न करें।” धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान यूपी, दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों से प्रदेश में आने वाले सभी तीर्थ यात्रियों के लिए सत्यापन की व्यवस्था की जाएगी, ताकि चारधाम यात्रा में किसी भी तरह की स्थिति से निपटा जा सके। मुख्यमंत्री ने सत्यापन व्यवस्था किसी धर्म विशेष के लिए रखे जाने की बात नहीं की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड शांत प्रदेश है और धर्म व संस्कृति का केंद्र है। यहां धार्मिक उन्मादियों और उपद्रवियों के लिए कोई स्थान नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड और चारधाम में जिन लोगों का ठीक प्रकार से सत्यापन नहीं हुआ, उनका सत्यापन होगा। मुख्यमंत्री राज्य सचिवालय में मीडियाकर्मियों के सवालों का जवाब दे रहे थे। उनसे पूछा गया कि साधु संतों की यह मांग बढ़ती जा रही है कि चारधाम क्षेत्र में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित हो। इस प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रदेश शांत रहना चाहिए। प्रदेश की धर्म संस्कृति बची रहनी चाहिए। उसके लिए सरकार अपने स्तर पर अभियान चलाएगी। हम कोशिश करेंगे कि जिन लोगों का यहां ठीक प्रकार से सत्यापन नहीं हुआ है, उनका सत्यापन होगा। ताकि ऐसे व्यक्ति उत्तराखंड में न आ पाएं, जिनसे राज्य में स्थिति खराब हो।
रघुवर दास सिंड्र्रोम से बाहर निकल गए हैं धामी
हिंदुत्व की अपनी पहचान के साथ-साथ कट्टरपंथियों को लेकर अपने सटीक शब्दों से पुष्कर सिंह धामी ने निस्संदेह यह स्पष्ट कर दिया है कि वो रघुबर दास सिंड्रोम ने बाहर निकल रहे हैं। गौरतलब है कि राजनीति संभावनाओं और समीकरणों का खेल है, जिनके बनते और बिगड़ने में लेशमात्र भी समय नहीं लगता। आज का राजा कल का रंक और फ़कीर हो सकता है इसको समझना बेहद आवश्यक है। रघुबर दास भाजपा के उन कर्म प्रधान मुख्यमंत्रियों में से एक थे, जिनके सिर कई बड़ी और अहम उपलब्धियां दर्ज़ हैं लेकिन जनता के समझ वो उसका प्रदर्शन करने से चूक गए और हेमंत सोरेन ने सत्ता हथिया ली। जिसके बाद ‘रघुबर दास सिंड्रोम’ शब्द प्रचलन में आया, जिसका सीधा और सपाट अर्थ यह है कि जो मुख्यमंत्री काफी बेहतरीन काम करता है और अपने प्रदर्शन को जनता के समझ रखने में विफल रहता है, उसे मान लिया जाता है कि वो रघुवर दास सिंड्रोम से ग्रसित है!
दूसरी ओर उत्तराखंड चुनाव के बाद से ही पुष्कर सिंह धामी को रघुबर दास सिंड्रोम से ग्रसित बताया जाने लगा था, लेकिन धामी 2.0 सरकार में पुष्कर सिंह धामी ने कई बेहतरीन फैसले लेकर अपने ऊपर लगे इस दाग को धोने का काम किया है। सत्ता में वापसी के बाद उन्होंने जो आक्रामकता अपनाई है, वो उन्हें निश्चित ही एक नये आयाम पर ले जाएगा।
आपको बताते चलें कि सीएम धामी की यह टिप्पणी हरिद्वार स्थित शांभवी धाम के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप ने धामी को लिखे पत्र में भूमि अधिनियम में संशोधन की मांग के एक दिन के भीतर की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चारधाम क्षेत्र में गैर-हिंदुओं को जमीन के मालिक होने, घर बनाने या व्यवसाय करने की अनुमति नहीं है। चारधाम यात्रा में चार महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल शामिल हैं – गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ। भक्तों के लिए गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट 03 मई को खुल रहे हैं, जबकि केदारनाथ धाम के कपाट 06 मई और बदरीनाथ धाम के कपाट 08 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे।
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