अमित मिश्रा ने अपने एक ट्वीट से इरफान समेत कथित लिबरलों की लंका लगा दी है

मिश्रा ने वामपथियों को किया बोल्ड!

अमित इरफान

Source- TFI POST

सूजी है..? निश्चित रूप से ये ही शब्द निकल रहे होंगे इरफ़ान पठान और लिबरलों के मुख से, निकले भी क्यों न जिस प्रकार भारतीय क्रिकेटर अमित मिश्रा ने अपनी बातों से वामपंथियो की वॉट लगाई है, वो काफी बेहतरीन है और उसके बाद से ही सोशल मीडिया पर मिश्रा जी की जय जयकार हो रही है।

दरअसल, शुक्रवार को पूर्व क्रिकेटर इरफान पठान ने भारत पर कटाक्ष करने का निर्णय लिया, पठान ने देश के राजनीतिक मामलों पर एक गूढ़ टिप्पणी करते हुए लिखा, “मेरा देश, मेरा खूबसूरत देश, पृथ्वी पर सबसे महान देश होने की क्षमता रखता है। लेकिन ………” यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस्लामवादी, पत्थरबाज, और उपद्रव करने वाले को सही और हिन्दुओं को उकसाने का दोषी ठहराना इस्लामवादियों की तुच्छ सोच को दर्शाता है। इस्लामवादियों की ओर से हाल ही में हुए हिंसक कृत्यों ने कई भारतीय राज्यों में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ दिया है। इसलिए इरफ़ान पठान की राय है कि भारत की पृथ्वी पर सबसे महान देश होने की क्षमता अप्रयुक्त है। बहुत बढ़िया, यह मदरसे वाली शिक्षा अपने ट्वीट में उतारना कोई इनसे सीखे।

इस ट्वीट के माध्यम से न जाने इरफ़ान इस्लामवादियों को दोषी ठहरा रहे थे या नहीं ये अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन संभवतः नहीं ही ठहराएंगे, क्योंकि अभी तक तो हमने इस्लामवादियों की गलतियों पर इन्हें आवाज उठाते तो शायद कभी देखा ही नहीं। हालांकि, पूर्व क्रिकेटर अमित मिश्रा उनके ट्वीट पर टिप्पणी हेतु फ्रंट पर खेलते हुए आए और शुक्रवार को उनके ट्वीट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर हलचल मचा दी। अमित मिश्रा ने इरफ़ान के ट्वीट को पूरा करते हुए लिखा कि “मेरा देश, मेरा खूबसूरत देश, पृथ्वी पर सबसे महान देश बनने की क्षमता रखता है, वो भी तब जब कुछ लोगों को यह एहसास हो कि हमारा संविधान ही सर्वस्व है।”

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प्रथमदृष्टया ऐसा लगता है कि अमित मिश्रा सभी भारतीयों को डांट रहे हैं और यह भी सर्वविदित है कि अधिकांश भारतीय हिंदू हैं। इसलिए, भारत के उदारवादी नमूनों के लिए अमित मिश्रा के ट्वीट हेतु उनकी सराहना करना एक पर्याप्त कारण था। फिर शुरू हुआ ज्ञान और सम्मान का नंगा-नाच। द वायर की कथित पत्रकार आरफ़ा खानम शेरवानी ने अमित मिश्रा के ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा, “RESPECT”। उन्होंने सलामी और बंधी हुई मुट्ठी का चित्रण करते हुए इमोजी भी जोड़े।

इसी तरह, एक और उदारवादी साक्षी जोशी ने मिश्रा के ट्वीट को उद्धृत किया और इन्होंने भी लिखा, “RESPECT”। लिबरलों की यह प्रतिक्रिया अजीब ही नहीं महाअजीब है!

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उदारवादी और इस्लामवादी जल्दी प्रशंसा करते हैं

दिलचस्प बात यह है कि अमित मिश्रा का ट्वीट हिंदुओं पर आधारित नहीं था। इसके बजाय, यह उस समुदाय के संदर्भ में था जो कुरान को संविधान के ऊपर रखता है। तो, आपको क्या लगता है कि मिश्रा की प्रशंसा करने वाले उदारवादियों ने इसके तुरंत बाद क्या किया? उन्होंने थूक के एक बार पुनः चाट लिया। उन्होंने अपने ट्वीट डिलीट कर दिए और चट्टानों के नीचे छिप गए। आरफा और साक्षी जैसे उदारवादियों के मतानुसार केवल हिन्दू ही पहली किताब के रूप में संविधान का पालन करें, शेष मुस्लिम और अन्य सभी तो शरिया पर चलेंगे। अमित मिश्रा की प्रशंसा में किए ट्वीट्स को हटाना दिखाता है कि ऐसे वामपंथी और कट्टरपंथ के उपासक इनमें से कोई भी मुसलमानों को यह बताने की हिम्मत नहीं जुटा सकता कि उन्हें किसी भी अन्य किताबों से पहले भारतीय संविधान का पालन करना चाहिए।

आरफा और साक्षी ने अमित मिश्रा की “RESPECT” तभी तक की जब उन्हें लगा कि क्रिकेटर हिंदुओं की आलोचना कर रहा है, और उन्हें प्राथमिक आधार पर भारतीय संविधान का पालन करने के लिए कह रहा है। जिस क्षण उन्होंने महसूस किया कि वह वास्तव में बयार तो उल्टी ही बह रही थी, और ऐसा करने के लिए मुसलमानों का जिक्र कर रहे थे, उन्होंने क्षणभर में अपने शब्दों को वापस लेने में भलाई समझी। यह कई लोगों के डर की पुष्टि करता है। उदारवादी और इस्लामवादी चाहते हैं कि केवल हिंदू ही संविधान का पालन करें, जबकि भारत में दूसरे सबसे अधिक संख्या वाला समुदाय खुले तौर पर नियमों और विनियमों की धज्जियां उड़ा रहा है। अमित मिश्रा ने ऐसे लोगों का बहुत व्यापक तरीके से एक ट्वीट से पर्दाफाश कर दिया है।

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