पहले देश खाया, फिर उद्योगपतियों का धन खाया फिर खाया कांग्रेस आलाकमान, नाम तो जानते ही होंगे ‘गाँधी परिवार।’ हालिया कर्मकांड है लड़की हूं लड़ सकती हूं वाली प्रियंका गाँधी वाड्रा का, जिन्होंने अपने ही पिता को तोहफे में मिले एम एफ हुसैन की पेंटिंग को 2 करोड़ में बिकवा दिया वो भी धमकाकर! और बदले में पद्भ भूषण पुरस्कार देने की बात कही गई थी। यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर ने खुलासा किया है कि उन्हें कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी से एक एमएफ हुसैन पेंटिंग खरीदने के लिए मजबूर किया गया था। और इसकी एवज में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार देने का ढकोसला दिया गया था, जो ढकोसला ही रह गया। यह बातें राणा कपूर ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हुई पूछताछ के दौरान कही है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, ईडी ने विशेष अदालत के समक्ष दूसरा पूरक आरोप पत्र दायर किया है, जिसमें यस बैंक के पूर्व एमडी राणा कपूर ने ईडी को बताया है कि तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा ने कहा था कि यदि उन्होंने एम एफ हुसैन की पेंटिंग को खरीदने से मना किया तो इससे गांधी परिवार से उनके रिश्तों में खलल पैदा हो जाएगा और तो और पद्म भूषण मिलना बहुत दूर की बात है। राणा कपूर का यह कथित बयान ईडी द्वारा विशेष अदालत में हाल में यस बैंक के सह संस्थापक, उनके परिवार, दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचईएल) के प्रवर्तक कपिल और धीरज वाधवान और अन्य के विरुद्ध धन शोधन के मामले में दाखिल दूसरे पूरक आरोप पत्र का हिस्सा है।
पद्म सम्मान को ऐसे बेचने और देने की रीत कांग्रेस में आज की नहीं है पर इससे बढ़कर जिस पेंटिंग की बात यहां की गई यदि वो कथित तौर पर 1985 में कांग्रेस के शताब्दी समारोह के दौरान चित्रकार एम एफ हुसैन द्वारा राजीव गांधी को दी गई थी तो सवाल उठता है कि वो उन्हें दी गई थी या उनके पद को? यदि ‘पीएम’ राजीव गांधी को दी गई तो यह सार्वजानिक संपत्ति होती है न कि प्रियंका गांधी द्वारा बेची जा रही कोई ननिहाल से आई निजी संपत्ति। वहीं, दूसरी ओर यदि यह राजीव गांधी को व्यक्तिगत रूप से दी गई तो वसीयत में इसका जिक्र होना चाहिए, क्योंकि यह पेंटिंग 5-10 रुपए में नहीं बल्कि 2 करोड़ की कीमत पर बेची गई है। और तीसरा यदि यह न पीएम राजीव गांधी को मिली, न ही तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी को मिली और असल में कांग्रेस पार्टी को दी गई हो तो यह पार्टी की स्वामित्व वाली चीज़ होती है न कि किसी की व्यक्तिगत, ऐसे में प्रियंका गांधी ने यदि इसे जबरन 2 करोड़ में पार्टी अटॉर्नी की मंजूरी के विरुद्ध और उसके बिना बेचा है तो यह पुनः कानूनन सही नहीं था।
यह सब बातें अब इसलिए निकल रही हैं क्योंकि यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर ने ईडी के समक्ष कई ऐसे खुलासे किए हैं, जिसपर कांग्रेस ने अबतक पर्दा डाला हुआ था। चार्जशीट में कांग्रेस के दिवंगत नेता मुरली देवड़ा के बारे में कहा गया है कि उन्होंने पेंटिंग खरीदने के संबंध में कई मोबाइल नंबरों से कई कॉल और मैसेज भी किए थे। राणा ने कहा कि वास्तव में, मैं इस सौदे के लिए जाने के लिए बहुत अनिच्छुक था और मैंने कई बार उनके कॉल/मैसेज और व्यक्तिगत बैठकों को अनदेखा करके इस सौदे से बचने की कोशिश की थी। यस बैंक के सह-संस्थापक राणा कपूर ने यह भी खुलासा किया कि गांधी परिवार ने न्यूयॉर्क में पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी के इलाज के लिए इस रकम का उपयोग किया गया था। राणा कपूर के अनुसार, उन्होंने 2 करोड़ रुपये के चेक का भुगतान किया था और बाद में मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा ने उन्हें गोपनीय रूप से बताया कि गांधी परिवार ने सोनिया के इलाज के लिए बिक्री की राशि का उपयोग किया।
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कांग्रेस ने अपने शासन में जमकर की है उगाही
यही नहीं, कपूर ने ईडी को यह भी बताया है कि सोनिया गांधी के पूर्व सहयोगी और राइट हैंड दिवंगत नेता अहमद पटेल ने उनसे कहा था कि सोनिया के इलाज के लिए उपयुक्त समय पर गांधी परिवार का समर्थन करके, उन्होंने परिवार के लिए एक अच्छा काम किया है और इस काम के लिए उन्हें प्रतिष्ठित “पद्म भूषण” पुरस्कार दिए जाने के लिए विधिवत विचार किया जाएगा। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि भ्रष्टाचार की जननी कांग्रेस की लंका का दहन उसी की चश्मोचिरागिनी प्रियंका गांधी ने कर दिया है। इससे न केवल यह उजागर हुआ कि कांग्रेस ने जी भरकर हर ओर से हर क्षेत्र में उगाही और भ्रष्टाचार किया है, बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि यूपीए शासन में कांग्रेस ने सरकार नहीं अपने शासन में गिरोह चलाया है। इसके तीन हाथ थे, कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और भावी अध्यक्ष प्रियंका गांधी वाड्रा, वो भी तब जब इन तीनों में से एक भी किसी बड़े पद अर्थात् प्रधानमंत्री या मंत्री पद का उपभोग नहीं करता था। ये सत्य है कि गांधी परिवार ने रिमोट कंट्रोल से देश चलाया और चहुओर से देश को लूटा है!