भारत में कई विदेशी कंपनियां धड़ल्ले से अपना व्यापार चला रही है और देश के लगभग सभी सेक्टर्स में अपनी अच्छी पकड़ भी बना चुकी है। अमेरिकी कंपनी Amazon भी उनमें से एक है। Amazon ने भारत में अपनी पकड़ इस कदर जमा ली है कि अब ऐसा प्रतीत होता है कि रिटेल के क्षेत्र में उसका एकाधिकार ही स्थापित हो गया है। Amazon दुनिया का सबसे बड़ा ऑनलाइन रिटेलर है और भारत में ऑनलाइन बाजार पर इसने अपना धाक जमा लिया है। Amazon के लिए भारत से बड़ा कोई अन्य बाजार नहीं है, किन्तु पिछले कुछ वर्षों से Amazon का नाम कई विवादों में आ चुका है। पिछले कुछ समय से रिटेल सेक्टर में वर्चस्व को लेकर छिड़ी Amazon और फ्यूचर ग्रुप की लड़ाई किसी से छिपी नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान फ्यूचर ग्रुप ने Amazon पर ऐसे आरोप लगाए हैं, जिसे लेकर जमकर बवाल मचा हुआ है।
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26 हजार करोड़ की कंपनी को कर दिया बर्बाद
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मशहूर बिजनेस मैन किशोर बियानी की कंपनी फ्यूचर रिटेल ने कहा कि Amazon उसे बर्बाद करना चाहती थी और वह इसमें सफल भी रही। हम धागे से लटके हुए हैं। अब कोई भी हमारे साथ व्यापार नहीं करना चाहता। फ्यूचर ग्रुप की ओर से कहा गया कि Amazon के साथ उसकी विवादित डील महज 1,400 करोड़ रुपये की है। Amazon ने सिर्फ इस रकम के लिए 26 हजार करोड़ रुपये की कंपनी को बर्बाद कर दिया। ध्यान देने वाली बात है कि पिछले दिनों रिलायंस ने फ्यूचर ग्रुप के कई स्टोर्स को अपने नियंत्रण में ले लिया, जिससे Amazon बौखलाया हुआ है। Amazon की ओर से फ्यूचर ग्रुप द्वारा फ्यूचर रिटेल एसेट्स को सरेंडर करने पर आपत्ति जताई गई। Amazon ने कोर्ट से कहा कि फ्यूचर रिटेल की संपत्ति का ट्रांसफर “रिप्लेस बिलीव इट ऑर नॉट” जैसा दिखता है। फ्यूचर ग्रुप ने बिना किसी विरोध के 800 से अधिक दुकानों को जाने दिया।
Amazon के वकील गोपाल सुब्रमण्यम ने तर्क देते हुए कहा कि फ्यूचर की एक यूनिट के साथ Amazon ने वर्ष 2019 में एक डील की थी। डील में एक क्लाउज था, जो फ्यूचर ग्रुप को अपना रिटेल एसेट उस प्रोहिबिटेड लिस्ट में शामिल किसी भी निकाय को बेचने से रोकता है, जिसमें रिलायंस का भी नाम शामिल है। ऐसे में अब फ्यूचर ग्रुप द्वारा अपने स्टोर्स के सरेंडर करने को Amazon ने मिलीभगत बताया है।
वहीं, Amazon के इन आरोपों पर फ्यूचर ग्रुप का पक्ष रख रहे वकील हरीश साल्वे ने कहा कि फ्यूचर रिटेल के पास रेंट भरने के पैसे नहीं थे। उन्होंने कहा, हमारे अकाउंट एनपीए बनाए जाने के बाद से फ्रीज हैं। कोरोना लॉकडाउन के कारण रिटेल सेक्टर पर बुरा असर पड़ा है। हम लाइसेंस भी भर पाने में असमर्थ हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 374 स्टोर्स का लाइसेंस फी 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा है। लैंडलॉर्ड पैसे मांग रहे हैं। अगर वे हमें कोर्ट में घसीटते हैं या खाली करने का नोटिस भेजते हैं, तब हमारे साथ क्या होगा? चूंकि हम रेंट नहीं भर पाए, हमें अंतत: स्टोर सरेंडर करने पड़ गए। एक लिस्टेड कंपनी का ऐसा हाल बना दिया गया। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होने वाली है।
जानें क्या है पूरा मामला?
आपको बताते चलें कि बिग बाजार की स्थापना के बाद से एक बेताज बादशाह के रूप में उभरे किशोर बियानी की कंपनी फ्यूचर ग्रुप पर वर्ष 2019 आते-आते ₹12,778 करोड़ का कर्ज हो गया। कई रेटिंग एजेंसियों ने इस कंपनी की रेटिंग नकारात्मक कर दी। जिसके बाद फ्यूचर ग्रुप को बचाने के लिए बियानी ने Amazon को अपनी गैर-सूचीबद्ध इकाई फ्यूचर कूपन का 49 फीसदी हिस्सा 1,400 करोड़ में बेचने हेतु एक सौदा किया। इस सौदे ने Amazon को अनुबंध के 3-10 वर्षों के भीतर फ्यूचर रिटेल में शामिल फ्यूचर कूपन की पूरी या कुछ हिस्सेदारी हासिल करने के विकल्प का प्रयोग करने के लिए अधिकृत किया। इस सौदे ने Amazon को पहले इनकार का अधिकार (Right of first refusal) और एक गैर-प्रतिस्पर्धा खंड (Non-compete Clause) भी प्रदान किया, जिसने Amazon के संभावित प्रतिस्पर्धियों जैसे रिलायंस, वॉलमार्ट, Google, सॉफ्टबैंक, अलीबाबा, नैस्पर्स, ईबे, टारगेट, पेटीएम, ज़ोमैटो, स्विगी के साथ फ्यूचर के संभावित सौदे को प्रतिबंधित कर दिया।
उसके बाद पहले से ही कर्ज में डूबी कंपनी का बंटाधार वर्ष 2020 के कोविड बंदी ने सुनिश्चित कर दी। कोविड बंदी से उपजे आर्थिक संकट ने फ्यूचर ग्रुप की कमर तोड दी। रिटेल बाजार पर इसका काफी बुरा प्रभाव पड़ा। अप्रैल 2020 तक फ्यूचर रिटेल की बिक्री सामान्य स्तर से लगभग 75 फीसदी कम हो गई, जिससे कार्यशील पूंजी प्रवाह पर भारी दबाव पड़ा। हालांकि, फ्यूचर ग्रुप को इस आर्थिक संकट से उबारने के लिए रिलायंस आगे आया। अगस्त 2020 में रिलायंस रिटेल ने ₹24,713 करोड़ में फ्यूचर खुदरा, थोक, रसद और वेयर हाउसिंग इकाइयों को खरीदने का करार किया। इस अधिग्रहण में फ्यूचर रिटेल, फ्यूचर लाइफस्टाइल और फ्यूचर कंज्यूमर शामिल हैं। दोनों कंपनियों के बीच हुआ यह करार ही फ्यूचर ग्रुप, रिलायंस और Amazon के बीच व्यापारिक विवाद का कारण बन गया, जो अभी तक चल रहा है और जिसमें अभी तक ये कंपनियां पिस रही हैं।
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