संजीवनी बूटी त्रेता युग में काम आई और कलयुग में संजीवनी बूटी बनकर डोलो 650 ने सबकी जान बचाई। जी हां, यह डोलो 650 ही थी जो कोरोना महामारी के दौरान सबसे अधिक निर्धारित दवा बन गई। मार्च 2020 से अब तक इस एकमात्र दवा ने 567 करोड़ रुपये की बिक्री पर कब्जा जमाया और 350 करोड़ से अधिक गोलियां और 7.5 करोड़ स्ट्रिप्स दवा बिक्री का अब तक का आधिकारिक हिसाब आ गया है।
डोलो-650 भारत में एक घरेलू आवश्यकता बन गई
कोरोना महामारी के दौरान, डोलो-650 भारत में एक घरेलू आवश्यकता बन गई थी। यूं तो यह पहले भी प्रासंगिक थी और बड़ी संख्या में भारतीयों द्वारा इसका उपयोग भी किया जाता था, लेकिन एक कोरोना महामारी ने इस ब्रांड की सफलता के लिए सारे व्यवधान धराशाई कर दिए। इस पर गौर करना बनता है कि कैसे डोलो ने कालपोल और क्रोसिन के व्यवसाय को कुचल दिया और सबसे पसंदीदा पैरासिटामोल गोली बन गई।
आज डोलो-650 बुखार, शरीर में दर्द, सर्दी और अन्य शारीरिक परेशानियों का एकमात्र इलाज बनता हुआ दिख रहा है। सवाल यह है कि डोलो-650 ने ऐसा कैसे किया? डोलो ने कालपोल और क्रोसिन जैसी दवाइयों को कैसे पीछे छोड़ दिया, जिसका उपयोग सभी वर्गों के भारतीयों द्वारा समान असुविधाओं और बीमारियों को ठीक करने के लिए अब तक किया जाता था? चूंकि आज के सन्दर्भ में डोलो की ब्रांड रिकॉल वैल्यू जबरदस्त है जिसके कारण आज केमिस्ट के पास जाकर कोई “पैरासिटामोल टैबलेट” नहीं मांगता है। वो मांगता है डोलो 650 का पत्ता। महाराष्ट्र स्टेट केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन के महासचिव अनिल नवंदर ने बताया कि, “हल्के बुखार और शरीर में दर्द के मामले में पेरासिटामोल लेने का चलन है। जिस तरह पानी के नाम पर बिसलेरी एक बहुत बड़ा ब्रांड बन गया है, उसी तरह डोलो 650 एक ब्रांड बन गया है। वास्तव में, यह इस क्षेत्र के लिए एक चलन बन गया है।”
आंकड़ों के अनुसार, इस साल जनवरी तक के कोरोना के प्रकोप के बाद से, भारत ने बुखार-रोधी दवा की 3.5 बिलियन से अधिक गोलियां बेची हैं। यहां बताया गया है कि यह संख्या कितनी बड़ी है: यदि सभी 3.5 बिलियन टैबलेट को लंबवत रूप से स्टॉक किया जाता है, तो यह दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का लगभग 6,000 गुना या बुर्ज खलीफा की ऊंचाई का 63,000 गुना होगा, जो कि दुनिया की सबसे ऊंची इमारत है। जनवरी से अब तक बिकने वाले डोलो टैबलेट की संख्या आसानी से 4 अरब का आंकड़ा पार कर चुकी है। दिसंबर 2021 में, डोलो 650 ने 28.9 करोड़ रुपये की बिक्री की, जो पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 61.45 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, इसकी उच्चतम बिक्री के आंकड़े अप्रैल और मई 2021 से थे, जो कोविड की दूसरी लहर के चरम पर थे, जब इसने क्रमशः 48.9 करोड़ रुपये और 44.2 करोड़ रुपये की बिक्री देखी थी।
चिकित्सा विशेषज्ञ क्या मानते हैं?
स्वास्थ्य पेशेवरों और चिकित्सा विशेषज्ञों की मानें तो, डोलो-650 की अविश्वसनीय सफलता के लिए एक प्रमुख कारण बताया जा रहा है कि यह गोली बहुत सुरक्षित है, इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है और सभी उम्र के लोगों द्वारा इसका उपयोग किया जा सकता है। वास्तव में, हृदय रोग, गुर्दे की बीमारी और मधुमेह से पीड़ित लोग इस बात की परवाह किए बिना कि यह उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करेगा, गोली को दवा के रूप में ले सकते हैं।
ज्ञात हो कि, कालपोल और क्रोसिन को ऐसी पसंद का अनुभव कभी नहीं हुआ था। अब इतनी तारीफ होगी तो उस कारक का भी पता चलेगा जो क्रोसिन जैसी टेबलेटों को डोलो जैसी भारतीय दवाई ने डूबा भी दिया। क्रोसिन के डोलो के साथ प्रतिस्पर्धा करने में विफल रहने का एक प्रमुख कारण यह है कि इसका फॉर्मूलेशन 500mg के रूप में उपलब्ध है। डोलो के साथ, भारतीयों में 650 मिलीग्राम पेरासिटामोल का उपभोग करने की आदत हो गई है ताकि वे जल्दी और अधिक निर्णायक तरीके से बेहतर हो सकें। खासकर तेज बुखार से पीड़ित लोगों में डोलो बचाव-दवा के रूप में सामने आयी। अब, डोलो भारत में मानक पैरासिटामोल नुस्खा बन गयी है।
महामारी के दौरान क्रोसिन ने आपूर्ति के कुछ मुद्दों का भी अनुभव किया। डोलो के निर्माता, बेंगलुरु स्थित माइक्रो लैब्स लिमिटेड ने इसका फायदा उठाया और यह सुनिश्चित किया कि उनकी दवा देश भर में हर फार्मेसी काउंटर पर उपलब्ध हो। यह एक घरेलू नाम बन गया है। अब इसे अपने नंबर 1 के स्थान से विस्थापित करना एक कठिन कार्य होगा।