वुहान वायरस के फैलाव के समय जब पूरी अर्थव्यवस्था ठप पड़ी हुई थी तब भारत के करोड़ो निम्न वर्गीय परिवारों पर आजीविका का संकट मंडराने लगा था। भारत के करोड़ों लोग जो स्वरोजगार और छोटे उद्योग धंधों में लगे हुए थे, उनकी कमाई ठप पड़ चुकी थी। यह लोग ऐसे लोग हैं जो प्रतिदिन की आजीविका से भोजन करते हैं। जब लॉकडाउन के दौरान ऐसे लोगों की आजीविका बंद हुई तब इनके समक्ष भुखमरी का संकट पैदा हो सकता था। किंतु प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चलाई गई ‛प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ ने करोड़ों भारतीयों को भुखमरी से बचा लिया। कोरोना महामारी से शुरू की गई यह योजना अभी तक चल रही है। इसकी अवधि मार्च 2022 में ही खत्म होने वाली थी लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार ने इसे बढ़ाकर अब सितंबर 2022 तक कर दिया है। कोरोना काल के दौरान मोदी सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम की जमकर सराहना हुई और अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक रिपोर्ट में भी इसे लेकर प्रतिक्रिया दी गई है।
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IMF ने की मोदी सरकार की सराहना
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक अध्ययन में पाया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खाद्य सुरक्षा परियोजना ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKY )’ कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में किसी भी वृद्धि को रोकने में महत्वपूर्ण रही है। अर्थात् भारत में कोरोना के फैलाव के बाद भी अत्यधिक गरीबी का स्तर नहीं बढ़ा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के नए शोध पत्र ‛Pandemic, Poverty, and Inequality: Evidence from India’ में बताया गया है कि भारत में अत्यधिक गरीबी का स्तर 2019 में 1% से कम था, जो 2020 में भी वैसा ही बना रहा। बता दें कि अत्यधिक गरीबी के निर्धारण का आधार, 1.9 यूएस डॉलर के बराबर अथवा उससे कम क्रय शक्ति होना, निर्धारित है।
रिपोर्ट में कहा गया कि एक ओर दुनिया के कई देश गरीबी से जूझ रहे हैं, वहीं भारत में मोदी सरकार की अभिनव प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना से गरीबों को बचाया जा सका है। इसकी मदद से ज्यादा बढ़ने वाली गरीबी को भी मिटाया जा सका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि PMGKY भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में किसी भी वृद्धि को रोकने के लिए महत्वपूर्ण था और गरीबों पर कोविड से प्रेरित आय के झटके को अवशोषित करने के मामले में खाद्य पात्रता को दोगुना करने के मामले में काफी हद तक काम किया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत से अत्यधिक गरीबी समाप्त हो चुकी है। IMF की रिपोर्ट के अनुसार, ‛लगातार दो वर्षों के लिए अत्यधिक गरीबी का निम्न स्तर, जिसमें महामारी द्वारा प्रभावित एक वर्ष भी शामिल है, को अत्यधिक गरीबी के उन्मूलन के रूप में माना जा सकता है।’
मार्च 2020 से ही दिया जा रहा है मुफ्त राशन
बता दें कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत गरीबों के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज दिया गया था। मार्च 2020 में शुरू हुई यह योजना गरीब व्यक्तियों को भोजन और धन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए चलाई गई थी। मुफ्त राशन के अतिरिक्त गरीबों तक विभिन्न माध्यमों से धन पहुंचाया गया। 8.7 करोड़ किसानों को 2 हजार, 20 करोड़ जनधन खाता धारक महिलाओं को ₹500 प्रति माह, 3 करोड़ गरीब वरिष्ठ नागरिकों और विधवा महिलाओं को ₹1000 प्रतिमाह दिया गया। मनरेगा के अंतर्गत कार्यरत श्रमिकों को ₹182 प्रतिदिन के स्थान पर ₹202 प्रतिदिन मानदेय दिया गया, जिसका लाभ 13.62 करोड़ परिवार को हुआ। मार्च 2020 से अब तक 2 वर्ष में प्रतिमाह 80 करोड लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराया गया है। इन सभी प्रयासों ने मिलकर भारत ने गरीबों को भुखमरी से बचा लिया और मानव इतिहास की एक बड़ी त्रासदी टल गई। निश्चित रूप से यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता का ही परिणाम है।
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