जैसे को तैसा। यह प्रसिद्द कहावत आज के परिदृश्य में चीन पर सटीक बैठती है। वही चीन जिसने दुनिया को कोरोना महामारी के जाल में फंसा दिया है। आज जहां पूरी दुनिया कोरोना से जंग लड़ रही है वहीं चीन ऐसी स्थिति में भी चालबाजी कर रहा है लेकिन भारत के सामने उसकी सारी चालबाजी ध्वस्त होती दिखायी दे रही है।
कोविड- 19 महामारी के कारण 2020 से घर में फंसे भारतीयों की वापसी की अनुमति देने के लिए बीजिंग की अनिच्छा के बाद भारत ने भी चीन को सबक सिखा दिया है। दरअसल, भारत ने भी चीन के नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा को निलंबित कर दिया है।
भारत सरकार ने उठाया है सराहनीय कदम
दरअसल, भारत सरकार का यह सराहनीय कदम 22,000 से अधिक छात्रों सहित हजारों भारतीयों के कोविड के कारण दो साल से अधिक समय से भारत में ही रहने और उनके चीन नहीं लौट पाने के बाद आया है क्योंकि बीजिंग ने वीजा प्रक्रिया के साथ-साथ भारत से उड़ानों को भी महामारी की स्थिति के कारण निलंबित कर दिया है। इस मामले को लेकर इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ने कहा है कि चीनी लोगों को अब भारत में पर्यटक वीजा की अनुमति नहीं होगी।
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IATA के अनुसार, जिन लोगों को भारत में प्रवेश करने की अनुमति है उनमें भूटान, भारतीय उपमहाद्वीप, मालदीव और नेपाल के नागरिक हैं; या जिन यात्रियों के पास भारत द्वारा जारी निवास परमिट है; अथवा जिन यात्रियों के पास भारत द्वारा जारी वीज़ा या ई-वीज़ा है; या फिर ऐसे यात्री जिनके पास भारत का विदेशी नागरिक (OCI) कार्ड है।
चीन के छात्रों को भारत में प्रतिबन्ध के बाद चीन ने भारत के सामने घुटने टेक दिया है। इस मामले को लेकर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने बीजिंग में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि “चीन भारतीय छात्रों की पढ़ाई के लिए चीन लौटने की चिंताओं को बहुत महत्व देता है। हमने भारतीय पक्षों के साथ चीन लौटने वाले अन्य देशों के छात्रों की प्रक्रियाओं और अनुभव को साझा किया है” .लिजियन ने कहा, ‘दरअसल, भारतीय छात्रों की वापसी का काम पहले ही शुरू हो चुका है। भारतीय पक्ष को केवल उन छात्रों की सूची प्रदान करनी है, जिन्हें वास्तव में चीन वापस आने की आवश्यकता है।”
चीन लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि उसे भारतीय छात्रों की वापसी की अनुमति देते समय “अंतरराष्ट्रीय महामारी की स्थिति, उभरती परिस्थितियों और उनके प्रमुखों” को ध्यान में रखना होगा। फिर भी, भारतीय दूतावास ने कहा कि चीनी पक्ष ने “जरूरत के आधार पर” भारतीय छात्रों की वापसी की सुविधा पर विचार करने की इच्छा व्यक्त की है। दूतावास ने कहा कि वह ऐसे छात्रों की एक सूची तैयार करेगा और इसे चीनी पक्ष के साथ साझा करेगा और भारतीय छात्रों से 8 मई तक नवीनतम Google फॉर्म भरकर आवश्यक जानकारी प्रदान करने को कहा है।
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अरिंदम बागची ने क्या कहा है?
17 मार्च को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची के अनुसार भारत ने बीजिंग से “सौहार्द्रपूर्ण रुख” अपनाने का आग्रह किया था क्योंकि सख्त प्रतिबंधों की निरंतरता हजारों भारतीय छात्रों के शैक्षणिक करियर को नुकसान पहुंच रहा है। वहीं 8 फरवरी को जारी एक बयान में, चीनी विदेश मंत्रालय के एक प्रतिनिधि ने दावा किया कि देश समंवित विषय को देख रहा है और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को चीन लौटने में सक्षम बनाने के उपायों पर विचार किया जा रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आगे कहा, हालांकि, मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि चीनी सरकार ने भारतीय छात्रों की वापसी पर एक निश्चित बयान नहीं दिया है। बागची के अनुसार, “हम अपने छात्रों के हित में सौहार्द्रपूर्ण रुख अपनाने के लिए चीनी सरकार पर दबाव डालते रहेंगे,” साथ ही साथ “हमारे छात्रों की चीन वापसी में तेजी लाने के लिए ताकि वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।” अरिंदम बागची के अनुसार, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले साल सितंबर में दुशांबे, ताजिकिस्तान में एक बैठक के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ इस मामले को उठाया था।
हर बार जब भारत ने चीन से अपनी चिंताओं पर ध्यान देने और भारतीय छात्रों को चीनी कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति देने का आग्रह किया, बीजिंग ने नई दिल्ली को अनदेखा कर दिया। जिस क्षण भारत ने सभी चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा निलंबित कर दिया, सीसीपी घबरा गया और भारतीय छात्रों को चीन में प्रवेश की अनुमति देने के लिए सहमत हो गया। ऐसे में चीन से निपटने की जरूरत है। भारत निश्चित रूप से चीनियों से निपटने की कला जानता है।
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भारत चीन पर दबाव बना रहा है कि वह फंसे हुए भारतीय छात्रों, मुख्य रूप से मेडिकल छात्रों और चीन में काम करने वाले भारतीयों को उनके देश वापस जाने दे। हालांकि, चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा के भारत के निलंबन ने ड्रैगन को झुका दिया। नई दिल्ली ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को यह एहसास दिलाया कि भारतीय कूटनीतिक युद्ध में चीन कभी नहीं जीत सकता है। भारत को इस बात का एहसास है कि किस तरह केवल कठोर-बातचीत और जैसे को तैसा कार्रवाई से ही चीन को सही रास्ते पर लाया जा सकता है।