राजस्थान के करौली में उस समय सांप्रदायिक तनाव फैल गया, जब हिंदू कैलेंडर के तहत नए साल के पहले दिन नववर्ष को मनाने के लिए एक मोटरसाइकिल रैली मुस्लिम बहुल इलाके से गुजर रही थी। हिंसा शनिवार को मोटरसाइकिल रैली में पथराव के बाद हुई। इसी क्रम में एक और घटना ने राजस्थान के करौली को सुर्खियां में ला दिया है, जहां पर हिन्दू की रैली पर हमला होने के बाद बवाल मच गया है।
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मुस्लिम बाहुल्य इलाके में हिंदुओं की बाइक रैली पर हमला
आपको बतादें कि हिंदुओं की रैली पर हमला तब किया गया था, जब वे एक मुस्लिम इलाके में एक मस्जिद से गुजर रहे थे, एडीजी प्रशासन और कानून व्यवस्था हवा सिंह घूमरिया ने कहा, “हिंदू संगठन हिंदू नव वर्ष के अवसर पर एक धार्मिक बाइक रैली निकाल रहे थे। जुलूस जब एक मस्जिद के पास पहुंचा तो कुछ बदमाशों ने उन पर पथराव कर दिया। इसके परिणामस्वरूप दूसरी तरफ से भी पथराव और आगजनी हुई जिसमें कुछ दोपहिया वाहनों और दुकानों को आग लगा दी गई।”
इस मामले को लेकर कांग्रेस पार्षद मतलूम अहमद की पहचान कथित रूप से हिंसा भड़काने वाले व्यक्ति के रूप में की गई है। मतलूम अहमद पर आईपीसी की धारा 307 के तहत हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया है। उस पर पथराव, हिंसा भड़काने और रैली पर हमला करने के लिए भीड़ को संगठित करने का आरोप है। इस मामले में वह फरार है, लेकिन एक विभागीय टीम उसकी तलाश में जुटी हुई है। आपको बतादें कि राजस्थान के करौली में तनाव का माहौल है । एक रिपोर्ट के अनुसार, लगाए गए कर्फ्यू के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए 1,200 से अधिक पुलिस कर्मियों को नियुक्त किया गया है। मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया गया है और कुल 46 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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PFI को थी हिंसा की पहले से खबर
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) भारत में एक चरमपंथी इस्लामी संगठन है, जिसे हिंसा की संभावना के बारे में पहले से जानकारी थी। उन्होंने हिंदू नव वर्ष पर हिंसा की संभावना के बारे में गहलोत सरकार को सख्त चेतावनी जारी की थी। भाजपा ने PFI और कांग्रेस सरकार के बीच संभावित संबंध पर सवाल उठाया है, भाजपा के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्विटर पर लिखा, “PFI ने गहलोत सरकार को करौली में हिंसा के बारे में पहले से एक पत्र लिखा था! उन्हें कैसे पता चला कि हिंसा होगी। हिंदू नव वर्ष शोभा यात्रा? यह संयोग था या प्रयोग? अगर पीएफआई को पता होता तो राजस्थान प्रशासन को कैसे पता नहीं होता?
PFI wrote a letter in advance to Gehlot govt about violence in Karauli !
How did they know that there would be violence targeting the Hindu New Year Shobha Yatra ? Was it Sanyog or Prayog?
If PFI knew how did Rajasthan administration not know? Or did look the other way? 1/n
— Shehzad Jai Hind (Modi Ka Parivar) (@Shehzad_Ind) April 4, 2022
पीएफआई ने 1 अप्रैल को लिखे अपने पत्र में वास्तव में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार को “बाहरी तत्वों” के बारे में आगाह किया था, जो सांप्रदायिक सौहार्द्र को बिगाड़ रहे थे, और अगर क्षेत्र में एक धार्मिक रैली निकाली गई तो झड़पें होंगी। पीएफआई समूह ने सरकार से आयोजकों के लिए एक अलग मार्ग निर्धारित करने या कार्यक्रम के दौरान कड़ी निगरानी रखने का अनुरोध किया था। आपको बतादें कि पीएफआई, एक चरमपंथी इस्लामी संगठन का गठन 2006 में राष्ट्रीय विकास मोर्चा के उत्तराधिकारी के रूप में किया गया था। पीएफआई, केरल में स्थित एक राजनीतिक संगठन, तथाकथित ‘धर्मनिरपेक्ष’ दलों का एक शीर्ष पसंदीदा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक आंख की रोशनी है। ऐसा माना जाता है कि पीएफआई 2006 के मुंबई और 2008 के अहमदाबाद विस्फोटों के मास्टरमाइंड सिमी की एक शाखा है। पीएफआई और इसकी छात्र शाखा सीएफआई सीएए के विरोध और हिजाब विवाद में सक्रिय रूप से शामिल रही है।
अभी इस घटना को लेकर जांच रही है, पर उससे पहले किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी। हालांकि, पीएफआई के इतिहास को देखते हुए, यह अनुमान लगाना अधिक मुश्किल लगता है, कि उन्होंने कानून और व्यवस्था के बिगड़ने से रोकने के लिए राजस्थान सरकार को चेतावनी दी थी। शायद यह PFI की चाल हो की वे संदेह के घेरे में न आएं।पर राजस्थान सरकार करौली मामले में पूरी तरह से घिर चुकी है। राजस्थान में कानून व्यवस्था चरमरा गई है, और सांप्रादियक ताकतों को भी इस सरकार में बढ़ावा मिलने से गहलोत सरकार पर सवाल खड़े हो गए हैं।