भारत की राजनीति में केजरीवाल सरीखा कोई सत्ता का भूखा नेता नहीं हुआ। हो सकता है लेख के इस वाक्य से आप बिलकुल भी सहमत ना हो। आपकी असहमति के पीछे का कारण अगले वाक्य में है, भारत की राजनीति में केजरीवाल सरीखा कोई राजनीतिक बहरूपिया नहीं हुआ। केजरीवाल ने पहले कहा की उन्हे राजनीति में नहीं आना लेकिन राजनीति में आने के लिए उन्होने अन्ना, आशीष खेतान, आशुतोष, प्रशांत भूषण और कुमार विश्वास सरीखे नेताओं को धोखा दिया और काँग्रेस से भी गठबंधन किया।
आम आदमी पार्टी की राजनीति का दंभ भरनेवाले केजरीवाल ने पंजाब विधानसभा में सबसे ज्यादा अपराधियों को टिकट दिया और जिताया भी। इतना ही नहीं स्वतंत्र पंजाब के प्रधानमंत्री बनाने का स्वप्न भी देख रहे है लगता है अब दिल्ली से उनका मन भी भर गया है। केंद्र शासित प्रदेश होने के कारण दिल्ली के सत्ता में वो सुख नहीं रहा जो पंजाब की सत्ता में है। शायद, इसीलिए केजरीवाल ने मान को मनमोहन या यूं कहें चन्नी में परिवर्तित कर खुद प्रियंका और सोनिया के भूमिका में आ गए हैं।
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सीएम भगवंत के बगैर पंजाब के अफसरों से मीटिंग
इसी भूमिका के कारण आम आदमी पार्टी के आप प्रमुख और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस बार विवाद की वजह पंजाब के अफसर हैं। मीडिया में खबर आई कि केजरीवाल ने पंजाब के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसको लेकर विवाद इसलिए खड़ा हो गया है क्योंकि केजरीवाल की इस बैठक में सीएम भगवंत मान मौजूद नहीं थे। इस पर विपक्षी बीजेपी और कांग्रेस ने केजरीवाल पर निशाना साधा है.
बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने मीडिया में खबरों का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए पूछा कि सीएम भगवंत की गैरमौजूदगी में अरविंद केजरीवाल ने किस हैसियत से पंजाब के अधिकारियों की बैठक ली? सिरसा ने ट्वीट में लिखा कि क्या भगवंत मान को इस मुलाकात की जानकारी है। अगर हां, तो उन्हें और केजरीवाल को पंजाबियों से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने पंजाब की हैसियत और प्रतिष्ठा को सरेंडर कर दिया है। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह बराड़ उर्फ राजा वडिंग ने भी केजरीवाल पर ऐसा ही सवाल उठाया है. उन्होंने एक बयान जारी कर पूछा है कि केजरीवाल ने इस तरह बैठक कैसे की? केजरीवाल ने भगवंत मान को सिर्फ नाम के लिए सीएम बनाया है और पर्दे के पीछे से वह सारा काम देखेंगे यानी केजरीवाल सुपर सीएम की तरह होंगे। ऐसे में अधिकारियों के साथ केजरीवाल की बैठक ने इस तरह की अटकलों को और बल दे दिया है कि खुद पर लगे आरोपों पर न तो भगवंत मान ने और न ही केजरीवाल ने कोई बयान दिया है।
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केजरीवाल, बीजेपी-कांग्रेस के साथ यूजर्स ने भी साधा निशाना
इस बीच, केजरीवाल की पंजाब के अधिकारियों के साथ बैठक का मुद्दा भी सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। सभी यूजर्स ने इसे टारगेट किया है. सोशल मीडिया पर लोगों ने भगवंत मान और केजरीवाल के इस कृत्य की लोग खूब भर्त्सना कर रहें हैं। लेकिन, हम सभी जानते हैं की केजरीवाल सुधरेंगे नहीं। पंजाब के लोगों के साथ छल हुआ और वो भी इतना बड़ा की अब पंजाब की सत्ता एक पंजाबी नहीं बल्कि दिल्ली में बैठे केजरीवाल चलाएँगे।
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