होइहि सोइ जो राम रचि राखा, यानी होना वही है जो प्रभु ने लिख दिया है तो हाथ-पांव और जबान चलाने से क्या ही हासिल हो जाएगा। कांग्रेस ने आज़ादी के बाद से ही अपनी छवि सेक्युलर बनाए रखी और सेक्युलर भी ऐसी कि हिन्दू के मुद्दे पर तटस्थ और मुस्लिम समुदाय के मुद्दों पर मुखर, इन्हीं कर्मों ने कांग्रेस की दशा ऐसी कर दी है कि संसद में प्रमुख विपक्षी पार्टी बनने के भी लाले पड़ रहे हैं, राज्यों में सरकार नहीं बची और जिन राज्यों में बची थी उन्हें उनसे भी हाथ धोना पड़ रहा है। ऐसे में मध्य प्रदेश की सियासी गर्मी तब बढ़ गई जब सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड खेलने का प्रयास कर रही कांग्रेस ने रामनवमी और हनुमान जयंती पर राज्य भर के सभी कांग्रेसी पदाधिकारियों, सांसद-विधायकों और नेताओं को इन पर्वों को भव्य ढंग से मनाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में कांग्रेस के इकलौते मुस्लिम विधायक आरिफ मसूद का दर्द छलक पड़ा और वो इस बात के विरोध में उतर आए। इसके बाद यह तो सिद्ध हो गया कि कांग्रेसी कितनी भी कोशिश कर लें, कितना भी नाटक-नौटंकी कर लें, वह अपनी मुस्लिम समर्थक वाली साझी विरासत को नहीं छोड़ सकती।
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कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने प्रदेश कांग्रेस इकाई प्रमुख कमलनाथ के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रामनवमी और हनुमान जयंती मनाने के निर्देश पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है और सभी धर्मों के लोगों को साथ लाती है। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की ओर से 2 अप्रैल को निर्देश जारी कर पार्टी कार्यकर्ताओं को क्रमश: 10 अप्रैल और 16 अप्रैल को रामनवमी और हनुमान जयंती के अवसर पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया गया।
जिसके बाद भोपाल सेंट्रल विधायक मसूद ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी मानी जाती है जो सभी धर्मों के लोगों को साथ लाती है, शीर्ष अधिकारियों के इस तरह के निर्देश गलत संदेश देंगे। उन्होंने कहा, “रमजान और अन्य धर्मों के त्योहारों को मनाने के बारे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए इस तरह के निर्देश क्यों नहीं जारी किए गए। एक राजनीतिक दल होने के नाते कांग्रेस को ऐसा सर्कुलर जारी नहीं करना चाहिए था, हम सभी धर्मों को साथ लेकर चलते हैं।”
मसूद ने कहा कि वह ऐसा कोई भी मुद्दा उठाने से नहीं हिचकिचाएंगे जो पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाए और उसके संविधान के खिलाफ हो। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में उनके सहयोगी और अन्य परिचित रामनवमी धूमधाम से मनाते हैं लेकिन कोई सर्कुलर जारी करने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं से आगामी ‘रामनवमी और हनुमान जयंती’ मनाने और सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करने को कहा था।
हिंदुओं को साधने की नाकाम कोशिश कर रही है कांग्रेस
चूंकि मध्य प्रदेश में सत्ता पर काबिज होने के बाद भी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अपनी सरकार को बचा नहीं पाई थी, ऐसी स्थिति में अब कांग्रेस को एक हिंदुत्व ही सहारा दिख रहा है जिससे 2023 के विधानसभा चुनाव में उसे सत्ता की सीढ़ी पुनः चढ़ने का अवसर मिल जाए। इसी क्रम में कांग्रेस अब सॉफ्ट हिंदुत्व पर केंद्रित होकर अपना दांव चल ही रही थी, लेकिन उन्हीं के नेता आरिफ मसूद ने पार्टी को दर्पण दिखा दिया कि कांग्रेस पार्टी का संस्कृति किसी एक धर्म के प्रति झुकाव रखते हुए काम करने की नहीं है। ऐसे में अब जब घर के भेदी ही पार्टी की लंका लगाएंगे तो कैसे चलेगा, इससे यह तो सिद्ध हो गया कि कांग्रेस पार्टी कितने भी हाथ-पैर मार ले पर वो मुस्लिम प्रेम से खुद को कतई दूर नहीं कर सकती! ऐसे में रामनवमी और हनुमान जयंती पर भव्य आयोजन करने के शिगूफे छोड़ना कांग्रेस को अब बंद कर देने चाहिए क्योंकि उससे उसे कोई लाभ नहीं होने वाला है!
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