Dear IMF, भारत की सराहना के लिए धन्यवाद, लेकिन चीन की बैंड बजाने हेतु आपका खून कब खौलेगा?

क्या WHO की भांति चीन का पालतू बन गया है IMF ?

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Source-TFI

श्रीलंका आज आर्थिक संकट से जूझ रहा है। श्रीलंका की आर्थिक हालत इतनी भयावह हो गई है कि उसके आम नागरिक सड़कों पर उतर चुके हैं। श्रीलंका की बुरी हालत का प्रमुख कारण चीन है जिसने श्रीलंका के सत्ताधारी यानी राजपक्षे परिवार को कठपुतली की भांति उपयोग में लाकर श्रीलंका के विनाश की पटकथा लिख दी। चीन के ऋण जाल में फंसा श्रीलंका आज दुनिया के सामने हाथ फैलाकर खड़ा है, लेकिन कई देश इससे कन्नी काट चुके हैं। कहा जाता है कि जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है, लेकिन श्रीलंका के संदर्भ में ये कहना बिल्कुल सटीक होगा कि जिसका कोई नहीं होता उसका भारत होता है। इसी बीच IMF ने मोदी सरकार द्वारा श्रीलंका की मदद को लेकर भारत की सराहना की है, लेकिन श्रीलंका को बर्बाद करने वाले चीन के लिए इसके मुंह से आवाज तक नहीं निकल रही है।

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श्रीलंका की मदद के लिए हुई भारत की सराहना

दरअसल, श्रीलंका के लिए भारत आज संकट मोचक बन कर उभरा है। श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है, बिजली कटौती दिन का क्रम बन गई है और देश ईंधन, भोजन और दवाइयों सहित आवश्यक आपूर्ति की भारी कमी से जूझ रहा है। भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में श्रीलंका को नई दिल्ली से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। भारत पहले ही 1.5 बिलियन डॉलर से अधिक की वित्तीय सहायता दे चुका है, जिसमें पड़ोसी देश को अपनी बड़ी चुनौतियों से निपटने में मदद करने के लिए ईंधन, भोजन और दवा खरीदने के लिए दो लाइन ऑफ क्रेडिट भी शामिल हैं। अब IMF भी भारत की दरियादिली का प्रशंसक हो चुका है और भारत की उदारता की भावना के लिए उसकी प्रशंसा करना शुरू कर दिया है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने सोमवार को श्रीलंका के आर्थिक संकट से निपटने में भारत की मदद की सराहना की। भारत द्वारा श्रीलंका को जबरदस्त मदद देने की पृष्ठभूमि में, IMF प्रमुख ने कोलंबो को अपनी तरफ से भी हर संभव मदद का आश्वासन दिया। जॉर्जीवा ने भारत को कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के सफल टीकाकरण कार्यक्रम के लिए भी बधाई दी। उन्होंने अन्य कमजोर देशों को COVID-19 राहत सहायता प्रदान करने के लिए भारत की भी सराहना की।

ध्यान देने वाली बात है कि IMF हाल के दिनों में भारत का समर्थन करने में काफी मुखर रहा है। सबसे पहले, इसने भारत को पिछले दो वर्षों में लगातार कोविड-19 लहरों में भी अपनी अर्थव्यवस्था को संभालने को लेकर सराहना की थी। IMF ने संरचनात्मक आधार पर अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए भारत के अभियान की भी सराहना की। साथ ही IMF ने 2022 में भारत को सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने का अनुमान लगाया है। भारत तेजी से एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। वास्तव में, IMF दुनिया भर के अन्य विकासशील देशों को केस स्टडी के रूप में भारत के अनुभवों की पेशकश कर सकता है।

क्या WHO की भांति चीन का पालतू बन गया है IMF ?

लेकिन श्रीलंका की मौजूदा हालत का जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ चीन है। हिंद महासागर में उसकी शोषणकारी नीतियों के कारण श्रीलंका खुद को आज संकट में डाल चुका है। पहले तो चीन ने श्रीलंका को कर्ज के जाल में फंसाया, उसकी रणनीतिक संपत्ति जब्त की और फिर समुद्री देश को छोड़ दिया। श्रीलंका कर्ज के बोझ तले दब गया है, जिसे वह चुकाने में असमर्थ है। श्रीलंका पर 45 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी कर्ज है, जो उसके नॉमिनल जीडीपी (2020) का लगभग 60% है। पिछले दशक में, चीन ने श्रीलंका को सड़कों, एक हवाई अड्डे और बंदरगाहों सहित परियोजनाओं के लिए $5 बिलियन (£3.7bn) से अधिक उधार दिया है। ऐसे में इसी वर्ष 2022 में, श्रीलंका को लगभग 4.5 बिलियन डॉलर का कर्ज चुकाना होगा। लेकिन एक तरफ जहां IMF ने विशेष रूप से श्रीलंका की मदद के लिए भारत की तारीफ की, तो वहीं उसे तबाह करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चीन की निंदा तक नहीं की है।

IMF को चीन को फटकारना चाहिए था, जिसने आग श्रीलंका को इस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। इसके बजाय यह संस्था इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए है और इस प्रकार चीन को दुनिया भर में अपनी डेब्ट ट्रैप नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है। यह IMF के लिए एक मिसाल कायम करने का मौका था। यह अंतरराष्ट्रीय संस्था भारत की तारीफों की बौछार कर रही है, पर वह चीन की शोषणकारी आर्थिक नीतियों के खिलाफ बोलने से बच रही है। अगर IMF अपनी वैधता बरकरार रखना चाहता है तो उसे एक स्टैंड लेना चाहिए। IMF को विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरह चीन का पालतू नहीं बनना चाहिए। IMF को उन देशों का साथ देना चाहिए जिसका शिकार चीन दशकों से कर रहा है। चीन के सामने IMF का खुल कर न बोल पाना दुखद है, क्योंकि चीन एक ऐसा बहरूपिया देश है जो व्यापार के नाम पर दूसरे देशों को कंगाल कर देता है और यही हाल श्रीलंका के साथ हुआ।

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