सपनों की नगरी मुंबई में बसा फिल्म उद्योग जहां पर अन्य राज्यों से कलाकार अपनी किस्मत आजमाने आते हैं लेकिन अगर बात करे बॉलीवुड की दुनिया की तो जितना चकाचौंध बॉलीवुड दिखती है उतना ही अंधेरा उसका अतीत और वर्तमान है। बॉलीवुड के कलाकार सहित कई सहकर्मी पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। एक और खबर जो बॉलीवुड से आई है जिसने आज कल सुर्ख़ियों में हैं। दरअसल टी-सीरीज़ के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, भूषण कुमार के खिलाफ एक बलात्कार का केस ने बवाल मचाया हुआ है। आपको बतादें कि मुंबई की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने हाल ही में टी-सीरीज़ के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, भूषण कुमार के खिलाफ एक बलात्कार मामले में पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया, जबकि शिकायतकर्ता महिला ने कहा कि उसे मामला बंद होने पर कोई आपत्ति नहीं है।
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आरआर खान के अनुसार, जांच के बारे में उल्लेखनीय बात यह थी कि अपराध दर्ज होने के बाद, न तो जांच अधिकारियों ने और न ही आरोपी ने गिरफ्तारी या अग्रिम जमानत मांगी। आपको बतादें कि पिछले जुलाई में, एक 30 वर्षीय महिला ने शिकायत दर्ज की, और मामला खोला गया। एक क्लोजर रिपोर्ट, जिसे “बी सारांश” रिपोर्ट के रूप में भी जाना जाता है, तब दायर की जाती है जब पुलिस मामले को जानबूझकर गलत के रूप में परिभाषित करती है या जब कोई सबूत नहीं होता है या जांच के बाद आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला होता है।
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जांच के आदेश
उत्तरजीवी ने नोटिस प्राप्त करने के बाद एक हलफनामा दायर किया, जिसमें दावा किया गया कि उसके द्वारा परिस्थिति जन्य गलतफहमी के परिणामस्वरूप आरोप लगाए गए थे। नतीजतन, वह अपने आरोपों को वापस लेना चाहती थी और उसे बी-सारांश रिपोर्ट की मंजूरी पर कोई आपत्ति नहीं थी। एक तीसरे व्यक्ति, मल्लिकार्जुन पुजारी ने, हालांकि, एक विरोध याचिका के माध्यम से रिपोर्ट की मंजूरी पर आपत्ति जताते हुए उसने पीड़िता की प्राथमिकी और उसके मामले का समर्थन करने के लिए उसे लिखे गए एक पत्र सहित विभिन्न दस्तावेजों को संलग्न किया।
मजिस्ट्रेट के अनुसार, इन पहलों ने स्थिति को जल्द से जल्द हल करने की भूषण कुमार की इच्छा को प्रदर्शित किया। नतीजतन, अदालत ने पुलिस को स्थिति की कानूनी जांच करने का निर्देश दिया। इसने जोनल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) को जांच पर कड़ी नजर रखने का भी निर्देश दिया। इसके अलावा, अदालत ने अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) को कानून का उल्लंघन करने के लिए शिकायतकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसने एपीपी को मुंबई के पुलिस आयुक्त और राज्य के पुलिस महानिदेशक को जांचकर्ताओं की कार्रवाई की रिपोर्ट करने का भी निर्देश दिया।
कानून दुरुपयोग करने पर कार्रवाई का निर्देश
वहीं कोर्ट ने कहा कि महिला ने कानूनी प्रावधानों का दुरुपयोग किया है और अपने निजी फायदे के लिए कानून का गलत इस्तेमाल किया है। जज ने भूषण कुमार और एक गवाह पर भी नाराजगी व्यक्त की जिन्होंने मामले में हस्तक्षेप के लिए याचिकाएं दाखिल की थीं। उन्होंने कहा कि दोनों के लिए मामले में हस्तक्षेप करने के लिए कोई आधार नहीं है और उन्होंने ऐसी याचिका दाखिल कर अपनी सीमाएं लांघ दी हैं। मैजिस्ट्रेट ने कहा कि भूषण कुमार के ये प्रयास बताते हैं कि वह कितनी जल्द से जल्द इस मामले से बचना चाहते हैं।
बता दें कि महिला (ऐक्ट्रेस) ने भूषण कुमार पर रेप और धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे। पीड़िता के मुताबिक भूषण कुमार ने उन्हें अपनी कंपनी के कुछ प्रोजेक्ट में काम देने का वादा करते हुए उनका रेप किया था। इस मामले में भूषण कुमार पहले ही सभी आरोपों को बेबुनियाद बता चुके हैं। अब यह तो आने वाले दिनों में यह पता चल सकेगा की भूषण कुमार की क्या स्थिति होने वाली है पर इस तरह के गंभीर आरोप के बाद बॉलीवुड क गलियारा फिर एक बार बदनाम हो गया है।
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