कांग्रेस के युवराज और कथित युवा नेता राहुल गांधी से नहीं संभल रहे हैं पार्टी के युवा!

कांग्रेस पार्टी खतम टाटा बाय बाय!

कांग्रेस युवा नेता

सौजन्य गूगल

युवा हाथ का साथ अब छोड़ सब परदेसी हो रहे हैं, ऐसी युवा शक्ति का क्या ही अर्थ जो अपने ही युवाओं को न संभाल पाए। कांग्रेस पार्टी वैसे भी अपने बुरे दौर से उबर नहीं पा रही है जो अब उसके पुराने से पुराने नेता उससे छिटककर अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अन्य दलों में जाकर उन दलों के वरिष्ठ नेता बन अपना पक्ष मजबूत कर रहे हैं।

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युवा नेतृत्वकर्ता राहुल गांधी के रहते ये क्या हो रहा है?

बीते 8 वर्षों में अनेकों युवा नेता कांग्रेस का हाथ और साथ महज इसलिए छोड़ गए क्योंकि उन्हें दरकिनार कर वयोवृद्ध नेताओं को तरजीह दी जा रही थी। ऐसे में कथित युवा नेतृत्वकर्ता राहुल गांधी जब वयोवृद्धों को स्थान देते चले गए तो अब कांग्रेस के पास युवा जोश के नाम पर मात्र खुद राहुल गांधी ही बचे रह गए। अब इसी छिटकने की कड़ी में जिस नाम का अनुमान लगाया जा रहा है वो हैं सोनिया गांधी के राइट हैंड माने जाने वाले दिवंगत नेता अहमद पटेल के बेटे फैसल पटेल जिन्होंने हाल ही में अपनी नाराज़गी जाहिर करते हुए कहा कि, “इंतजार करते-करते थक गया हूं। आलाकमान से कोई प्रोत्साहन नहीं है। अपने विकल्प खुले रख रहा हूं।”

बस इतने शब्द ही काफी होते हैं राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ाने के  लिए, यह कांग्रेस और उसके आलाकमान की करनी का ही फल है जो उसे आज अपने नेताओं से ऐसे बयानों की बरसात मिल रही है। कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाने वाले और सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का नाम कांग्रेस के शीर्ष  नामों में आता था। वर्ष 2020 कोरोना दौर में उनका निधन होने के बाद से ही कांग्रेस आलाकमान का रुझान पटेल के परिवार से एकदम खत्म सा हो गया था।

अहमद पटेल के बेटे फैसल पटेल ने उसी दर्द को ट्वीट के माध्यम से साझा आकर अपना अनुभव सार्वजानिक कर दिया। अब जिस प्रकार विकल्प खुले रखने की बात फैसल ने की हैं उससे यह अटकलें तेज़ हो गई हैं कि शीघ्र ही फैसल कांग्रेस से सभी संबंधों का परित्याग कर संभवतः आम आदमी पार्टी में शामिल होंगे।

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चुनाव से पहले एक अलग पार्टी में राजनीतिक करने की चर्चा

इस एक ट्वीट ने फैसल पटेल के इस साल के अंत में अपने गृह राज्य गुजरात में चुनाव से पहले एक अलग पार्टी में राजनीतिक शुरुआत करने के बारे में चर्चा शुरू कर दी। उन्होंने यह भी ट्वीट किया कि वह गुजरात के कुछ हिस्सों का दौरा करेंगे। उन्होंने 27 मार्च को ट्वीट किया कि, “1 अप्रैल से, मैं भरूच और नर्मदा जिलों की 7 विधानसभा सीटों का दौरा करूंगा। मेरी टीम राजनीतिक स्थिति की वर्तमान वास्तविकता का आकलन करेगी और हमारे मुख्य लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक होने पर बड़े बदलाव करेगी- भगवान की इच्छा से सभी 7 सीटें जीतें।”

आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख अरविंद केजरीवाल के साथ उनकी हालिया मुलाकात ने अटकलों को तेज कर दिया है। आप गुजरात में पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। ज्ञात हो कि, गुजरात से राज्यसभा सदस्य रहे दिवंगत अहमद पटेल कांग्रेस के संकटमोचक और गांधी परिवार के विश्वासपात्र थे। कोविड से उनकी मृत्यु हो गई थी।

यह सर्वविदित है कि कांग्रेस के राहुल गांधी जैसे युवा नेतृत्वकर्ता को इतनी ही अपने युवा नेताओं की चिंता होती तो वो इतने पुराने कांग्रेसी होने के बाद भी बागी नहीं होते। जैसे-जैसे कांग्रेस चुनावी राजनीति में हार का सामना करती गई, आलाकमान ने अपने नेताओं को धुत्कारना प्रारंभ कर दिया और परिणामस्वरूप पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह जैसे कई नेताओं ने पिछले दो वर्षों में पार्टी छोड़ दी है।  पांच राज्यों में अपनी हालिया चुनावी हार के बाद पार्टी को और हारों का डर है। पहले से ही कांग्रेस की गुजरात इकाई में मोहभंग की खबरें आ रही हैं इसके बाद यदि फैसल पार्टी को टाटा बाय बाय करते हैं तो निस्संदेह इस युवा नेतृत्व का अर्थ यही निकलेगा की राहुल गांधी ही कांग्रेस के बंटाधार के कारक हैं।

 

 

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