तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यूं लुटा, आज यह कथन पंजाब की उस आम आदमी पार्टी सरकार पर चरितार्थ हो रहा है, जो किसानों के दम पर और किसान आंदोलन के नाम पर सत्ता हासिल कर पाई थी पर आज आलम यह हो गया है कि यही किसान पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी सरकार को सवालों और मांगों के साथ घेरने लगे हैं। यह वही किसान हैं जिनके लिए किसान आंदोलन में दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने ऐसे राजस्व खोल दिया था जैसे घर का पैसा हो। तब चूंकि किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध दिल्ली के बॉर्डरों पर बैठे थे तो केजरीवाल और उनकी सरकार ने किसानों के लिए सारे कपाट खोल दिए थे और अब जब किसान पंजाब में प्रदर्शन कर रहे हैं तो सीएम भगवंत मान अपनी जुबान के साथ-साथ उनकी मदद हेतु अपना कपाट भी बंद कर चुके हैं।
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जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, पंजाब के किसान राशन, बिस्तर, पंखे, बर्तन और रसोई गैस सिलेंडर लेकर चंडीगढ़ के पास धरने पर बैठ गए हैं। पंजाब के किसान 10 जून से गेहूं पर बोनस और धान की बुवाई शुरू करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर आप सरकार पर दबाव बनाने के लिए राज्य की राजधानी जाने से रोके जाने के बाद मंगलवार को चंडीगढ़-मोहाली सीमा के पास धरने पर बैठ गए हैं। पंजाब सरकार को एक अल्टीमेटम में किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री भगवंत मान बुधवार तक प्रदर्शनकारियों के साथ उनकी शिकायतों के निवारण के लिए बैठक नहीं करते हैं, तो वे बैरिकेड तोड़ते हुए चंडीगढ़ की ओर बढ़ेंगे।
कई किसान संगठनों के अनिश्चितकालीन विरोध के आह्वान के मद्देनजर चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। किसानों को चंडीगढ़ में प्रवेश करने से रोकने के लिए मोहाली पुलिस ने बैरिकेड्स, टिपर और वाटर कैनन लगा दिए हैं। चंडीगढ़ पुलिस ने भी इसी तरह के सुरक्षा इंतजाम किए। ऐसे में दिल्ली के वो दिन सबके सामने आ गए जब दिल्ली में किसानों को इसी आम आदमी पार्टी ने साम-दाम-दंड-भेद वाली नीति के साथ पूरा सहयोग दिया था। अपने वोट बैंक के चक्कर में उन्हें फ्री वाई-फाई और टेंट से लेकर त्रिपाल तक मुहैया कराने में आम आदमी पार्टी ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थीं और खुद को किसानों का हिमायती दिखाने का पूरा प्रयास किया था।
पर आज समय भी वही है, स्थिति भी कमोवेश वही है बस राज्य अलग है और किसानों का टारगेट अलग है, हां पार्टी वही है बस विचार और प्रतिक्रिया अलग है। आम आदमी पार्टी ने सरकार बनाने के लिए तो खूब जीहुज़ूरी और तलवाचट्टी की, पर जैसे ही इस पार्टी ने पंजाब में सत्ता हासिल की वैसे ही किसानों से उसका व्यवहार “तुम कौन और हम कौन” वाला हो गया। जो नेता अब तक साथ बैठकर बात करता था, आज वो प्रदर्शनकारी किसानों को भगाने के लिए बैरिकेड्स, टिपर, पानी की बौछारों का इस्तेमाल करने पर उतारू है।
किसानों से अपना पल्ला झाड़ने में लगी है AAP
बताते चलें कि मोहाली पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को चंडीगढ़ में प्रवेश करने से रोकने के लिए बल का प्रयोग किया। चंडीगढ़ पुलिस ने भी इसी तरह के सुरक्षा इंतजाम किए थे। एक किसान नेता ने कहा, “यह पंजाब में हमारे संघर्ष की शुरुआत है और यह तब तक जारी रहेगा जब तक कि हमारी मांगें पूरी नहीं हो जाती। अभी तक केवल 25 प्रतिशत किसान ही यहां आए हैं, कल और आएंगे। यह करो या मरो की लड़ाई है।” अपनी विभिन्न मांगों के बीच, किसान प्रत्येक क्विंटल गेहूं पर ₹500 का बोनस चाहते हैं क्योंकि अभूतपूर्व गर्मी की स्थिति के कारण उनकी उपज कम हो गई है। वे बिजली के बोझ को कम करने और भूमिगत जल के संरक्षण के लिए 18 जून से धान की बुवाई की अनुमति देने के पंजाब सरकार के फैसले के भी खिलाफ हैं। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि सरकार उन्हें 10 जून से धान की बुवाई की अनुमति दे। वे मक्का और मूंग के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए अधिसूचना भी जारी करना चाहते हैं। ऐसे में किसानों का यह विरोध पंजाब की AAP सरकार के खिलाफ शुरू तो हो गया है पर इसका अंजाम क्या होगा इस पर सभी की नजरें टिकी हुई है। पर यह आम आदमी पार्टी के नीचता की पराकाष्ठा है कि जिनके बूते पर सरकार बनाई आज भगवंत मान सरकार उन्हें ही निपटाने का षड्यंत्र रचने में लगी हुई है।
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