ये 21वीं सदी है, ये आधुनिक भारत है, हमें घृणा के दलदल में नहीं रहना। ये कोई मोटिवेशनल लेक्चर नहीं है बंधु, हमें सच में आगे बढ़ना है। हमारा देश बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है, परंतु बॉलीवुड का दिल्ली प्रेस क्लब का तो हाल ही कुछ और है। इस लेख में हम फिल्म ‘अनेक’ के रिव्यू को जानेंगे। जानेंगे कि कैसे ये फिल्म अनेकता में एकता के नाम पर न घर की रही और न ही घाट की रही।
मुख्य भूमिका में हैं आयुष्मान खुराना
अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित इस कृति में मुख्य भूमिका में हैं आयुष्मान खुराना, जिनका साथ देते हैं मनोज पाहवा, एन्ड्रिया केवीचुसा, जे डी चक्रवर्ती इत्यादि। ये फिल्म कहने को तो मूल रूप से पूर्वोत्तर के साथ हुए भेदभाव और वहां के राजनैतिक अस्थिरता पर आधारित है, पर ये पूर्वोत्तर की समस्या पर कम और दिल्ली प्रेस क्लब की बकैती अधिक लगती है, जिसका प्रमाण हमें ‘आर्टिकल 15’, ‘मुल्क’, यहां तक कि ‘थप्पड़’ तक में अनुभव सिन्हा देते आए हैं।
जब ये संवाद सामने आया, “अगर इंडिया के मैप से स्टेटस के नाम छुपा दूं तो कितने इंडियन हर स्टेट के नाम पर उंगली रख सकते हैं?” अच्छा जी, बहुत अच्छे, पर जब त्रिपुरा और मिज़ोरम वाला डायलॉग आया, तो मुझे पूर्ण विश्वास हो गया कि मेरा प्रिय अनुभव सिन्हा कहीं नहीं गया है, पूर्वोत्तर के चित्रण पर भी रजकर मट्टी पलीत करेंगे।
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बात जब पूर्वोत्तर की आयी ही है तो अनुभव महोदय जताना चाहते हैं कि भारतवासी तो उजड्ड गंवार हैं, पूर्वोत्तर को भारत का हिस्सा मानते ही नहीं। एक बात बताओ बे अमीरों के विवेक अग्निहोत्री, एनडीए का सर्वोच्चवीरता सम्मान, यानी सर्वोच्च विद्यार्थी का स्वर्ण पदक किसके नाम पर रखा गया है? गूगल किए बिना बताने का साहस है? हम बताते हैं, नाम है वीर लाचित बोरफुकान, जिन्होंने औरंगज़ेब और उनके मुगलों का मार मारके भूत बना दिया था? कहां से थे, पता है, वीरों की भूमि, असम से, जो हिंसा के परिप्रेक्ष्य में एक समय पर कश्मीर से कम उत्तेजक नहीं था और इसकी राजधानी है, दिसपुर।
जिस भूमि पर भारत ने चीन के लोगों को नाकों चने चबवाने पर विवश कर दिया था, उसी पवित्र भूमि पर कभी परमप्रतापी, कौंतेय अर्थात कुंतीपुत्र अर्जुन ने महादेव को प्रसन्न करने हेतु कठोर तपस्या की थी, और उनकी परीक्षा लेने के लिए महादेव किराट नामक आखेटक के रूप में प्रकट हुए। अब बताइए, इस सिक्किम की राजधानी क्या है? उत्तर है गंगटोक। और ये बात उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर में जन्म एक उज्जड गंवार आपसे बेहतर जानता है अनुभव सिन्हा, क्योंकि दिग्भ्रमित करने के लिए न आपके जर्मनी वाले मित्रों की आवश्यकता है और न ही JNU के झोलाछाप क्रांतिकारियों की।
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ट्विटर पर ‘अनेक’ को धो डाला
परंतु ये तो कुछ भी नहीं है, अगर इस व्यक्ति की वास्तव में किसी ने धुलाई की है तो इस मणिपुरी की बहन ने की है और क्या खूब की है। Chitra Ahanthem नामक इस विचारक ने ‘अनेक’ को उसके खोखलेपन के लिए धोते हुए ट्वीट किया, “इस फिल्म का शुरुआती वॉइसओवर कहता है कि पूर्वोत्तर विभिन्न राज्यों से बना है। परंतु वो भावना सिर्फ उस लाइन तक ही सीमित है, क्योंकि बाकी सब एक ही लाइन में ठूंस दिया जाता है। जोशुआ जो आयुष्मान का किरदार है के आते ही ऐसे दिखाया जाता है कि वही सब संभाल सकता है, उसके अलावा कोई संकट का निवारण नहीं कर सकता” –
The opening voiceover does say NE India is made of different states. But after that one line, they conflate everything into a lump. 'Joshua' as a name is all it takes for #AyushmannKhurrana to be looked on as the saviour and trusted by everyone. His real name is Aman (peace)
— Chitra Ahanthem (@ChitraAhanthem) May 27, 2022
परंतु ठहरिए, ये बात यहीं पर नहीं रुकती। चित्रा जी आगे ट्वीट करती है, “कुछ डायलॉग नागा और मणिपुरी भाषा में डाल दिए जाते हैं, ताकि दावा कर दें कि हां, हम इंकलूसिव हैं। समस्या क्या है? आपके किरदार न तो नागा हैं और न ही मणिपुरी हैं। चलिए, एक बार को इसे कल्पना मान लें, पर सबकी अधपकी खिचड़ी बनाना जरूरी है क्या?”
कुल मिलाकर अनेक कुछ नया नहीं है। ये न केवल भारतीयों में फूट डालने का एक कुत्सित प्रयास करती है अपितु पूर्वोत्तर को दिल्ली प्रेस क्लब के चश्मे से देखने का भी निम्नतम प्रयास करती है, जिसके लिए हम लोगों के मन में एक ही प्रश्न उत्पन्न होता है – कौन हैं ये लोग।