भाजपा जब नरेन्द्र दामोदर दास मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही थी तब भाजपा ने गानेवाला एक प्रचार वीडियो जारी किया। उसके बोल थे- “सौगंध मुझे इस मिट्टी की मैं देश नहीं टूटने दूंगा” यह गाना सिर्फ भाजपा के प्रचार का बोल नहीं, बल्कि यह हर सच्चे भारतीय देशभक्त के दिल से निकला श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति और पवित्रतम उदगार है। अतः केजरीवाल, मान, अवाना, फलाना-धिम्काना या फिर किसी को भी लगता है कि पंजाब हलवा है या फिर उससे 2 मिनट में खालिस्तान निकाल लेंगे तो वह सबसे बड़े मुगालते में हैं। हमारे राष्ट्रगान की पंक्ति पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा, द्रविड़, उत्कल, बंग भी यही इंगित करती है कि भारत की अवधारण पंजाब के बिना आधूरी है और इसमें पाक शासित पंजाब का क्षेत्र भी है। पंजाब भगवा भाईचारा या फिर केसरिया भाईचारा की सबसे पवित्रतम कृति है। खालिस्तान कभी साकार नहीं होगा और भिंडरावाले हमेशा एक आतंकी रूप में ही याद किया जायेगा। पंजाब भारत का था, है और रहेगा चाहे खालिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाकर रहे या फिर जिंदाबाद के, और जो जिंदाबाद के नारे लगायेंगे वो बक्शे नहीं जायेंगे।
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पटियाला हिंसा के मास्टरमाइंड का हुआ खुलासा
हाल ही में, पंजाब के पटियाला में पिछले शुक्रवार को हिंदू संगठनों के खिलाफ हिंसक झड़पों के बाद, पंजाब पुलिस ने रविवार को सिख नेता बरजिंदर सिंह परवाना को मोहाली से गिरफ्तार किया। उन पर ‘खालिस्तान मुर्दाबाद मार्च’ के खिलाफ सिखों को उकसाने और ‘मां काली मंदिर’ पर हमला करने के आरोप लगे हैं। पुलिस ने मास्टरमाइंड बरजिंदर के साथ हिंसा के सिलसिले में छह अन्य आरोपियों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की थी। गिरफ्तारी के बाद, परवाना को तुरंत एक अदालत में पेश किया गया और चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया।
हालांकि, कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बरजिंदर सिंह परवाना की यह पहली मुलाकात नहीं है। एक मुखर खालिस्तान समर्थक और भिंडरावाले का हमदर्द परवाना पिछले कुछ समय से पुलिस के रडार पर है। एक साल से कम समय में यह दूसरी बार है जब उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
कथित तौर पर, पिछले साल जुलाई में, परवाना को मोहाली पुलिस ने शिवसेना नेता सुधीर सूरी के शिकायत दर्ज कराने के बाद गिरफ्तार किया था। उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153, 505 और 120 के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें दंगा भड़काने के इरादे से उकसाने वाले बयान, सार्वजनिक रूप से धमकी देने वाले बयान और दंडनीय अपराध को योजनाबद्ध तरीके से छिपाना शामिल है।
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बरजिंदर सिंह परवाना ने जारी किए थे वीडियो
इसके अलावा, शिवसेना (बाल ठाकरे) द्वारा आयोजित 29 अप्रैल के कार्यक्रम से पहले बरजिंदर सिंह परवाना ने अपने फेसबुक अकाउंट पर कई वीडियो अपलोड किए थे, जहां उन्होंने सशस्त्र खालिस्तानियों से उक्त तिथि पर पटियाला में इकट्ठा होने और हिन्दुओं पर हमला करने का आग्रह किया था। एक वीडियो में, परवाना को अपने गुंडों को उकसाने और मामले को अपने हाथों में लेने के लिए कहते हुए सुना जा सकता है। वीडियो में उसने कहा है कि “आप सभी को 29 अप्रैल के लिए तैयार रहना चाहिए। मैं बाद में सब कुछ स्पष्ट करूंगा। 29 अप्रैल से पहले हमें एक कदम उठाना पड़ सकता है। यह आपका धार्मिक कर्तव्य है। क्या आप पूरी तरह से तैयार हैं? यदि आपके पास कोई लाठी या कोई अन्य हथियार है, तो ले आओ।”
एक अन्य वीडियो में उसने कहा, “क्या आप 29 अप्रैल के लिए तैयार हैं? क्या आप सभी बड़ी संख्या में आएंगे या यह एसएसपी कार्यालय का दौरा करने जैसा होगा? क्या आप में हिम्मत है अपने घर से बाहर निकलने की या पटियाला के सिख केवल दुकानें खोलने और पैसा कमाने के लिए ही अच्छे हैं? हम सब गुरुद्वारा दुखनीवारन साहिब पटियाला में इकट्ठा होंगे।“ हालांकि, यह ध्यान रखने योग्य है कि अपने अनुयायियों को चारों ओर से हिन्दुओं को घेरने और शिवसेना (बाल ठाकरे) पर हमला करवाने के बावजूद परवाना खुद कभी भी कार्यक्रम स्थल पर नहीं आया। हिंसा समाप्त होने के बाद ही वह गुरुद्वारा पहुंचा और कुछ ही देर बाद अपना चेहरा छिपाते हुए बाइक से भाग गया।
ध्यान देने वाली बात है कि परवाना को सनी के नाम से भी जाना जाता है। वह कथित तौर पर स्नातक है और 2007-2008 में सिंगापुर गया था। वो 18 महीनों के बाद पंजाब लौटा और फिर राजपुरा में दमदमी टकसाल जत्था नाम से अपना धार्मिक संस्थान स्थापित किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से उसने नियमित रूप से अपने कट्टरपंथी वीडियो प्रकाशित किए, फिर परवाना ने कथावाचक बरजिंदर सिंह परवाना की उपाधि अर्जित की। कई मौकों पर, उसने गुरु ग्रंथ साहिब जी या अन्य सिख प्रतीकों की बेअदबी करने वालों को मारने का आह्वान भी किया। कई तस्वीरों में उन्हें खालिस्तानी आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरावाले का बड़ा टैटू गुदवाये देखा जा सकता है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, बरजिंदर सिंह परवाना गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के खिलाफ मुखर रहे हैं और 1984 के दिल्ली दंगाइयों के खिलाफ भी मुखर रहे हैं। उसने 2020-2021 में केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन में भी भाग लिया था।
पटियाला में मचा था बवाल
जैसा कि टीएफआई द्वारा व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया था कि शुक्रवार को खालिस्तानियों की एक कर्कश और अराजक भीड़ पटियाला जिले में इकट्ठा हुई और पवित्र मां काली मंदिर के बाहर हिंदू संगठनों के सदस्यों पर हमला किया। इसके बाद खालिस्तानियों ने बर्बरता और उन्माद में भांगड़ा किया, जबकि असहाय पंजाब पुलिस सिर्फ हवाई फायरिंग करती रही। कथित तौर पर, यह घटना शिवसेना (बाल ठाकरे) द्वारा निकाले गए ‘खालिस्तान मुर्दाबाद’ मार्च के दौरान हुई थी।
इसी पर भड़के खालिस्तानियों ने तलवार से मार्च पर हमला कर दिया। अधिकारियों ने कहा कि इस घटना के बाद पथराव भी हुआ और इस झड़प में दो पुलिसकर्मियों सहित कम से कम चार लोग घायल हो गए। सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में, खालिस्तानियों को मां काली मंदिर पर हमला करते देखा जा सकता है, जबकि दूसरी वीडियो में प्रदर्शनकारियों की एक भीड़ को पटियाला में एक चौराहे को अवरुद्ध करते हुए और “खालिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाते हुए देखा जा सकता है।
आपको बताते चलें कि पंजाब में आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से खालिस्तानियों का आत्मविश्वास बढ़ा है। भगवंत मान और राघव चड्ढा ने हाल ही में यूके के सांसद तनमनजीत सिंह ढेसी से मुलाकात की है। बंद दरवाजों के पीछे एक कट्टर खालिस्तानी समर्थक से मुलाकात और इसके तुरंत बाद दो धार्मिक समुदायों के बीच झड़पें शुरू होना केजरीवाल सरकार के गलत मंशाओं को उजागर कर रही है।
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