पहले नैतिकता को तार-तार करते हैं, बहलाकर धर्मांतरण कराते हैं और जब ऐसी आपराधिक कृत्यों को रोकने के लिए कानून आए तो उसे न्यायोचित नहीं है कहकर उसका विरोध करते हैं! हमारे देश में ऐसे तत्वों और संस्थानों की भरमार है जहां अवैध रूप से भ्रमित कर धर्मांतरण किया जाता है। देश के कई राज्यों ने धड़ल्ले से हो रहे अवैध धर्मांतरण को रोकने हेतु धर्मांतरण विरोधी कानून बनाए हैं, जिससे बल, अनुचित प्रभाव या प्रलोभन के माध्यम से होने वाले धर्मान्तरण को रोका जा सके। इस कानून के अनुसार यदि धर्मांतरण लालच, बल प्रयोग, कपटपूर्ण तरीके से किया जाता है या कराया जाता है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई होती है। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि अब कुछ संगठनों ने इस कानून पर आपत्ति जताई है। इसके विरोध में “मौलिक अधिकार” का झंडा लेकर वो मिशनरियां और कैथोलिक यूनियन उतर गए हैं, जिनका सिद्धांत केवल कन्वर्ट-कन्वर्ट और कन्वर्ट होता है!
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दरअसल, रोमन कैथोलिक चर्च के अनुयायियों के संगठन ऑल इंडिया कैथोलिक यूनियन (AICU) ने मंगलवार को कहा कि वह राज्यों द्वारा पारित धर्मांतरण विरोधी कानूनों को अदालत में चुनौती देगा। AICU के राष्ट्रीय अध्यक्ष लैंसी डी कुन्हा ने कहा कि “समाज, विभिन्न राज्यों द्वारा पारित धर्मांतरण विरोधी कानूनों को चुनौती देगा क्योंकि वे भारतीय संविधान के अक्षर और भावना के खिलाफ जाते हैं और लक्षित हिंसा को ट्रिगर करते हैं।” उनका बयान धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के कर्नाटक संरक्षण विधेयक 2021 जिसे लोकप्रिय रूप से धर्मांतरण विरोधी बिल के रूप में जाना जाता है, के अनुमोदन पर आया है जिसे भाजपा सरकार द्वारा एक अध्यादेश के माध्यम से पेश किया गया था और बाद में राज्यपाल द्वारा अनुमोदित किया गया था।
वैसे ही कट्टरपंथियों के कर्मों का लेखा-जोखा इतना गिरे स्तर का है कि उसकी यह हरकत अन्य हरकतों के मुकाबले कहीं नहीं ठहरती है। धर्मांतरण को मौलिक अधिकार बताने वाले इस यूनियन का आधार भले ही संविधान के अनुकूल हो, पर सत्य तो यह है कि इन सभी संस्थानों ने कन्वर्ट पॉलिसी की आड़ में पूर्व में कई ऐसे काम किए हैं, जिससे न जाने कितने हिन्दू और गैर ईसाई तबकों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है। पर इन्हें वही ‘हनन’ दिखा जो सरकार ने किया भी नहीं, पर इन्होंने थोप दिया कि सरकार ऐसा कर रही है।
AICU के राष्ट्रीय अध्यक्ष लैंसी डी कुन्हा इतने में ही नहीं रुके, उन्होंने कहा, “हालांकि, धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा की आड़ में, इन धर्मांतरण विरोधी कानूनों ने अल्पसंख्यक समुदायों, उनके पादरियों और संस्थानों को आतंकित करने के लिए गांवों, छोटे शहरों और जिलों में गुंडों की सतर्कता और राजनीतिक नेताओं को सशक्त बनाने में मदद की है।” उन्होंने आगे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों से “राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं द्वारा उठाए गए भड़काऊ कदमों को समाप्त करने के लिए तत्काल कदम उठाने” की अपील की। मतलब कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा, इन सभी यूनियनों ने मिलकर भानुमति का कुनबा ही जोड़ा। कन्वर्ट काराओ खुद, लोभ दिखाओ खुद और गलती किसकी मोदी जी की!
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