WHO के सबसे ‘बेकार’ चीफ थे डॉ टेड्रोस, लेकिन उन्हें पुन: उसी पद के लिए चुना गया है

टेड्रोस का पुन: चयन विश्व के लिए एक झटके के समान है !

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Source- TFIPOST.in

जितना चाटुकार नेतृत्वकर्ता उतना घटिया निकाय, यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए एकदम सटीक बैठता है। अब टेड्रोस एडनॉम गिब्रेयेसस की पुनः महानिदेशक के रूप में हुई नियुक्ति के बाद तो और भी प्रासंगिक हो चुका है। निस्संदेह जब आप शीर्ष पर अक्षम लोगों को चुनते हैं, तो आप अक्षमता पैदा करते हैं, यह टेड्रोस की पुनर्नियुक्ति में साफ़ झलकता है। विश्व के स्वास्थ्य की संभाल करने की बातें करने वाला विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अपने स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने में असफल दिखाई दे रहा है। यदि वो इस निकाय को सकारात्मक ढर्रे पर ले जाना चाहते तो दूसरी बार महानिदेशक के रूप में टेड्रोस एडनॉम गिब्रेयेसस की पुनः नियुक्ति नहीं करते।

दरअसल, WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉम गिब्रेयेसस को संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी के सदस्य देशों द्वारा मंगलवार को दूसरे पांच साल के कार्यकाल के लिए फिर से नियुक्त किया गया था। किसी भी अन्य उम्मीदवार ने टेड्रोस को पद के लिए चुनौती नहीं दी थी। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, टेड्रोस को सभा में भाग लेने वाले 160 देशों में से 155 का समर्थन मिला। अपनी पुनर्नियुक्ति के बाद टेड्रोस एडनॉम गिब्रेयेसस के कहा कि, “मैं सदस्य देशों का आभारी हूं, जिन्होने मुझ पर विश्वास जताया। मैं सभी स्वास्थ्यकर्मियों और सहकर्मियों को धन्यवाद देता हूं, जिनके साथ में मैं यात्रा जारी रखने के लिए उत्सुक हूं।”

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महामारी में चीन को संरक्षण देते रहे टेड्रोस एडनॉम गिब्रेयेसस

ज्ञात हो कि, कोरोना महामारी की शुरुआत से ही टेड्रोस एडनॉम गिब्रेयेसस के रुख और बर्ताव के लिए उन्हें कई बात चीन परस्त होते हुए देखा गया है और उसके लिए उन्हें कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ द्वारा अपनाए गए दोहरे मापदंड और दृष्टिकोण से अवगत अधिकांश लोगों के लिए टेड्रोस का पुन: चयन एक झटके के समान ही है। डब्ल्यूएचओ पूरी महामारी के शुरुआत से ही प्रत्येक लहर दौरान अपनी हरकतों के लिए बदनाम रहा है। शुरुआत से ही, चीन को वायरस फैलाने वाला बोलने के बजाय उसे हर प्रकार का संरक्षण देने के लिए टेड्रोस एडनॉम गिब्रेयेसस को जिम्मेदार ठहराया गया था। उस क्षण से ही पैसा-खाऊ और भ्रष्ट छवि के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी फजीहत कराने के साथ ही विश्वसनीयता भी खोनी शुरू कर दी थी और कारक कोई और नहीं उसके महानिदेशक यही टेड्रोस एडनॉम गिब्रेयेसस थे।

बाद में यह कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल गया। उसके बाद भी टेड्रोस की चीन की परिक्रमा और पूजा खत्म नहीं की। जब चीन हर दिन वुहान वायरस के हजारों नए मामले दर्ज कर रहा था, तो डब्ल्यूएचओ ने अमेरिका और भारत जैसे देशों को चीन से आने-जाने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला करने के लिए फटकार लगाई थी। चौंकाने वाली बात यह थी कि मार्च 2020 में डब्ल्यूएचओ ने 40 पन्नों की रिपोर्ट पेश की कि चीन सरकार ने वुहान वायरस से कितनी अच्छी तरह निपटा है। महामारी के दौरान टेड्रोस के नेतृत्व वाला डब्ल्यूएचओ इस बात से इनकार करता रहा कि कोविड की उत्पत्ति चीन से हुई है। डब्ल्यूएचओ ने वुहान को कोरोना का उत्पत्ति गढ़ बनने से बचाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद तक का जोर लगा दिया था मात्र इसलिए क्योंकि टेड्रोस एडनॉम गिब्रेयेसस ने चीन के साथ अपनी दोस्ती को बचाना और नमक अदा करना था।

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WHO की विफलता विश्व भर में जगजाहिर है

यह सर्वविदित है कि, जब कोरोना से निपटने की बात आई थी, तो डब्ल्यूएचओ की विफलता जगजाहिर हो गई थी। यह दुनिया के देशों के बीच एक सहकारी ढांचे को प्रज्वलित करने में विफल रहा। दुनिया के बड़े-बड़े देश बाएँ, दाएँ और मध्य में अपनी अधिशेष दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रहे थे और डब्ल्यूएचओ मूकदर्शक बना हुआ था।

यहां तक ​​कि जब कोरोना के संभावित टीके सामने आए, तब भी डब्ल्यूएचओ उनकी प्रभावशीलता की जांच करने में विफल रहा। इस तर्क के समर्थन में उपलब्ध विश्वसनीय आंकड़ों के बावजूद कि बड़ी फार्मा ने कम शक्तिशाली टीके विकसित किए थे, डब्ल्यूएचओ ने पूरी दुनिया के सामने इसका खुलासा नहीं किया। बाद में, कुछ प्रतिरक्षा विज्ञानी और विकासवादी जीव विज्ञानी भी यह कहते हुए सामने आए कि जल्दबाजी में लगाए गए टीके प्रतिकूल थे क्योंकि इसने मानव शरीर को और अधिक रूपों में उजागर किया।

इसके अलावा, टेड्रोस के कार्यकाल के दौरान, डब्ल्यूएचओ भी एक राजनीतिक संगठन में बदल गया। पिछले साल जनवरी में उसने कश्मीर को भारत के नक्शे से काट दिया। यह सत्य है कि, संगठन अब अपने सदस्य देशों की संप्रभुता को नष्ट करने पर आमादा है। टेड्रोस के दोबारा चुने जाने से डब्ल्यूएचओ ने एक घटिया मिसाल कायम की है। इसने दुनिया से कहा है कि उनका स्वास्थ्य और भलाई प्राथमिक चिंता नहीं है, उनकी प्राथमिक चिंता अपने राजनीतिक आकाओं की रक्षा करना है और वो पांच साल के लिए पुनर्नियुक्ति के साथ ही इसकी पूर्ति करने के लिए पुनः तैयार हैं।

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