आप सभी सोशल मीडिया पर ये छंद कभी न कभी तो शेयर किया ही होगा, “ऐसी वाणी बोलिए की जमकर झगड़ा होय, पर उनसे न पंगा लीजिए जो आपसे तगड़ा होय!” अब अपने राहुल बाबा इस विषय पर घोर अज्ञानी है, या इस बात को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल फेंकते हैं। तभी वे पहले सुब्रह्मण्यम जयशंकर के हाथों खरी खोटी सुनने के बाद अब हिमंता ने इस अज्ञानी सांसद को आड़े हाथों लिया है।
यह वीडियो ‘आइडिया फॉर इंडिया’ नामक एक सम्मेलन से है, जो कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में आयोजित कराई गई। परंतु ये भारत के संदर्भ में आयोजित एक सम्मेलन कम, और विपक्षी सांसदों का समागम अधिक प्रतीत हो रहा था, जिन्होंने इस मंच का उपयोग करते हुए मोदी के विरुद्ध अपनी कुंठा के नाम पर भारत के विरुद्ध अनर्गल प्रलाप प्रकट किया। इसके साथ ही विदेशी धरती पर बैठकर, विदेशी लोगों के कार्यक्रम में शामिल होकर राहुल गांधी ने कहा कि आज भारत के लोकतंत्र की स्थिति अच्छी नहीं है। राहुल बाबा के अनुसार, ‘बीजेपी ने पूरे देश में केरोसिन छिड़क दिया है। एक चिंगारी और हम सब एक बड़े संकट में पहुंच जाएंगे’।
This is height of fake intellectualism!
Assam never 'negotiated peace' with India. With Gandhiji's support, Gopinath Bordoloi had to struggle to keep Assam with Bharat Mata since Nehru left us to be with Pakistan as per Cabinet Mission Plan.
Get your facts right, Mr Gandhi. pic.twitter.com/jx7Cz3VOGH
— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) May 21, 2022
परंतु महोदय यही पर नहीं रुके। भारत एक राष्ट्र नहीं के अपने हास्यास्पद, परंतु खतरनाक सिद्धांत को विस्तृत रूप से बताते हुए इन्होंने बताया कि कैसे भारत कुछ प्रांतों का समूह जो शांतिपूर्ण तरह से एक हुए। इसी बात पर आगे चर्चा करते हुए जब राहुल ने उल्लेख किया कि कैसे यूपी, महाराष्ट्र, असम, तमिलनाडु इत्यादि मिलकर एक प्रकार का शांति समझौता किए, जिससे हमारे आधुनिक भारत की नींव पड़ी”
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इस पर हिमंता बिस्वा सरमा भड़क गए और उन्होंने एक ट्वीट में राहुल गांधी के खानदान की कलई खोलते हुए कहा,
“बौद्धिक झूठ की भी सीमा होती है!” असम ने कभी भी भारत के साथ ‘शांति समझौता’ नहीं किया। यदि गांधी जी का समर्थन न मिलता, तो गोपीनाथ बोरदोलोई को असम को भारत माता के साथ एकीकृत करने हेतु बहुत संघर्ष करना पड़ा, क्योंकि जवाहरलाल नेहरू ने तो कैबिनेट मिशन प्लान के अनुसार हम असम वासियों को पाकिस्तान के हवाले कर दिया था। अपने तथ्यों को ठीक से जांच लें श्रीमान गांधी!”
This is height of fake intellectualism!
Assam never 'negotiated peace' with India. With Gandhiji's support, Gopinath Bordoloi had to struggle to keep Assam with Bharat Mata since Nehru left us to be with Pakistan as per Cabinet Mission Plan.
Get your facts right, Mr Gandhi. pic.twitter.com/jx7Cz3VOGH
— Himanta Biswa Sarma (Modi Ka Parivar) (@himantabiswa) May 21, 2022
यदि आप भी सोच रहें हैं कि इनके खानदान ने ऐसा क्या किया कि असम लगभग पाकिस्तान के हाथों में पहुँच चुका था तो तनिक संक्षेप में आपको समझाते हैं। स्वतंत्रता के समय द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात ब्रिटिश प्रशासन को ज्ञात हो चुका था कि अब लंबे समय तक भारत में रहना उनके लिए श्रेयस्कर नहीं। इस बात की पुष्टि लाल कोट की कार्रवाई एवं तद्पश्चात रॉयल नेवी एवं रॉयल इंडियन एयर फोर्स के संयुक्त विद्रोह से सिद्ध हो चुकी थी।
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अतः भारतीय स्वतंत्रता की मांगों पर चर्चा करने हेतु ब्रिटिश सरकार ने 1946 में एक कैबिनेट आयोग का गठन किया था। इसके अंतर्गत सदस्यों ने शिमला में कांग्रेस एवं दिल्ली में मुस्लिम लीग के साथ बैठकें कीं। योजनानुसार में तीन श्रेणियों में राज्यों का समूह शामिल था जिसमें तीसरे समूह में असम और बंगाल के साथ संवैधानिक निकाय बनाने के लिए उम्मीदवारों का चयन किया गया।
लेकिन गोपीनाथ बोरदोलोई को समझ में आ गया कि यदि इसमें असम सम्मिलित हुआ तो, यह असम के लोगों के अधिकारों के लिए विनाशकारी होगा, और बहुसंख्यकों के रूप में कट्टरपंथी मुसलमानों का वर्चस्व होगा, जिनकी ओर जवाहरलाल नेहरू और उनकी सरकार ने आँखें मूँद रखी थी। यदि गोपीनाथ बोरदोलोई ने असम के लिए लड़ाई न लड़ी होती, तो शायद वह भी पूर्वी बंगाल की तरह वर्तमान बांग्लादेश का हिस्सा होता। ऐसे में राहुल गांधी को एक ट्वीट में जिस तरह से हिमंता बिस्वा सरमा ने न केवल इतिहास पर पाठ पढ़ाया, अपितु स्पष्ट समझा दिया कि जो लड़ाई जीत न सकें, उसे खेलने की सोचें भी नहीं।
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