भारत अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में कमाल कर रहा है. कोरोना महामारी के दौरान देश की अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ पड़ा. उद्योग-धंधों पर बहुत प्रभाव पड़ा. शहर के शहर बंद रहे. कोरोना का प्रभाव जब कम हुआ तो यूक्रेन युद्ध ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया. युद्ध की वजह से सप्लाई चेन में बाधा उत्पन्न हो गई. इन सभी चुनौतियों से उभरते हुए- मजबूत आर्थिक नीतियों की वज़ह से अर्थव्यवस्था दोबारा से पटरी पर लौटने लगी है.
वित्त वर्ष 2021-22 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign direct investment) ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारत ने 2021-22 में 83.57 अरब अमेरिकी डॉलर का उच्चतम वार्षिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश दर्ज किया है. साल 2020-21 में यह आमद 81.97 अरब अमेरिकी डॉलर थी.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने बताया कि वित्त वर्ष 2021-22 में 83.57 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया गया. सरकार ने बताया कि यह प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अबतक किसी भी वित्त वर्ष में सबसे ज्यादा है.
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विनिर्माण क्षेत्र पसंदीदा
मंत्रालय ने इसके साथ ही बताया कि भारत मैन्यूफैक्चरिंग के सेक्टर में विदेशी निवेश के लिए एक पसंदीदा देश के रुप में तेजी से उभर रहा है.
विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह में पिछले वित्त वर्ष 2020-21 के मुकाबले 76 प्रतिशत की बड़ी बढोतरी दर्ज की गई है. विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह साल 2020-21 के 12.09 अरब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले वर्ष 2021-22 में 21.34 अरब अमेरिकी डॉलर रहा है.
रिकॉर्ड विदेशी निवेश को लेकर सरकार ने कहा कि पिछले 8 साल में सरकार ने जो महत्वपूर्ण कदम उठाए, उसी का यह नतीजा है. प्रमुख निवेशक देशों के मामले में सिंगापुर 27 फीसदी के साथ टॉप पर मौजूद है. इसके बाद अमेरिका और मॉरीशस का नंबर आता है. अमेरिका 18 फीसदी के साथ दूसरे जबकि मॉरीशस 16 फीसदी के साथ तीसरे स्थान पर है।
25 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल करने में प्रथम स्थान पर है. सेवा क्षेत्र 12 फीसदी हिस्सेदारी के साथ दूसरे और ऑटोमोबाइल उद्योग 12 फीसदी हिस्सेदारी के साथ तीसरी स्थान पर है.
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आगे बढ़ रही है अर्थव्यवस्था
इससे एक बात तो पूरी तरह से साफ है कि भारत की अर्थव्यवस्था में दुनियाभर के पूंजीपतियों का भरोसा बढ़ा है- तभी वो भारत में अपना पैसे निवेश करना चाहते हैं. ऐसा नहीं है कि सभी देशों की अर्थव्यवसाथ ऐसी ही चल रही हो. कोरोना की वजह से और यूक्रेन युद्ध की वजह से बड़े-बड़े शक्तिशाली देश घुटनों पर आ गए हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था ऐसे कठिन समय में भी तेजी से आगे बढ़ रही है. हाल ही में आए EPFO के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो हमें पता चलता है कि भारत में बड़ी संख्या में नौकरियां भी पैदा हो रही हैं.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के आंकड़ों के अनुसार 2021-22 में शुद्ध नए नामांकनों ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. 2021-22 में शुद्ध नए नामांकन बढ़कर 12.2 मिलियन हो गए हैं. पिछले वर्षों में हुई बढ़ोतरी से अगर इसकी तुलना करें तो समझ आता है कि देश में औपचारिक रोजगार सृजन बढ़ रहा है. 2020-21 में यही नामांकन 7.71 मिलियन था. 2019-20 में 7.8 मिलियन और 2018-19 में 6.11 मिलियन था.
हाल ही में जारी किए गए सरकारी आंकड़ों को देखें चीनी के निर्यात में भी कई गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2017-18 के मुकाबले 2021-22 में चीनी का निर्यात 15 गुना ज्यादा हुआ है. इसके साथ ही पिछले 8 वर्षों में इथेनॉल उत्पादन 421 करोड़ लीटर से बढ़कर 867 करोड़ लीटर हो गया है.
बेहतर आर्थिक नीतियों का नतीजा
ऐसे में साफ तौर पर यह कहा जा सकता है कि भारत की अर्थव्यवस्था तमाम चुनौतियों के बाद भी निरंतर आगे बढ़ रही है. कोरोना महामारी जैसी चुनौती से निकलकर आगे बढ़ रही है. यूक्रेन युद्ध के प्रभाव से भी निकलकर आगे बढ़ रही है. तमाम रेटिंग एजेंसियां अपने एजेंडे चलाने के लिए भारत की रेटिंग कम करते हैं, उनके एजेंडों से निकलकर आगे बढ़ रही है. जबकि दूसरे देशों की स्थिति दिन पर दिन बदतर होती जा रही है. इसका पूरा भारत की मजबूत आर्थिक नीतियों को जाता है. सरकार के बड़े और कठिन फैसलों को जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पष्ट नजरिए को जाता है.
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