अंतत: ‘वोक संस्कृति’ को गुडबाय कहने को मजबूर हुआ Netflix

दिवालिया होने से बचने के लिए फड़फड़ा रहा है Netflix.

वो कहते हैं न, बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया। ये बात सब जगह लागू होती है, चाहे हास्य में, या गंभीरता में। जो Netflix सोचती थी कि ‘वोक संस्कृति’ के आधार पर वह अपना उद्योग चलाने में सफल रहेगी, अब उसी वोक संस्कृति को त्यागने पर उसे विवश होना पड़ रहा है।

जी हाँ, आपने बिल्कुल ठीक सुना। Netflix जल्द ही अपनी कुख्यात ‘वोक संस्कृति’ का परित्याग कर सकता है। जिसके पीछे उसे वर्षों तक लोगों के ताने और अपशब्द सुनने पड़े हैं। वो कैसे? असल में अभी हाल ही में Netflix ने एक ‘कल्चर मेमो’ जारी किया है, जो इस कंपनी की कार्यशैली को परिवर्तित करेगा।

इस मेमो के अनुसार नेटफ्लिक्स ने अपने कल्चर मेमो में ‘आर्टिस्टिक एक्सप्रेशन’ के लिए भी एक सेक्शन डाला है। इसका क्या अर्थ है? अर्थ स्पष्ट है- अगर किसी कर्मचारी [विशेषकर वोक [Woke]/वामपंथी] को कंपनी के किसी भी उत्पाद से आपत्ति है, तो वह कंपनी को छोड़ने के लिए स्वतंत्र है, क्योंकि कंपनी अपने उत्पाद को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी”

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यूं तो ये अपडेट कंपनी ने मूल रूप से कॉमेडियन डेव चैपेल के शो के परिप्रेक्ष्य में डाला था, जिसे कुछ वामपंथियों ने ‘Transphobic’ सिद्ध करने का प्रयास किया था। परंतु बात केवल यहीं तक सीमित नहीं है। इसकी वास्तविक नींव Netflix के निरंतर घटते ‘सब्सक्राइबर बेस’ में है।

असल में नेटफ्लिक्स पिछले कई दिनों से भारत समेत कई देशों में अपने सब्सक्राइबर्स खोता जा रहा है। इस बौखलाहट में उसने लोगों को नौकरियों से निकालना भी प्रारंभ कर दिया है। हम मज़ाक नहीं कर रहे हैं, नेटफ्लिक्स को दुनिया भर में हो रहे वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए कंपनी प्रशासन ने अपने ही कर्मचारियों को निकालना करना प्रारंभ कर दिया है।

लॉस एंजेलिस टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने अपनी बैलेन्स शीट के अनुसार वित्तीय नुकसान को पाटने हेतु कॉस्ट कटिंग के नाम पर अघोषित संख्या में मार्केटिंग संबंधित जॉब्स में छंटनी की है।

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इसका प्रमाण हाल ही में तब देखने को मिला, जब एक पूर्व कर्मचारी Evette Dionne ने अपनी व्यथा ट्विटर पर व्यक्त करते हुए लिखा, “सात माह पूर्व नेटफ्लिक्स ने मुझे रिक्रूट किया, सिर्फ मुझे और मेरे जैसे कई योग्य लोगों को फायर करने के लिए” –

परंतु यही एक कारण नहीं जिसके पीछे नेटफ्लिक्स की लंका लगी हुई है। असल में नेटफ्लिक्स ने ‘वोक संस्कृति’ को अपनाने की अंधी दौड़ में हर चीज़ को ताक पर रख दिया– नैतिकता भी। भारत जैसा प्रभावशाली मार्केट ने तो उसे लीला ही, परंतु वोक संस्कृति के कारण Netflix निकृष्ट और घिनौनी प्रवृत्तियों तक को बढ़ावा देने लग गया और ऐसा लगने लगा मानो अश्लीलता और अपराध अब OTT से दूर नहीं, क्योंकि ‘Its Expecting’, ‘365 Days’, ‘Cuties’ जैसे प्रोजेक्ट को स्वीकृत करना इसी बात के प्रमाण थे। परंतु आप लोगों को कब तक बार-बार बेवकूफ बनाते रहेंगे?

ऐसे में यदि Netflix का वर्तमान कल्चर मेमो शत प्रतिशत सत्य है, तो ये इस बात का सूचक है कि उसे समझ में आ चुका है कि Wokeism त्यागने में ही उसकी भलाई है और वामपंथ के चरमोत्कर्ष को अपनाकर उसे दिवालियापन के अतिरिक्त कुछ नहीं हाथ लगेगा।

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