किसी भी इस्लामिस्ट के द्वार पर अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता समाप्त हो जाती है। उनके लिए पैगंबर या इस्लामिक कानून ही सर्वोच्च होता है। अब नेटफ्लिक्स को भी यह समझ आ गया होगा क्योंकि मुंबई स्थित इस्लामिक रज़ा अकादमी ने अपने बहुप्रतीक्षित तमिल एंथोलॉजी ‘नवरसा’ के एक पोस्टर पर बवाल मचाना शुरू कर दिया है।
पिछले डेढ़-दो वर्षों में ओटीटी प्लेटफ़ार्म की महत्ता बहुत बढ़ गयी है। यह एक ऐसा मीडिया तंत्र है जहाँ टीवी शोज या मूवीज, एप या वेबसाइट के जरिये ऑनलाइन दिखाए जाते हैं। जनता के पास यूट्यूब प्रीमियम, नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम वीडियो जैसे कई ओटीटी प्लेटफार्म मौजूद है। इसके प्रचलन के बाद से ही इसका और विवादों का एक गहरा नाता और जुड़ाव रहा है। इन विवादों का अहम कारण है OTT पर CENSORSHIP जैसा कोई नियंत्रण न होना। इसी के परिणामतः एक नई SERIES को लेकर ट्विटर पर हैशटैग #BanNetflix ट्रेंड कर रहा है और इसका संबंध शुक्रवार को रिलीज हुई एंथोलॉजी सीरीज नवरसा से है।
Netflix has published a verse of the Quran in the advertisement of its film NavaRasa in Daily Thanthi newspaper
معاز اللہ
This is an insult to the Quran. We demand strict action against@NetflixIndia#BanNetflix #BanDailyThanthiNews #TahaffuzeQuran pic.twitter.com/oEhujhlcw6— Tajdar Shariq ( Abde Mustafa ) (@Tajdar73158706) August 6, 2021
नेटफ्लिक्स ने शुक्रवार को अपनी एंथोलॉजी श्रृंखला ‘नवरसा’ रिलीज़ की। जहां नेटिज़न्स ने ‘नवरसा’ की प्रभावशाली कहानी और अभिनेताओं के त्रुटिहीन प्रदर्शन के लिए प्रशंसा की है, वहीं मुस्लिम समुदाय के कुछ सदस्यों ने एक प्रमुख तमिल दैनिक में नेटफ्लिक्स के विज्ञापन पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। दरअसल, नवरसा के प्रचार हेतु तमिल समाचार पत्र में दिए गए विज्ञापन में कुरान से जुड़ी आयताओं का उपयोग करने से मुस्लिम संगठन भड़क गए और उन्होंने Netflix को बैन करने की मांग कर दी।
Strict legal action should be taken against these people who doesn't care about the religious feelings. #BanNetflix#BanDailyThanthiNews#TauheeneQuran pic.twitter.com/iwJRNs7WmM
— Nafees Raza Noori T.N.R.A.T,2002 k (@nafees_noori) August 6, 2021
भारतीय सुन्नी मुसलमानों के लिए एक संगठन रज़ा अकादमी ने नेटफ्लिक्स पर एक तमिल समाचार पत्र Dailythanthi पर नवरसा को प्रचारित करने के लिए एक विज्ञापन में कुरान से एक कविता का उपयोग कर प्रकाशित करने का आरोप लगाया है।
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ज्ञात हो कि, रज़ा अकादमी पूर्व में अपने आचरण को लेकर कई बार चर्चाओं में रहा है, वो बात अलग है कि वो तमाम चर्चाएँ रज़ा अकादमी के नकारात्मक चरित्र को दर्शाती है। इस संगठन ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युएल मैक्रों के खिलाफ फतवा जारी किया था। रजा अकादमी ने ही धमकी दी थी कि अगर ‘मोहम्मद: द मैसेंजर ऑफ गॉड’ को बैन नहीं किया गया तो कानून-व्यवस्था खराब हो सकती है।
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दूसरे पक्ष को सहिष्णु बनने का पाठ पढ़ाने वाले यही संगठन असहिष्णुता के भँवरे बनकर आकाश भर में मंडराते दिखते हैं। संविधान में अभिलिखित अभिव्यक्ति की आजादी वहाँ पानी मांग जाती है जहां से इस्लामिक तंत्र की शुरुआत होती है। यह लोग उसी अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की दुहाई देते हुए अपने धर्म के विरुद्ध उठाए गए कथित तथ्य को नकारते हुए दिख जाते हैं, परंतु अपना स्वतः आत्म-अवलोकन करने में इन्हीं संगठनों के पसीने छूट जाते हैं। अब देखना यह होगा की NETFLIX इस संदर्भ में अपनी ओर से क्या बयान जारी करता है या ऐसा कौन सा कदम उठाता है।