देश में कांग्रेस के पतन की शुरुआत हो चुकी है। बड़े नेताओं का पार्टी छोड़ के जाने से कांग्रेस परेशान हो चुकी है। अब इस क्रम में एक कांग्रेस के एक और कद्दावर नेता ने पार्टी छोड़ दिया है और उसका नाम है कपिल सिब्बल। देश के बड़े वकील के साथ-साथ कांग्रेस के कद्दावर नेता ने कपिल सिब्बल ने बुधवार को कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की मौजूदगी में लखनऊ से राज्यसभा सीट के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल के समाजवादी पार्टी में शामिल होने की अटकलों के बीच उन्होंने कहा कि उन्होंने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के समर्थन से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है।
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जानकारी दी कि वह 10 दिन पहले ही कांग्रेस पार्टी छोड़ चुके हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने 16 मई को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। खबरों के अनुसार समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा के लिए कपिल सिब्बल, अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव और जावेद अली के नामों पर फैसला किया था। गौरतलब है कि कांग्रेस के पूर्व नेता और पार्टी के बीच तनाव बढ़ता जा रहा था। वह गांधी परिवार द्वारा कांग्रेस पार्टी के लिए अपनाई गई नीतियों और सिद्धांतों के खिलाफ मुखर रहे थे। सिब्बल ने यह भी कहा था कि कांग्रेस पार्टी के भीतर जी-23 समूह जी हुजूर 23 नहीं था। एक पूर्णकालिक पार्टी अध्यक्ष की नियुक्ति में देरी की आलोचना करते हुए सिब्बल ने कहा था, “हमारी पार्टी में, कोई अध्यक्ष नहीं है। इसलिए हमें नहीं पता कि ये निर्णय कौन ले रहा है।”
अखिलेश यादव ने समर्थन मे कहा
इस बीच, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस के पूर्व नेता को पार्टी के समर्थन की पुष्टि की और कहा, “आज कपिल सिब्बल ने नामांकन दाखिल किया। वह सपा के समर्थन से राज्यसभा जा रहे हैं। दो और लोग सदन में जा सकते हैं। कपिल सिब्बल वरिष्ठ वकील हैं। उन्होंने संसद में अपनी राय बखूबी पेश की है। हमें उम्मीद है कि वह राजयसभा में सपा और खुद दोनों की राय पेश करेंगे।” 1996 से कांग्रेस के साथ अपने ढाई दशक से अधिक के जुड़ाव के दौरान, सिब्बल कुछ क्षेत्रीय क्षत्रपों – जैसे लालू प्रसाद, मुलायम सिंह यादव और बाद में उनके बेटे अखिलेश यादव के साथ सत्ता में रहे हैं। सिब्बल कभी सोनिया गाँधी के खासम खास थे हालाँकि, वह राहुल गांधी के साथ कभी भी अच्छे संबंध स्थापित नहीं कर सके।
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, सिब्बल ने कहा कि वह समाजवादी पार्टी में शामिल नहीं हुए हैं, जो उन्हें राज्यसभा टिकट के लिए समर्थन दे रही है, क्योंकि वह एक निर्दलीय बनना चाहते हैं और भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करना चाहते हैं। सपा के साथ उनका जुड़ाव नया नहीं है। पार्टी ने 2016 में भी राज्यसभा के लिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया था। सिब्बल ने 2017 में पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर उनके और मुलायम के बीच विवाद के दौरान चुनाव आयोग में अखिलेश का प्रतिनिधित्व किया था। सिब्बल चारा मामले में लालू के वकील भी थे।
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एक-एक करके हाथ का साथ छोड़ते दिग्गज नेता
यह यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल में था कि वह और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचे। उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया और मानव संसाधन मंत्रालय दिया गया। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बाद ए राजा के पद छोड़ने के बाद नवंबर 2010 में उन्हें संचार और सूचना प्रौद्योगिकी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। जब उन्होंने 2012 में एचआरडी खो दिया, तो उन्हें 2013 में कानून मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। उन्होंने स्पेक्ट्रम घोटाले में यूपीए सरकार का बचाव किया और यूपीए II में प्रमुख संकट प्रबंधकों में से एक के रूप में उभरे।
सिब्बल ने कांग्रेस के लिए बहुत बड़े -बड़े और विवादास्पद घोटाले और भी केस लड़े जिनके कारण आमजनमानस में उनकी बहुत बार जग हसाई भी हुई। कांग्रेस पार्टी के लिए उनके आत्मसम्मान और उनकी ईमानदारी पर भी प्रश्नचिन्ह लगे फिर भी कांग्रेस ने अपने इतने बड़े नेता को दरकिनार करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा। 2007 में कपिल का नाम वोडाफोन स्कैंडल में था, जिसमें 11000 रुपये का टैक्स विवाद था।2011 में, उन्हें बहुत आलोचना का सामना करना पड़ा जब उन्होंने कहा कि 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में सरकारी खजाने को नुकसान शून्य था। बाद में उन्हें अपना बयान स्पष्ट करना पड़ा। सिब्बल से पहले कुछ दिन पहले कांग्रेस के बड़े नेता सुनील जाखड़ ने कांग्रेस छोड़ दिया था।
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सुनील जाखड़ जो इस महीने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए। जाखड़ ने कहा कि गांधी परिवार के साथ संबंध तोड़ने का उनका फैसला व्यक्तिगत नहीं था बल्कि पंजाब की स्थिरता और राज्य की रक्षा के हित में था। आज जिस तरह से सिब्बल ने पार्टी छोड़ा है उससे कांग्रेस की हालत देश की राजनीति में और भी दयनीय हो जाएगी।