उत्तर प्रदेश में अब सड़कों पर नमाज़ नहीं होती, असम में अब बच्चे मदरसों में नही बल्कि स्कूल में पढेंगे और गोवा के शहरों में भी अब शंखनाद होंगे और घंटे बजेंगे. RSS की साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित मीडिया महामंथन कॉन्क्लेव 2022 में इस संगठन ने मदरसा, मंदिर और नमाज के मुद्दे पर एक साहसिक संकेत दे दिया है. जिसके बाद अब इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि आरएसएस एकबार फिर अपने पुराने रंग में लौट आया है। इस कॉन्क्लेव में कई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया और बेबाकी से इन मुद्दों पर अपनी बात रखी है. ध्यान देने वाली बात है कि जब असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा से पूछा गया कि मदरसों को किस तरह बेहतर किया जाए कि मदरसे से बच्चे प्रोफेशनल बनकर निकले, तो हिमंता का जो जवाब था उसने अपनी ओर सभी का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने कहा, मदरसों को ख़त्म करके.
इस प्रश्न का उत्तर देते हुए हिमंता ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि आगे वह छात्र को एक सुनहरा भविष्य दे सके. बच्चों को जब उनके माता-पिता मदरसों में छोड़कर आते हैं तो वे बेचारे बच्चे तो यह भी नही जानते कि वहां से आगे का भविष्य केवल अंधकारमय ही है. स्कूल के बजाये मदरसे में अपने बच्चे को भेजना उन बच्चों के मानवाधिकारों का उल्लंघन है. अगर उन बच्चों को कभी बताया गया कि मदरसे में पढ़ने के बाद वे इंजीनियर या डॉक्टर बनकर नही निकलेंगे, तो वे बच्चे खुद ही मदरसे में जाने से मना कर देंगे. हिमंता ने कहा कि “किसी भी धार्मिक संसथान में प्रवेश उस उम्र में होना चाहिए जहां बच्चे स्वयं निर्णय ले सकें कि उन्हें वहां जाना है या नही. It’s their life. so their choice. रही बात कुरान पढ़ाने और सिखाने की तो वह तो घर पर भी सिखाई जा सकती है, उसके लिए अपने बच्चों को मदरसों में भेजने कि ज़रुरत नही है. बल्कि मदरसा तो शब्द ही ऐसा है जिसका अस्तित्व ही ख़त्म हो जाना चाहिए.”
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गोवा में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर जोर
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने सम्मेलन में यह बात उठाई कि जब भारत को आज़ादी 1947 में मिली तो गोवा को आज़ादी मिलते मिलते और 14 साल क्यों लग गए? साथ ही उन्होंने गोवा में 450 साल के पुर्तगाली शासन में नष्ट किये गए मंदिरों की ओर भी सबका ध्यान खींचा. उन्होंने इतिहास के उस पहलू की ओर भी सबका ध्यान आकर्षित किया जब कई लोगों का जबरन धर्मांतरण किया गया और हिन्दू संस्कृति को नष्ट करने का हर एक प्रयास किया गया. उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि मेरा मानना है कि जहां भी मंदिर तोड़े गए थे वहां उनका पुनर्निर्माण करना चाहिए और करे भी क्यों न? ये मंदिर केवल कोई ईंट-पत्थर की इमारते नहीं, बल्कि हमारा इतिहास दिखाती हैं. ऐसा इतिहास जिसे हर बाहरी ताकत ने ख़त्म करने की पूरी कोशिश की पर सबने मुंह की ही खायी. ध्यान देने वाली बात है कि गोवा सरकार, राज्य में सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने का पूरा प्रयास कर रही है और अब लोगों को गोवा के तट से मंदिरों तक जाने के लिए प्रेरित भी कर रही है. सरकार ने इस शुभ कार्य के लिए उन्होंने 20 करोड़ का बजट भी रखा है.
आपको बता दें कि स्कॉलर टिमोथी वॉकर ने अपने एक रिसर्च पेपर “Contesting sacred space in the Estado da India : Asserting cultural dominance over religious sites in Goa” में कहा है कि 14 और 15वीं शताब्दी के दौरान बीजापुर के आदिल शाह के शासन काल में गोवा के कई मंदिर तोड़े गए और उन पर ही मस्जिदों का निर्माण किया गया. आज देश के जिस-जिस शहर में मस्जिद है शायद हर उस मस्जिद के नीचे एक मंदिर के अवशेष हैं और यह बात तो ज्ञानवापी मस्जिद की खुदाई के बाद शिवलिंग मिलने के बाद सत्य भी साबित हो चुकी है.
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सीएम योगी ने कही ये बात
वहीं, पांचजन्य मीडिया महामंथन कॉन्क्लेव 2022 को वर्चुअली संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि पांचजन्य के साथ उनका जुड़ाव बचपन से रहा है. भारत की सभ्यता व संस्कृति पर जो लोग छद्म रूप से हमला कर रहे हैं, उनके खिलाफ सचेत होने का और भारत की आवाज को मजबूत करने का कार्य सदैव पाञ्चजन्य ने किया है. पाञ्चजन्य हमेशा से इसको सकारात्मक ऊर्जा देता रहा है. उन्होंने कहा कि पांच वर्ष पहले के और आज उत्तर प्रदेश में बहुत बदलाव आ चुका है. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार ने चार दर्जन से भी अधिक योजनाओं को धरातल पर उतारा है. इनमें से उत्तर प्रदेश सबसे आगे है.
सीएम योगी ने कहा कि साल 2012 से 2017 के बीच उत्तर प्रदेश में 700 भी अधिक दंगे हुए थे, लेकिन विगत पांच वर्षों में एक भी दंगा नहीं हुआ. उत्तर प्रदेश, देश की नंबर वन अर्थव्यवस्था वाला राज्य बनने की ओर अग्रसर है. विगत पांच वर्षों में प्रति व्यक्ति आय दोगुनी से भी अधिक हो गई है. व्यापार करना पहले से काफी आसान हो गया है. यहां सवार्धिक एक्सप्रेस-वे हैं और पांच अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों का निर्माण किया जा रहा है. खाद्यान्न उत्पादन में देश में नंबर वन है. साथ ही जिन जगहों पर बाढ़ आती थी वहां पर बाढ़ से मुक्ति का स्थायी समाधान किया गया है. सीएम ने कहा कि नवजात शिशुओं और माताओं की जान जिन बीमारियों से जाती थी, वह अब बीते समय की बात हो रही है. हम मलेरिया, कालाजार जैसी गंभीर बीमारियों के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसके लिए काम कर रहे हैं. अवैध बूचड़खानों को बंद किया गया है और गौतस्करी के खिलाफ कठोर कदम उठाए गए हैं. साथ ही गौवंश की रक्षा के लिए सरकार ने तीन योजनाओं का क्रियान्वयन किया है.
ध्यान देने वाली बात है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी बुलंदियों के शिखर को छू रहा है. राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति पहले से कई गुना बेहतर हो चुकी है. आपको याद होगा कि रामनवमी के पावन अवसर पर जहां देश के अलग अलग हिस्सों से दंगे की खबरें सामने आ रही थी, वहीं उत्तर प्रदेश में राम नवमी धूम धाम से मनाया गया, प्रभु की शोभायात्रा भी निकाली गयी, हनुमान जयंती भी शांतिपूर्ण ढंग से मनाई गयी और ऐसा पहली बार था कि अलविदा और ईद कि नमाज़ लोगों ने अपने घर और मस्जिदों में किया, रोड पर नही. प्रदेश में लगभग एक लाख लाउडस्पीकर मस्जिदों और मंदिरों से उतारे गए पर किसी ने कोई आपत्ति नही जताई, बल्कि नियमों का पालन किया. एक ऐसा प्रदेश जो सबसे असुरक्षित माना जाता था, आज महिलाएं वहा खुद को सुरक्षित महसूस कर रही है.
वापस अपने ट्रैक पर लौट आया है RSS
गौरतलब है कि भारत प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पांचजन्य वीकली राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के विचारों को देश के सामने रखने वाली यह मैगज़ीन आज पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. वहीं, अगर RSS की बात करें तो इसकी स्थापना लगभग 100 सौ साल पहले हुई थी. अब यह संगठन देश में सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक संस्थाओं में से एक है. हाल के वर्षों में संगठन अपने मुख्य उद्देश्य से कुछ हद तक विचलित हो गया था, लेकिन अब यह ‘अखंड भारत’ की घोषणा के साथ अपनी “हिंदू प्रतिरोध” विरासत को पुनः प्राप्त करने की ओर बढ़ चला है. हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक संत के बयान को प्रतिध्वनित करते हुए कहा था कि अखंड भारत जल्द ही एक वास्तविकता बनने जा रहा है. RSS ने भारत के इतिहास के कई महत्वपूर्ण हिस्सों में अहम भूमिका निभाई है.
हालांकि, हाल के वर्षों में संगठन ने अपनी मूल पहचान से संपर्क खो दिया था. पर, अब भी यह एक बड़ी इकाई बना हुआ है और लगातार विस्तार कर रहा है. देश भर में इसकी पहले से ही 55,000 शाखाएं कार्यरत हैं. RSS ने अपनी उपस्थिति बढ़ाने और शाखाओं की संख्या को दोगुना कर एक लाख करने की योजना बनाई है और अब मदरसा, मंदिर और नमाज पर पांचजन्य कॉन्क्लेव में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री के बयान भविष्य की कहानी बयां कर रहे हैं. देश में अब अराजकता फैलाने, देश का माहौल खराब करने, रोड पर नमाज पढ़ने, मदरसा शिक्षा की आड़ में कट्टरता फैलाने आदि वालों की खैर नहीं है.
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