एक कहावत है कि पुराने पाप नहीं धुलते! वही हाल आज के परिदृश्य में राज ठाकरे का हो रहा है। कभी गैर-मराठी ख़ासकर उत्तर भारतीयों पर कहर बन कर टूटने वाले राज ठाकरे और उनकी पार्टी MNS आज फिर से चर्चाओं के केंद्र में हैं। एक समय था जब महाराष्ट्र में बाल ठाकरे के बाद राज ठाकरे को उनका उत्तराधिकारी माना जा रहा था। लेकिन उद्धव ठाकरे को शिवसेना की कमान मिल गई।
इसके बाद राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर अपनी एक नई पार्टी मनसे बना ली। पार्टी के गठन के साथ ही उन्होंने उत्तर भारतीयों को निशाना बनाना शुरू कर दिया, लेकिन उनकी यह राजनीति उन्हें वो मुकाम नहीं दिला सकी जिसकी वो कल्पना कर रहे थे। धीरे-धीरे उनकी राजनीति ढलान पर आ गई और वो महाराष्ट्र की राजनीति से करीब-करीब गायब होने लगे।
अयोध्या यात्रा का ऐलान
राज ठाकरे को समझ आने लगा कि उत्तर-भारतीयों के प्रति आक्रोश का उनका पुराना हथकंडा अब नहीं चलने वाला है। ऐसे में वो दोबारा से हिंदुत्व की बात करने लगे- हिंदुत्व के मुद्दों को उठाने लगे। राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में मस्जिदों के ऊपर लगे लाउडस्पीकर को एक बड़ा मुद्दा बनाया। लाउडस्पीकर ना हटाए जाने पर हनुमान चालीसा का पाठ करने की बात कही।
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महाराष्ट्र में कई जगह पर राज ठाकरे की पार्टी ने हनुमान चालीसा का पाठ किया। राज ठाकरे को इससे अच्छा-ख़ास मीडिया कवरेज मिला। कई मौके ऐसे आए जब राज्य की शिवसेना गठबंधन की सरकार बैकफुट पर दिखाई दी। इसके बाद राज ठाकरे ने अपनी राजनीति को और धार देने के लिए अयोध्या यात्रा करने का एलान कर दिया। राज ठाकरे की इस अयोध्या यात्रा का विरोध भी होने लगा। भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने भी इसका विरोध किया।
आपको बता दें कि 5 जून को राज ठाकरे अयोध्या यात्रा करने वाले है। इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने खुले तौर पर घोषणा की है कि वह “उत्तर भारतीयों को अपमानित करने वाले राज ठाकरे को अयोध्या सीमा में प्रवेश नहीं करने देंगे।”
उन्होंने कहा, ‘अयोध्या आने से पहले राज ठाकरे को सभी उत्तर भारतीयों से हाथ जोड़कर माफी मांगनी चाहिए।
उत्तर-भारतीयों का विरोध
ज्ञात हो कि ठाकरे ने ‘मराठी मानुष’ एजेंडे को अपनाया और प्रवासियों, विशेष रूप से उत्तर-प्रदेश और बिहार के प्रवासियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। 2008 में राज ठाकरे ने उन लोगों के खिलाफ तीखा हमला किया जो उत्तर प्रदेश से महाराष्ट्र में आकर रह रहे थे। यहां तक कि उन्होंने अमिताभ बच्चन के ऊपर भी टिप्पणी की थी। 2008 की शुरुआत में अपनी कई रैलियों में राज ठाकरे ने जोर देकर कहा कि ‘सुपरस्टार’ की महाराष्ट्र के बजाय अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश में “अधिक दिलचस्पी” थी।
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फरवरी 2008 में मुंबई के दादर में MNS कार्यकर्ता समाजवादी पार्टी के साथ भिड़ गए। उत्तर भारत के टैक्सी ड्राइवरों के साथ मारपीट की और उनके वाहनों में तोड़फोड़ की। ठाकरे ने हमलों को सही ठहराते हुए कहा कि यह उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासियों और नेताओं की अनियंत्रित ‘दादागिरी’ की प्रतिक्रिया थी।
उसी वर्ष अक्टूबर में, उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने अखिल भारतीय रेलवे भर्ती बोर्ड की प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले उत्तर भारतीय उम्मीदवारों की पिटाई की। इसकी निंदा बिहार के प्रमुख नेताओं- लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने की थी। वर्षों तक अपने राजनीतिक नुकसान के बावजूद उन्होंने अपने प्रवासी विरोधी मुद्दों को बनाए रखा। 2012 में उन्होंने मुंबई में बढ़ती अपराध दर के लिए प्रवासियों मुख्य रूप से उत्तर भारतीयों को जिम्मेदार ठहराया।
‘प्रवेश नहीं करने देंगे’
उत्तर-भारतीयों के प्रति ऐसा इतिहास रखने वाले राज ठाकरे ने जब 17 अप्रैल Raj Thackerayको पुणे में ऐलान किया कि वो भगवान राम का आशीर्वाद लेने अयोध्या जाएंगे तो इसका विरोध होने लगा।
कैसरगंज से छह बार के सांसद बृज भूषण शरण सिंह ने 2008 में उत्तर भारतीय प्रवासियों के खिलाफ अपने हिंसक अभियान के लिए माफी की मांग करते हुए ठाकरे की यात्रा का जोरदार विरोध किया है। उन्होंने कहा कि वह 5 जून को भी मनसे प्रमुख को अयोध्या में प्रवेश नहीं करने देंगे।
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