देशद्रोह की धारा 124 A हटाएगी मोदी सरकार, ‘फ़ासीवाद अब और बढ़ जाएगा’, केस स्टडी

कांग्रेस और लेफ्ट का ‘इकोसिस्टम’ कभी समझ ही नहीं सकता कि मोदी का अगला कदम क्या होगा ?

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Source: TFI

2014 का आम चुनाव चल रहा था. हर तरफ राजनीतिक पार्टियां रैलियां कर रही थी. देश में चुनावी माहौल था. इस चुनावी माहौल में एक चर्चा बड़ी तेजी से हो रही थी कि मोदी अगर आ गया तो देश को बर्बाद कर देगा. मोदी पूरे देश को जेल बना देगा.

सभी विरोधियों को जेल में डाल देगा. मोदी को फासीवादी साबित करने के लिए वामपंथियों ने लंबे-लंबे आर्टिकल लिखे. मोदी को हिटलर बताते हुए तमाम बातें की गईं. 2014 का चुनाव समाप्त हुआ. नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री बन गए. दिल्ली की सत्ता पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा हो गया. देश में कोई फासीवाद नहीं आया. देश में कोई आपातकाल नहीं आया. मोदी ने किसी को जेल में नहीं डाला. जैसे चल रहा था, वैसे ही चलता रहा.

124 A की होगी समीक्षा

वामपंथियों, कांग्रेसियों, कम्युनिस्टों और तथाकथित उदारवादियों ने सरकार के विरुद्ध जमकर एजेंडा चलाया. 2014 से लेकर अभी तक सरकार के विरुद्ध पूरा ‘गिरोह’ झूठा एजेंडा फैला रहा है. लेकिन सरकार ने इन्हें जेल में नहीं डाला. मोदी ने इनसे बदला नहीं लिया. मोदी ने इन पर देशद्रोह का केस नहीं चलाया. बल्कि अब मोदी सरकार ने तय किया है कि वो देशद्रोह या राजद्रोह के कानून की समीक्षा करने जा रही है.

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सुप्रीम कोर्ट में धारा 124 A की वैधता पर सुनवाई के दौरान सरकार ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर वो इस कानून की समीक्षा कर रहे हैं. कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि सरकार इस कानून पर फिर से विचार करेगी और इसमें आज की जरूरत के हिसाब से जरूरी बदलाव करेगी. देश की संप्रभुता और अखंडता सबसे ऊपर है और ये सरकार और सभी के लिए सबसे जरूरी है. इसलिए इस कानून पर पुनर्विचार करते समय इसके सभी प्रावधानों का ध्यान रखा जाएगा.

‘फ़ासीवाद का चरम’

वामपंथियों का एक तबका हमेशा से बीजेपी को फ़ासीवादी सरकार बताता रहा है. पीएम मोदी को ‘फासिस्ट’ बताता रहा है. अभिव्यक्ति की आज़ादी कुचलने वाला बताता रहा है. ऐसे अब उसी मोदी सरकार ने देशद्रोह या राजद्रोह की धारा 124 A की समीक्षा की बात की है तब वामपंथी क्या बोलेंगे ? कांग्रेसी, वामपंथी और तथाकथित उदारवादी अगर इसे फ़ासीवाद का चरम बोलें तो आप चौंकिए मत- ये हो सकता है क्योंकि यही लिबरल्स चीख-चीख कर कह रहे हैं कि 2014 से देश में आपातकाल लगा है. हालांकि ये दूसरी बात है कि इन तथाकथित लिबरल एजेंडाधारियों ने असल आपातकाल कभी देखा ही नहीं, जिस दिन देख लेंगे उसी दिन से ‘फ़ासीवाद’ और ‘आपातकाल’ का राग अलापना बंद कर देंगे.

क्या है देशद्रोह या राजद्रोह कानून ?

भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A में राजद्रोह या देशद्रोह का उल्लेख है. ये धारा कहती है, ‘अगर कोई व्यक्ति बोलकर या लिखकर या इशारों से या फिर चिह्नों के जरिए या किसी और तरीके से घृणा या अवमानना या उत्तेजित करने की कोशिश करता है या असंतोष को भड़काने का प्रयास करता है तो वो राजद्रोह का आरोपी है.

ये एक गैर-जमानती अपराध है और इसमें दोषी पाए जाने पर तीन साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

अंग्रेजों के शासनकाल में थॉमस मैकाले ने इस कानून का ड्राफ्ट तैयार किया था. 1870 में इंडियन पीनल कोड में धारा 124 A के तहत इस कानून को जोड़ा गया.

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कांग्रेस ने किया देशद्रोह का दुरुपयोग

आज़ादी के बाद केंद्र की सत्ता में रहते हुए देशद्रोह के कानून का सबसे ज्यादा दुरुपयोग कांग्रेस पार्टी ने ही किया. कांग्रेस ने तमाम लोगों को इस कानून की धाराओं का इस्तेमाल करते हुए जेल में डाला. इसमें भी ख़ासतौर से वो दक्षिणपंथी लोग थे, जिनके विचारों से कांग्रेस पार्टी सहमत नहीं होती थी.

राज्यों में भी अगर कांग्रेस पार्टी सरकार में है या फिर गठबंधन की सरकार चला रही है तब भी वो देशद्रोह के कानून का जमकर दुरुपयोग करती है. हाल ही में हनुमान चालीसा मामले में महाराष्ट्र की कांग्रेस गठबंधन की सरकार ने अमरावती से सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा पर राजद्रोह का कानून लगाकर उन्हें जेल में डाल दिया.

केस स्टडी

2014 से कांग्रेस को जनता ने केंद्र की सत्ता से बाहर रखा है. सत्ता से बाहर होते ही कांग्रेस पार्टी देशद्रोह कानून के विरुद्ध बोलने लगी. इसके विरुद्ध आवाज़ उठाने लगी. जबकि सरकारों में रहते हुए कांग्रेस पार्टी ने ही सबसे ज्यादा इस कानून का दुरुपयोग किया.

केस नंबर 1- केदारनाथ सिंह पर राजद्रोह

1953 में फॉरवर्ड कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य केदारनाथ सिंह ने बिहार के बेगूसराय में एक भाषण दिया. इस भाषण में उन्होंने कहा, ‘हमने अंग्रेजों को तो गद्दी से उखाड़ फेंका लेकिन कांग्रेस के गुंडों को चुन लिया, हमें इस सरकार को भी उखाड़ फेंकना होगा.’ बस, इसी भाषण को लेकर केदारनाथ सिंह पर कांग्रेस पार्टी ने राजद्रोह का केस कर दिया.

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केस नंबर 2- 9000 लोगों पर केस

2012 इस कानून के तहत सबसे बड़ी गिरफ्तारी हुई. तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. तमिलनाडु के कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र का विरोध कर रहे लोगों में से 9000 के खिलाफ धारा 124 A लगाई गई.

केस नंबर 3- प्रवीण तोगड़िया पर केस

2003 में राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने विश्व हिंदू परिषद के तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय महासचिव प्रवीण तोगड़िया पर राजद्रोह का चार्ज लगाया था. वज़ह बस इतनी थी कि वो सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे थे.

कानून ख़त्म करने में नंबर 1 मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार इस बात को सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि बहुत से कानून देश पर बोझ थे. 2014 में सरकार में आने के बाद उन्होंने तमाम कानूनों को रद्द किया है. सुप्रीम कोर्ट में आंकड़े देते हुए सरकार ने बताया कि 2014-15 से अबतक केंद्र सरकार ने करीब 1500 कानूनों को रद्द किया है. इसके बाद अब सरकार ने धारा 124 A की समीक्षा की बात की है. इससे एक बात तो साफ है कि कांग्रेस का पूरा ‘इकोसिस्टम’ और लेफ्ट का पूरा ‘सिस्टम’ कभी समझ ही नहीं सकता कि मोदी का अगला कदम क्या होगा ?

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