आम जनता के बीच राहुल गांधी ‘पप्पू’ नाम से प्रचलित हैं। विपक्ष ने उन्हें यह नाम उनके राजनीतिक भोलेपन और शिथिलता के कारण दिया गया है। जब से राहुल गांधी को ‘पप्पू’ नाम से संबोधित किया जाने लगा है साधारण जनमानस को लगता है कि पप्पू किसी भी भोले और नादान मनुष्य को संदर्भित करने वाला नाम है और ऐसा है भी। अब यह नाम एक नादान मनुष्य का पर्याय बन चुका है।
राहुल गांधी एक मां के दुलारे राजा बेटा हैं
इस लेख में हम जानेंगे कि क्यों राहुल गांधी आलोचना और राजनितिक प्रहार के नहीं बल्कि सहानुभूति के पात्र हैं? ये भी जानेंगे कि राहुल गांधी कोई कांग्रेस के युवराज नहीं बल्कि एक मां के दुलारे राजा बेटा हैं जिन्हें बलपूर्वक देश पर थोपा जा रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। देश सौभाग्यशाली हैं जिसे इस बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में आक्रामक, संतुलित और निष्पक्ष विदेश नीति को बनाये रखनेवाला एक कर्मठ प्रधानमंत्री मिला। पर कांग्रेस तो सदा सर्वदा से भ्रम की राजनीति की संवाहक रही है। अतः, उसने विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय सम्बन्ध जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी पीएम की आलोचना करते हुए एक निंदनीय ट्वीट किया। ट्वीट में कहा गया- “देश संकट में है और ‘साहेब’ को विदेश घूमना है। अभी कांग्रेस का ये ट्वीट पोस्ट ढंग से ‘रिफ्रेश’ भी नहीं हुआ था कि राहुल गांधी की रंगरलियां सोशल मीडिया पर विषाणुयुक्त अर्थात वायरल हो गयीं जिसमें वो नेपाल के एक नाईट क्लब में एक महिला के साथ उत्सव मनाते हुए देखे जा सकते हैं।
Rahul Gandhi was at a nightclub when Mumbai was under seize. He is at a nightclub at a time when his party is exploding. He is consistent.
Interestingly, soon after the Congress refused to outsource their presidency, hit jobs have begun on their Prime Ministerial candidate… pic.twitter.com/dW9t07YkzC
— Amit Malviya (मोदी का परिवार) (@amitmalviya) May 3, 2022
कुछ ऑनलाइन लेखों की माने तो वो महिला और कोई नहीं वरन चीनी सुंदरी होउ यांकी हैं जो नेपाल में चीन की राजदूत हैं और जिन्हें चीन ने नेपाल के बुद्धिमान, युवा और यशस्वी प्रधानमंत्री जो कि अब भूतपूर्व हो चुके हैं उन्हें मधु-बिद्ध अर्थात honey trap करने के लिए नियुक्त किया था। राहुल गांधी सोमवार को नेपाल की राजधानी में अपनी पत्रकार मित्र सुम्निमा उदास के विवाह में सम्मिलित होने के लिए मैरियट होटल में थे, यह वीडियो उसी समय का है।
देश के हर जागरूक नागरिक का यह जानना आवश्यक है कि राहुल गांधी किसकी शादी में गए थे और किसके साथ थिरक रहे थे। राहुल गांधी की इस महिला मित्रा का नाम सुम्निमा उदास है। सुम्निमा के पिता म्यांमार में नेपाल के राजदूत भी रह चुके हैं। सुम्निमा सीएनएन की पूर्व संवाददाता भी रह चुकी हैं। उन्होंने अमेरिका ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। सुम्निमा पत्रकारों के उस समूह से आती हैं जो नेपाल के भारतीय क्षेत्र पर दांवों को ना सिर्फ सही ठहराती हैं अपितु भारत को एक विस्तारवादी राष्ट्र बताती हैं। वो मोदी सरकार की मुखर आलोचक और नेपाल में चीनी हित की समर्थक रहीं हैं। अब आपको उस महिला के बारे में बताते हैं जिनके साथ रागा थिरक रहे थे। मार्च 1970 में चीन के शांक्सी प्रांत में जन्मी होउ यांकी के पास कला में मास्टर डिग्री हैं। धीरे-धीरे पदोन्नति के माध्यम से बढ़ते हुए होउ यांकी ने विदेश मंत्रालय में सुरक्षा विभाग के निदेशक के रूप में कार्य किया। 2018 में, उन्हें नेपाल में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया था। अपनी नियुक्ति के पश्चात् ही उन्होंने भारत नेपाल के संबंधों को खराब कर दिया। उन्होंने सुनिश्चित किया कि नेपाल में चीन का प्रभाव बढ़े और भारत का घटे। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के जानकार कुछ समय तक “नेपाल कि ठंडी ठंडी हवाओं में देखों ना क्या हो गया, एक ओली का एक यांकी से गलती से लफड़ा हो गया’ की पुष्टि भी कर रहै थे। उन्हीं के कारण नेपाल ने भारतीय चैनल के प्रसारण पर ना सिर्फ रोक लगाई यहां तक कि लिपुलेख और कालापानी पर भारत के दांवों के खिलाफ अपने संसद में निंदा प्रस्ताव भी पारित किया।
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राहुल गांधी भारत विरोधी लोगों के उत्सव में उपस्थित क्यों थे?
ऐसे में प्रश्न ये उठता है की राहुल गांधी आखिर ऐसे राष्ट्र विरोधी, भारत विरोधी लोगों के उत्सव में उपस्थित क्यों थे और चीनी राजदूत के साथ जश्न मनाने के निहितार्थ क्या निकाले जाएं? क्या देश की सबसे पुरानी पार्टी के मुखिया और नेता होने के बावजूद राहुल गांधी को अपने सामाजिक दायित्वों और सार्वजनिक सदाचरण का भान नहीं था? था, बिलकुल था. राहुल गांधी भली भांति जानते थे कि वो किसके साथ थे और क्या कर रहे थे अन्यथा वो इसको छुपाने का प्रयास करते। राहुल गांधी की उपस्थिति इस बात का उद्घोष है कि देश की सबसे पुरानी पार्टी के उत्तराधिकारी, इंदिरा के पोते तथा राजीव-सोनिया के बेटे होने के बावजूद वो इस विरासत को संभालना नहीं चाहते। शायद इसीलिए वो राजनीति को ‘पार्ट-टाइम जॉब’ मानते हुए forced politician की तरह आचरण करते हैं। गांधी परिवार की स्थिति भी उस आम परिवार की तरह हो चुकी है जिसके माता-पिता बलपूर्वक अपने बच्चे का भविष्य तय कर देते हैं या फिर उन्हें अपने पारिवारिक व्यवसाय का उत्तराधिकारी मानते हुए वही कार्य उस पर थोप देते हैं। इसीलिए कभी वो मुंबई हमलों के बाद विदेश यात्रा पर निकल जाते हैं तो कभी कांग्रेस में टूट-फूट होने के बावजूद विदेशी मौसम का आनंद लेते हुए मिलते हैं।
अभी अभी 4 राज्यों में कांग्रेस की करारी हार के बावजूद राहुल विदेश में मटरगस्ती करते हुए दिखे थे। कांग्रेस को हम सभी को और पूरे देश को यह समझाना होगा कि राहुल राजनेता नहीं हैं और उन्होंने स्वयं अपने आचरण से ये बात सिद्ध कर दी है। उनकी पार्टी और परिवार के सम्बन्ध चीनी संस्थानों से हैं और समय समय पर ये बात राजनीतिक हलकों में सामने आई भी है लेकिन राहुल इतने जटिल अंतरराष्ट्रीय और राजनीतिक समीकरणों को नहीं समझ सकते और समझाना भी नहीं चाहते।
वो तो बस “विश्व उद्यान है, भ्रमण कर लो, फूल मिल जाय तो नमन कर लो, पाँव चितवन के पड़ते हैं तिरछे, थोड़ा सीधा तो बांकपन कर लो, प्यार ही प्यार है भरा सब ओर चेतना को निरावरण कर लो” को चरितार्थ करते हुए भ्रमण करना चाहते हैं, उड़ना चाहते हैं, विश्व देखना चाहते हैं पर, उनकी माता और पार्टी उन्हें बलपूर्वक नेता बनाने पर तुले हुए हैं। राहुल संभवतः नाइहिलिस्ट अर्थात शून्यवादी है। नाइहिलिस्ट लोग जीवन को निरर्थक मानते हैं और बिना राग-द्वेष-हानि-लाभ के बस जिये ही जाते हैं। अब मेरे एक ज्वलंत प्रश्न सब बुद्धिजीवियों से है- अगर राहुल चुनाव नहीं जीत सकते, प्रधानमंत्री नहीं बन सकते, गंभीर राजनेता नहीं बन सकते तो क्या करें जिएं कि ना जिये?
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