देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश की राजनीति हमेशा चर्चाओं में रहती है। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद से ही राज्य में नए राजनीतिक समीकरण दिख रहे हैं। चुनाव में मिली बुरी हार के बाद से राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी का अस्तित्व खतरे में दिखने लगा है। ध्यान देने वाली बात है कि समाजवादी पार्टी हमेशा से हिन्दू विरोध के लिए आमजनमानस में बदनाम रही है। इस पार्टी ने हिंदू विरोध के नाम पर कई ऐसे कारनामें भी किए हैं, जिसे लेकर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन भाजपा के आने के बाद से चीजे बदली है। मौजूदा समय में लगभग सभी विपक्षी पार्टियां अब सॉफ्ट हिंदुत्व के राह पर है लेकिन ‘मुल्ला मुलायम’ की समाजवादी पार्टी अभी भी उसी दिशा में काम कर रही है। हाल के दिनों में समाजवादी पार्टी हिन्दू विरोध के साथ-साथ मुस्लिम महिलाओं को भी दरकिनार करते हुए दिखाई पड़ रही है।
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जानें क्या है पूरा मामला?
दरअसल, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में अक्सर अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहने वाली समाजवादी पार्टी की महिला नेता रुबीना खानम को ज्ञानवापी मस्जिद पर दिए बयान के बाद पार्टी ने उन्हें शहर अध्यक्ष पद से हटा दिया है। रुबीना खानम ने कहा था कि हिन्दू पक्ष ये दावा कर रहा है कि प्राचीन काल में यहां मंदिर था। किसी शासक ने बल पूर्वक मंदिर तोड़कर यहां मस्जिद बनाई थी। इस दावे के बाद हमारे धर्म गुरुओं और उलेमाओं को इस बात को समझना चाहिए कि अगर यह बात साबित हो जाती है कि प्राचीन काल में वहां पर मंदिर था, तो किसी भी कब्जा की हुई ज़मीन पर हमारे इस्लाम में नमाज पढ़ना हराम है। अगर यह बात साबित हो जाता है कि वहां पर मंदिर रहा है तो हमारे उलेमा, धर्म गुरु हिन्दू पक्ष को वह जगह वापिस कर दें। बताया जा रहा है कि उनके इस बयान के बाद से ही पार्टी में खलबली मच गई थी और उन पर कई तरह से दबाव बनाया जाने लगा था, उन्हें शहर अध्यक्ष पद से हटाया गया, पार्टी की ओर से उनपर अनुशासनहीनता के आरोप भी लगाए गए, जिसके बाद उन्होंने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
ध्यान देने वाली बात है कि पद से हटाए जाने के बाद रुबीना खानम ने एक वीडियो जारी करके कहा, “राष्ट्रहित की बात करना, सभी समुदायों की बात करना, पूरे देश की बात करना, सच और इंसाफ की बात करना, मुसलमानों के साथ-साथ हिंदुओं की बात करना, उनके धर्म और आस्था का सम्मान करना…अनुशासनहीनता कबसे होने लगा? उन्होंने मुझे पदमुक्त इसलिए किया कि मैंने अनुशासनहीनता की है। ऐसी अनुशासनहीनता मैं बार-बार करना चाहूंगी। समाजवादी पार्टी में रहने का मेरा कोई मतलब नहीं है। पार्टी मुझे रखेगी ही नहीं आज पद से हटाया है कल पार्टी से निकाल देगी। ऐसी पार्टी में तो मैं खुद नहीं रहना चाहती। जहां मैं सच नहीं बोल सकती, अपने हिंदू भाइयों की बात नहीं कर सकती। जहां मैं देश और राष्ट्रहित की बात नहीं कर सकती।”
सपा में महिलाओं की कोई कद्र नहीं
हालांकि, रुबीना खानम के इस बयान पर एक्शन लेकर समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम महिलाओं के प्रति अपनी विकृत विचारधारा को सबके समक्ष रख दिया है। इससे मुस्लिम महिलाओं के प्रति समाजवादी पार्टी की कुंठा भी उजागर हो गई है और यह भी तय हो गया है कि यही एसपी की असली चाल, चरित्र और चेहरा है। आपको बता दें कि इससे पहले अखिलेश यादव ने ज्ञानवापी मुद्दे को लेकर कहा था कि हिंदू धर्म में जिस पेड़ के नीचे पत्थर और लाल कपड़ा रखा जाता है वह मंदिर बन जाता है। जिसके बाद राज्य के नेताओं ने उनका विरोध किया और सवाल उठाया कि क्या वह हिंदू हैं? समाजवादी पार्टी इससे पहले भी मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ खड़ी रही है। ज्ञात हो कि तीन तलाक बिल को लेकर जब पूरे देश में बवाल मचा हुआ था तो समजवादी पार्टी मुस्लिम महिलाओं की परेशानी पर चुप्पी साधे हुई थी और मौलानाओं द्वारा तीन तलाक बिल के विरोध का समर्थन कर रही थी। और आज जिस तरह से सच बोलने के लिए रुबीना खानम को पार्टी से निकाला गया है उससे यह स्पष्ट होता है कि समजवादी पार्टी में मुस्लिम महिलाओं की कोई कद्र नहीं है।
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