सुप्रीम कोर्ट ने देश में एकीकृत कर निर्धारण के लिए बनाई गई संस्था जीएसटी काउंसिल की प्रासंगिकता को समाप्त करने वाला निर्णय किया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों को मानने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें बाध्य नहीं हैं। केंद्र सरकार और राज्यों के पास जीएसटी पर कानून बनाने का एक बराबर अधिकार है। अर्थात देश में एक जैसा कर निर्धारित करने के जिस काउंसिल का निर्माण हुआ था, उसके सुझाव बाध्यकारी नहीं होंगे एवं अब सभी राज्य चाहें तो अपने अनुसार नियम बना सकेंगे।
समाचार के अनुसार न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने टिप्पणी करते हुए फैसले में कहा कि जीएसटी काउंसिल को केंद्र और राज्यों के बीच व्यावहारिक समाधान प्राप्त करने के लिए सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए। जीएसटी काउंसिल की सिफारिशें सहयोगात्मक चर्चा का नतीजा है। ये जरूरी नहीं है कि संघीय इकाइयों में से एक के पास हमेशा अधिक हिस्सेदारी हो।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार
पीठ ने कहा कि भारतीय संघवाद की महत्वपूर्ण विशेषताओं में से राजकोषीय संघवाद शामिल है और 2014 के संशोधन विधेयक के उद्देश्यों और कारणों के विवरण, संसदीय रिपोर्टों और भाषणों से संकेत मिलता है कि संविधान के अनुच्छेद 246ए और 279ए राज्यों और केंद्र के बीच सहकारी संघवाद और सद्भाव को बढ़ाने के मकसद से पेश किए गए थे।
कोर्ट ने कहा भारत एक सहकारी संघवाद वाला देश है, ऐसे में परिषद की सिफारिशें बस सलाह के तौर पर देखी जा सकती हैं और राज्यों-केंद्र सरकार के पास इतना अधिकार है कि वो इसे मानें या न मानें। बता दें कि 1 जुलाई 2017 से जीएसटी कानून को पूरे देश में लागू किया गया था। एक्साइजड्यूटी, सर्विस टैक्स, वैट और सेल्स टैक्स को मिलाकर एक टैक्स जीएसटी बनाया गया था।
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न्यायालय ने फैसले को बनाए रखा
उच्चतम न्यायालय ने गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा है। गुजरात की अदालत ने कहा था कि ‘रिवर्स चार्ज’ के तहत समुद्री माल के लिए आयातकों पर एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) नहीं लगाया जा सकता है। पीठ ने कहा कि जीएसटी परिषद की सिफारिशें केंद्र और राज्यों पर बाध्यकारी नहीं हैं।
हालांकि इसके पूर्व भी सरकारों को यह अधिकार जीएसटी फ्रेमवर्क के अंतर्गत दिया गया था। किन्तु आज तक किसी राज्य सरकार द्वारा जीएसटी काउंसिल के सुझाव को नजरअंदाज करके अथवा उसके विरुद्ध नियम नहीं बनाया गया है। एक तथ्य यह भी है कि जीएसटी अपने फैसलों में शिफारिश शब्द का प्रयोग करता है ना कि आदेश दिया है। जीएसटी अधिनियम की धारा 9 स्पष्ट रूप से कहती है कि कर की दर का फैसला परिषद की सिफारिशों पर आधारित होना चाहिए राज्यों को सिफारिश लागू करने और खारिज करने, दोनों का अधिकार प्राप्त है। अब उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में केवल पूर्व के नियम को पुनः स्थापित किया है।
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