कुछ वाक्य देश को झकझोरने के अलावा परिवर्तन की बयार लाने में सहायक होते हैं। ऐसा ही एक परिवर्तन 2019 में देखा गया था जब निर्भया काण्ड के बाद एक और नृशंस रेप काण्ड और हत्या हुई और उसके चक्कर में देशवाशियों में पुनः एक फिर उबाल आया, और इस बार यह उबाल औचक निर्णय के साथ पूर्ण हुआ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त आयोग ने कहा कि तेलंगाना के हैदराबाद में पुलिस मुठभेड़ में मारे गए सामूहिक बलात्कार और हत्या के चार आरोपियों को “जानबूझकर उनकी मौत के इरादे से गोली मार दी गई। इसके बाद तथ्यों और आधार से इतर अपने-अपने दावे लिखे जाने शुरू हो गए और एनकाउंटर पर पुनः प्रतक्रियाओं ने इस घटना को सुर्ख़ियों में ला दिया है।
दरअसल, हैदराबाद एनकाउंटर मामला फिर से चर्चा में है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पुलिस का बयान अविश्वसनीय और मनगढ़ंत है। इसमें दावा किया गया है कि आरोपियों को “पुलिस ने जानबूझकर उनकी मौत का कारण बनने के इरादे से गोली मारी थी”। आयोग ने पुलिस के दावों को भी खारिज कर दिया और इसे फर्जी मुठभेड़ करार दिया। आयोग का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीएस सिरपुरकर ने किया था। इसमें अन्य सदस्य बॉम्बे एचसी की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रेखा बलदोता और सीबीआई के पूर्व निदेशक कार्तिकेयन थे।
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पुलिस वालों पर चलेगा हत्या का मामला
इस एनकाउंटर में शामिल 10 पुलिस वालों के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाने की अनुशंसा की है। इन 10 पुलिस वालों के नाम हैं।
- श्री वी सुरेंद्र, एसीपी शादनगर
- कोंडा नरसिम्हा रेड्डी, सर्किल ऑफिसर
- के वेंकटेश्वरलू, सब इंस्पेक्टर
- शैक लाल मदार, एसआई
- मोहम्मद सिराजुद्दीन, हेड कांस्टेबल
- धर्माकर जनकीराम, हेड कांस्टेबल
- सैदुपल्ली अरविंद गौड़, पुलिस कांस्टेबल
- बालू राठौड़ और देवर शेट्टी श्रीकांत
चीफ जस्टिस ने कहा,’इसमें गोपनीयता की कोई बात नहीं है। हमारे आदेश पर जांच हुई और कुछ लोगों को दोषी पाया गया और राज्य सरकार रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करे।’
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रिपोर्ट साझा करने का आदेश
हैदराबाद के पास NH-44 पर चारों आरोपियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, उसी राजमार्ग – जहां 27 वर्षीय पशु चिकित्सक का जला हुआ शव मिला था। पुलिस ने दावा किया था कि 27 नवंबर, 2019 को महिला पशु चिकित्सक का अपहरण किया गया था और उसका यौन उत्पीड़न किया गया था और बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी। इसमें कहा गया था कि आरोपी ने बाद में महिला के शरीर को जला दिया था। उच्चतम न्यायालय ने हैदराबाद में पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में चार आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने पर तीन सदस्यीय जांच आयोग की सीलबंद कवर रिपोर्ट साझा करने का आज आदेश दिया और मामले को तेलंगाना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान की इस दलील से सहमति नहीं जताई कि रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा गया है। पीठ ने कहा, “यह मुठभेड़ मामले से संबंधित है। यहां रखने के लिए कुछ भी नहीं है। आयोग ने किसी को दोषी पाया है। हम मामले को उच्च न्यायालय में भेजना चाहते हैं।”
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ज्ञात हो कि, मुठभेड़ की परिस्थितियों की जांच करने के लिए 12 दिसंबर, 2019 को सिरपुरकर पैनल का गठन किया गया था और छह महीने में रिपोर्ट सौंपनी थी। आयोग के अन्य सदस्यों में बॉम्बे हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोंदूर बलदोता और सीबीआई के पूर्व निदेशक डीआर कार्तिकेयन शामिल हैं। जांच पैनल का कार्यकाल अब तीन बार बढ़ाया जा चुका है। इसे पहली बार जुलाई 2020 में छह महीने के लिए बढ़ाया गया था।