आपने सुना तो होगा ही की सर मुंड़वाते ही ओले पड़ना का मतलब वही है कि मुंगेरी लाल के साथ अलीबाबा के 40 चोर की जोड़ी जुड़ जाए। इस बार मुंगेरी लाल हैं प्रशांत किशोर और 40 चोर तो खैर कवि कुमार विश्वास बता ही चुके हैं कि फ्यूज बल्बों की झालर और उसमें भी उनका लट्टू कौन था। इसी क्रम में दिल्ली के कथित मालिक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब उसी अमलीजामा को पहन रहे हैं जो पीके ने देशभर के न जाने कितने नेताओं को पहना दिया है। वो अमलीजामा है पीएम मोदी के विरुद्ध विपक्षी चेहरे का नया विकल्प।
ममता दीदी, शरद पवार और न जाने कितने नेताओं को पीएम मटेरियल बना देने वाले पीके का अगला शिकार केसीआर हैं जिनको अब केजरीवाल का भी साथ मिलता दिख रहा है। ऐसे में सुगबुगाहट तो यह भी हैं कि केजरीवाल हौले हौले ही सही पर तीसरे मोर्चे के साथीदार बन रहे हैं, अर्थात कांग्रेस के धड़े में न जाकर केजरीवाल अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा “तीसरे मोर्चे” में जाकर पूरी करना चाह रहे हैं, और इसका सबसे बड़ा प्रमाण केसीआर से बढ़ रही उनकी नजदीकियां है।
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भारत भ्रमण पर के. चंद्रशेखर राव
दरअसल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भारत भ्रमण पर निकले हैं। कथित राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा पिलाई गई पीएम मटेरियल वाली घुट्टी ऐसे सर चढ़कर बोल रही है कि केसीआर 2024 के आम चुनाव से पहले ही अपना धड़ा मजबूत करने में जुट गए हैं जिससे उनके चेहरे को बतौर पीएम उम्मीदवार आगामी भविष्य में स्वीकृति मिल सके। के. चंद्रशेखर राव ने कल समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव से भी मुलाकात की थी और उनका अगला पड़ाव दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान थे।
किसान आंदोलन में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करने से लेकर उनके परिवारों को सहायता राशि प्रदान करने के बाद अब केसीआर अन्य राज्यों की ओर रुख कर चुके हैं। दिल्ली में पहुंचकर फ्री पुरुष केजरीवाल के तथाकथित “वर्ल्ड क्लास शिक्षा मॉडल” का ज्ञान लेने के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव अपने दौरे के तहत शनिवार को दिल्ली पहुंचे और उन्होंने शनिवार को ही दिल्ली के एक सरकारी स्कूल का दौरा किया और कहा कि उनकी सरकार दिल्ली की तर्ज पर दक्षिणी राज्य में मॉडल स्कूल खोलेगी।
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पीके के ज्ञान पर आगे बढ़ते केसीआर
यही नहीं 26 मई को, के चंद्रशेखर राव बेंगलुरु में पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा से मुलाकात करेंगे। इसके बाद वह अगले दिन सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से मिलने महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि जाएंगे। हाँ ये भी सही है, एक चेला मुख्यमंत्री बन गया तो केसीआर की दूरदर्शिता के अनुसार इतने सालों से राजनीति में होने के कारण वो भी पीएम तो बन ही जाएंगे इसी सोच के साथ मान्यवर अन्ना हज़ारे से मिलने तो जा रहे हैं पर वो शायद यह भूल गए कि राजनीति ने कब अन्ना के साथ राजनीति कर दी थी वो दर्द आज भी अन्ना ले मनोमस्तिष्क से उतरा नहीं हैं। और तो और एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसके बाद वह चीन के साथ गतिरोध के दौरान गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों से मिलने के लिए पश्चिम बंगाल और बिहार जाएंगे। मतलब समय सारणी भी तैयार है और पीके का दिया गया ज्ञान भी केसीआर के सर चढ़कर बोल रहा है।
यूँ तो तेलंगाना में मजबूती से अपनी पकड़ बनाए केसीआर अब राष्ट्रीय राजनीति में अपने लिए एक बड़ा स्थान चाहते हैं, पर शायद वो भूल गए कि ममता बनर्जी भी इसी ख्वाब के तहत एकमात्र विपक्षी चेहरा बनना चाह रही हैं पर जिस हिसाब से टीएमसी आजतक अपने पडोसी राज्यों में निर्णायक भूमिका में नज़र नहीं आई है उसके बावजूद ममता पीएम बनने के ख्वाब देख रही हैं, ऐसा ही हाल अब केसीआर का हो गया है और केजरीवाल इसलिए ही एक गुट के साथीदार बन रहे हैं ताकि बाद में कह सकें कि हमने बयार के बाहर आकर नया गुट बनाने का साहसिक निर्णय लिया था, जानते तो वो भी हैं कि होना जाना कुछ नहीं है।
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