बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नालंदा जिले के अपने पैतृक गांव के दौरे के दौरान शनिवार को 11 वर्षीय बालक ने उनसे अपनी पढ़ाई जारी रखने में मदद करने की गुहार लगाई, क्योंकि उसके अभिभावक उसे नहीं पढ़ाना चाहते हैं। उसने शिक्षा के लिए समर्थन मांगा, क्योंकि सरकारी स्कूल में शिक्षा की गुणवत्ता सही नहीं है। नीतीश कुमार से मदद की गुहार लगाते उस बच्चे की वीडियो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। उसके बाद उस बच्चे से मिलने के लिए मीडिया वालों के साथ-साथ नेता भी टूट पड़ें। लेकिन यह बच्चा तब और ज्यादा सुर्खियों में आ गया जब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने उससे फ़ोन पर बात किया। बच्चे से बातचीत के दौरान तेजप्रताप यादव बच्चे को ज्यादा पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते नजर आए।
तेज प्रताप यादव ने कही यह बात : वीडियो कॉल पर बात करते हुए शुरुआती औपचारिकता के बाद तेज प्रताप ने उस बच्चे से जीवन में उसकी महत्वाकांक्षाओं के बारे में पूछा। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वह किसी कार्यक्रम में जा रहे हैं। जब बच्चे ने उनसे गांव आने पर सवाल पूछा तो तेज प्रताप यादव ने कहा, जब तुम बुलाओगे तब आ जाऊंगा। मैं तुम्हारा फैन हो गया हूं, तुम बहुत बहादुर बच्चे हो और स्मार्ट हो। तुम बिहार के स्टार हो। इसके साथ ही उन्होंने बच्चे से कहा कि वह छात्र शक्ति परिषद को ज्वाइन कर लें।
सोनू ने दिया ऐसा जवाब : वीडियो कॉल पर हो रही बातचीत के दौरान तेज प्रताप यादव ने जब सोनू से सवाल किया कि वह बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? इस पर सोनू की ओर से बताया गया कि वह आईएएस बनना चाहते हैं। इस पर तेज प्रताप यादव ने कहा, ‘जब हम बिहार सरकार में आएंगे, तब तुम मेरे अंडर में IAS बनकर काम करना।’ जिसके जवाब में बच्चे ने कहा कि नहीं सर, हम किसी के अंडर में काम नहीं कर सकते हैं, लेकिन अगर आप मेरी मदद करेंगे तो मैं हमेशा आभारी रहूंगा।
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लालू सरकार की याद दिलाती है तेज प्रताप की बातें
तेज प्रताप यादव की बात 90 के दशक के लालू सरकार की याद दिलाती है। सभी को ज्ञात है कि लालू राज को जंगल राज कहा जाता था। लालू सरकार में प्रशासनिक अधिकारियों में बदहाली के किस्से बहुत ही मशहूर थे। उनके समय में यह व्यापक रूप से माना जाता था कि इन अधिकारियों के पास संवैधानिक रूप से कितना भी अधिकार क्यों न हो, अगर लालू के किसी भी रिश्तेदार की बात इन अधिकारियों ने नहीं माना तो उनका बुरा हश्र किया जाता था। तब लालू का शब्द कानून हुआ करता था और IAS, IPS के साथ-साथ PCS अधिकारियों को भी अपना और अपने परिवारों की रक्षा करने हेतु जी हुजूरी करनी पड़ती थी। सबसे बड़ा केस आईएएस अधिकारी बीबी विश्वास के साथ हुआ था जब लालू यादव के करीबी मृत्युंजय यादव ने उनकी पत्नी चंपा विश्वास के साथ दो साल तक दुष्कर्म किया, लेकिन लालू के करीबी होने के कारण इस मामले को दबा दिया गया था। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा अभी भी इस तरह की बातें कही जाती है।
अपनी विशेषता खोती जा रही है प्रशासनिक सेवा
आज जब अधिकारियों की बात होती है तो संवैधानिक कार्यपालिका और विधायिका के बीच संतुलन वास्तविक जीवन में कम ही देखने को मिलता है। हम में से प्रत्येक की तरह आईएएस और अन्य अधिकारी भी इंसान हैं, विभागों और अपनी नौकरियों के अन्य पहलुओं के बारे में उनकी अपनी प्राथमिकता है। अब यदि वे किसी विशेष विभाग या किसी विशेष स्थान पर स्थानांतरित होना चाहते हैं, तो उनके लिए इसे योग्यता के आधार पर करवाना लगभग असंभव है। उन्हें अपनी पसंद के लिए सत्ता में बैठे राजनेताओं को खुश करना होता है और खुश करने का तात्पर्य तो आप समझ ही गए होंगे!
इसलिए आज प्रशासनिक सेवा अपनी विशेषता खोता जा रहा है। आज अधिकारियों को कठपुतली के रूप में उपयोग किया जाता है। मौजूदा समय में अब अगर तेजप्रताप प्रकरण की बात करें तो उन्होंने जो उस बच्चे से कहा वह आज के प्रशासनिक सेवा का सत्य है। ऐसे में अब आवश्यकता है कि नीति निर्माता अधिकारियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करते हुए नेताओं की चंगुल में फंसे प्रशासनिक सेवा को बाहर निकालने हेतु नीति तैयार करें, जिससे आने वाली प्रशाशनिक पीढ़ी को राजनीति के चंगुल से बचाया जा सके।
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