स्वयं को अमेरिका दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश मानता है। वो सोचता है कि पूरी दुनिया उसी के इशारों पर चलें और जो वो कहें वहीं करें। भारत को भी अमेरिका ने अपने इशारों पर चलाने के बहुत प्रयास किए और रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका, भारत और रूस की दोस्ती में दरार लाने की कोशिश करता रहा। परंतु जब उसके सभी दांव फेल हो गए, तो अब भारत से अमेरिका इतना चिढ़ गया है कि भारत के दुश्मन यानी आतंक परस्त पाकिस्तान की मदद करने से भी पीछे नहीं हट रहा।
दरअसल, पूरी दुनिया इस वक्त पाकिस्तान के ताजा हालातों से परिचित हैं। हर किसी को मालूम है कि आतंकियों को पालने-पोसने वाला पाकिस्तान फिलहाल किस तरह के आर्थिक संकट से जूझ रहा हैं। उसका खजाना खाली होने की कगार पर पहुंच चुका है। इन हालातों में अब अमेरिका, पाकिस्तान का संकटमोचक बनने का प्रयास कर रहा है।
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आर्थिक संकट से जूझ रहे पाक को अमेरिका का साथ
पाई-पाई का मोहताज पाकिस्तान को अपने आर्थिक संकट से निकलने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से “भीख” की दरकार हैं। परंतु लंबे समय से IMF ने पाकिस्तान को सहायता पैकेज अटका रहा था। हालांकि कर्ज के बोझ तले पाकिस्तान को अब थोड़ी राहत मिलने की संभावना हैं। खबर आई है कि पाकिस्तान ने अपने नकदी संकट को दूर करने के लिए IMF के साथ समझौता किया है, जिसके बाद उसका रुका हुआ 6 अरब डॉलर का सहायता पैकेज बहाल हो जाएगा और इसके साथ ही उसके दूसरे अंतरराष्ट्रीय स्त्रोतों से वित्तपोषण के लिए दरवाजे भी खुल जाएंगे।
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक अधिकारियों ने करों से 43,600 करोड़ रुपये और अर्जित करने तथा पेट्रोलियम पर शुल्क को धीरे-धीरे 50 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ाने का वादा किया था। बता दें कि IMF द्वारा जुलाई 2019 में पाकिस्तान को 6 अरब डॉलर का सहायता पैकेज देने पर सहमति दी थीं। हालांकि अब तक पाकिस्तान को इस पैकेज की केवल आधी ही राशि मिल पाई है। तय शर्तों का पालन नहीं करने के कारण IMF ने यह धनराशि बीच में ही रोक दी थीं। हालांकि अब IMF के पैकेज की बची हुई राशि मिलने का रास्ता पाकिस्तान के लिए साफ हो गया है। पैकेज के बहाल होने पर पाकिस्तान को तत्काल एक अरब डॉलर की राशि मिल जाएगी। पाकिस्तान को IMF से यह जो सहायता पैकेज मिलने का रास्ता साफ हुआ है, उसमें अमेरिका का ही सबसे बड़ा हाथ रहा है। क्योंकि इससे पूर्व अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया था कि वो पाकिस्तान की IMF के साथ वार्ता में मदद करेगा। जाहिर तौर पर अमेरिका का IMF पर गहरा प्रभाव रहा है।
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अमेरिका की बौखलाहट साफ नजर आ रही है
सिर्फ इतना ही नहीं अमेरिका तो पाकिस्तान को अपना भागीदार बताते हुए उसके साथ साझेदारी बढ़ाने की भी बात कर रहा है। यह अमेरिका के दोहरे चरित्र को दर्शाता है कि एक ओर तो बाइडेन प्रशासन आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की बातें करता है। अमेरिका द्वारा पूरी दुनिया को आतंकवाद के मुद्दे पर ज्ञान दिया जाता है। तो दूसरी ओर वहीं अमेरिका, पाकिस्तान के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने की भी बात करता है। अमेरिका के इस दोहरे रवैये पर भारत भी अपनी नाराजगी प्रकट कर चुका हैं। बीते दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने एक बयान में अमेरिका पर भड़कते हुए कहा था कि वो पाकिस्तान की मदद कर हमारी समस्याओं को बढ़ा रहा हैं।
वैसे अमेरिका के पाकिस्तान को समर्थन करने के पीछे की वजह कोई और नहीं सिर्फ और सिर्फ उसकी चिढ़ ही नजर आती हैं। अमेरिका देख रहा है कि कैसे उसके तमाम प्रयासों के बावजूद भारत और रूस की दोस्ती बरकरार हैं। यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका पश्चिमी देशों के साथ मिलकर रूस को अलग-थलग करने और भारत को भी अपने पाले में लाने के काफी प्रयास किए। परंतु भारत अपने फैसले पर कायम रहा और अमेरिका के दबाव के आगे झुकने से साफ तौर पर इंकार कर दिया। युद्ध के दौरान भी भारत ने अपना लाभ देखते हुए रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। भारत के इन कदमों से अमेरिका को इस कदर चिढ़ा दिया है कि वो अब भारत के दुश्मन पाकिस्तान की मदद तक करने को तैयार हो गया और ऐसा कर अमेरिका कहीं ना कहीं आंतकवादी को ही बढ़ावा दे रहा है।
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