राज्य सभा के चुनाव जटिल होते हैं. पर, आखिर क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि लोकसभा के चुनाव में आम जनता मतदाता होती है और राज्य सभा के चुनाव में ‘नेताजी’ ही मतदाता होते हैं. जब स्वयं माननीय विधायक जी ही ‘वोट बैंक’ हो तब उन्हें अपने पाले में रखना और जो नहीं हैं उसे अपने पाले में करना काफी पेचीदा काम हो जाता है.
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कर्नाटक का गणित
कर्नाटक में मतगणना के बाद चुनाव अधिकारियों ने बीजेपी नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अभिनेता-नेता जग्गेश और निवर्तमान विधान पार्षद लहर सिंह सिरोया और कांग्रेस के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश को विजयी घोषित किया.
तत्कालीन मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से बयान जारी कर सूचित किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने नतीजे घोषित होने के तुरंत बाद सीएम को फोन किया और मुख्यमंत्री को इस विजयी भूमिका के लिए बधाई दी.
बयान में कहा गया है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी बोम्मई को फोन किया और मुख्यमंत्री को बधाई दी. नड्डा ने कहा- ‘आपकी मेहनत रंग लाई है। आपकी रणनीति सफल साबित हुई है.’ कहते हैं प्रेम का प्रयोग कर आप किसी से बड़े से बड़ा काम करा सकते हैं लेकिन, निरंतर छोटे-छोटे काम कराते रहने के लिए आपको भय का सहारा लेना ही पड़ेगा. बोम्मई ने कर्नाटक में भाजपा विधयाकों को व्हिप और पार्टी आलाकमान के आदेशों से बांधे रखा.
इसके अलावा कांग्रेस और जेडीएस में फूट को हवा दी. चुनाव से पूर्व कुमारस्वामी की जेडीएस कांग्रेस के सामने दूसरी वरीयता के मतों के लिए हाथ फैलाये खडी रही लेताकि 4 सीटों में 1-1 उन दोनों को मिल जाए. लेकिन, बीजेपी के चट्टान जैसे नेतृत्व और समर्पित कार्यकर्ताओं ने पार्टी को तनिक भी विचलित नहीं होने दिया. ऊपर से सिद्धरमैय्या ने जेडीएस के 32 विधायकों को खुला पत्र लिखकर कांग्रेस के मंसूर अली खान के पक्ष में मतदान करने की खुली अपील कर दी जिससे जेडीएस को दो विधायक श्रीनिवास गुब्बी और श्रीनिवास गौड़ा ने क्रॉस-वोटिंग की और तब जाकर कांग्रेस कम से कम एक सीट जीत पायी.
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महाराष्ट्र का गणित
महाराष्ट्र की जीत के हीरो पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस रहे. महाराष्ट्र में दो दशक बाद राज्यसभा चुनाव हुए. कारण- इस बार शिवसेना और भाजपा आमने-सामने थे. 7 उम्मीदवार और मात्र 6 सीट थी. भाजपा ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, राज्य के पूर्व मंत्री अनिल बोंडे और पूर्व सांसद धनंजय महादिक को मैदान में उतारा.
वहीँ महाविकास अघाड़ी ने संजय रावत (शिवसेना), इमरान प्रतापगढ़ी (कांग्रेस) और प्रफुल पटेल (एनसीपी) को मैदान में उतारा. लेकिन, मैदान में उतारने से पहले उन्हें रिसोर्ट में रखा गया. महाविकास अघाड़ी से संजय राउत (शिवसेना), प्रफुल पटेल (एनसीपी) और इमरान प्रतापगढ़ी ( कांग्रेस) की जीत हुई. भाजपा की ओर से पीयूष गोयल और अनिल बोंडे की जीत सुनिश्चित थी. पेंच फंसा शिवसेना के संजय पवार और पूर्व सांसद धनंजय महादिक में. किन्तु, देवेन्द्र फडणवीस के करिश्मे से महादिक जीते.
खुद शरद पवार ने भी कहा कि मैं राज्यसभा चुनाव के नतीजों से हैरान नहीं हूं। चमत्कार इसलिए हुआ क्योंकि बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस निर्दलीय उम्मीदवारों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे। इससे सारा फर्क पड़ा। लेकिन यह सरकार की स्थिरता (महाविकास अघाड़ी) को प्रभावित नहीं करेगा।
इस जीत से गदगद हो राज्यसभा चुनाव पर महाराष्ट्र के पूर्व CM और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि आज हम सभी के लिए बहुत खुशी की बात है कि महाराष्ट्र में राज्यसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के तीनों प्रत्याशी चुनकर आए हैं. पीयूष गोयल को सबसे ज्यादा 48 वोट मिले हैं, अनिल बोंडे को भी 48 वोट हैं. हमारे तीसरे प्रत्याशी भी शिवसेना के संजय राउत से ज्यादा वोट लेकर आए हैं। भाजपा की ताकत आज हमको देखने को मिली है।
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हरियाणा का गणित
हरियाणा: दूसरी वरीयता के वोट आए कार्तिकेय के काम
हरियाणा में सबकी नजरें निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा और कांग्रेस के सीनियर नेता अजय माकन के मुकाबले पर लगी थी। शह-मात का खेल देर रात तक चलता रहा। बीजेपी ने कृष्ण पाल पंवार से दूसरी वरीयता के वोट कार्तिकेय को ट्रांसफर किए जिससे उनकी जीत पक्की हो गई। कार्तिकेय शर्मा को अजय माकन से एक वोट कम मिला था, फिर भी वह हरियाणा से राज्यसभा सांसद होंगे।
शर्मा vs माकन: जीत का गणित समझिए
हरियाणा विधानसभा में राज्यसभा सदस्यों के लिए 90 वोट थे। एक कांग्रेस विधायक का वोट अवैध घोषित कर दिया गया और निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने वोट नहीं डाला। मतलब दो सीटों के लिए कुल 88 वोट बचे। इसमें से बीजेपी के पंवार को 31 वोट मिले थे। माकन को 29 और शर्मा को 28 वोट मिले। फॉर्म्युले के हिसाब से जीत के लिए किसी भी उम्मीदवार को 29.34 वोटों की जरूरत थी। पंवार को पहली वरीयता के 31 वोट मिले थे और 1.66 वोट बाकी बच गए। ये वोट बाद में कार्तिकेय शर्मा को ट्रांसफर किए गए क्योंकि वे उन वोटर्स की दूसरी वरीयता थे जिन्होंने पहली वरीयता पंवार को दी थी। अब कार्तिकेय के 29.66 वोट हो गए और वह चुनाव जीत गए।
कांग्रेस के पास 31 विधायक थे जो माकन को जिताने के लिए पर्याप्त थे। यहां तक कि अब पार्टी से निकाले जा चुके कुलदीप बिश्नोई के क्रॉस-वोटिंग के बावजूद हालात नहीं बदलते। मगर एक कांग्रेस विधायक का वोट अवैध घोषित होने से सारा गणित धरा का धरा रह गया।
राजस्थान का गणित
राजस्थान में कांग्रेस के 3 उम्मीदवार राज्यसभा का चुनाव जीत गए हैं। इसके अलावा बीजेपी के एक उम्मीदवार को जीत मिली है। सभी 200 विधायकों ने शुक्रवार को राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान किया। कांग्रेस ने तीन सीटों के लिए मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सुरजेवाला को उम्मीदवार बनाया था, तीनों ने जीत दर्ज की है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने पूर्व मंत्री घनश्याम तिवारी को अपना आधिकारिक उम्मीदवार बनाया, जिन्हें जीत मिली। हालांकि वह अपने अधिशेष वोटों के साथ निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा का भी समर्थन कर रही थी।
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विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने स्वीकार किया कि एक विधायक ने क्रॉस वोटिंग की है। कटारिया ने कहा कि हम दो सीटों पर कैसे जीत सकते हैं जब हमारे पास बहुमत केवल एक सीट जीतने का है? हमने खोया कुछ नहीं. जहां तक एक विधायक द्वारा क्रॉस वोटिंग का सवाल है पार्टी व्हिप के उल्लंघन पर कार्यवाही करेगी।
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