जब-जब, जो-जो होना है, तब-तब सो-सो होता है। दिल्ली की राजनीति के लिए इससे उपयुक्त कथन फिलहाल नहीं हो सकता है। अब तक नजीब जंग और अनिल बैजल जैसे नॉन-परफार्मिंग उपराज्यपाल झेलने के बाद दिल्ली को सही मायने में एकमुश्त सही निर्णय लेने वाले उपराज्यपाल मिल गए हैं नाम है विनय कुमार सक्सेना।
एक-एक की खबर ले रहे हैं नये LG
इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे दिल्ली के नये LG के रूप में विनय कुमार सक्सेना ‘नायक’ मोड में आ चुके हैं। जानेंगे कि कैसे उन्होंने शपथ लेने के 26 दिन के भीतर ही सीधा मुख्यमंत्री कार्यालय में हो रहे भ्रष्टाचार के विरुद्ध सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे दिया।
मुख्यमंत्री कार्यालय में हो रहे भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए उपराज्यपाल ने उप सचिव और दो उप मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को भ्रष्टाचार के आरोपों में निलंबित कर दिया है।
दरअसल, मुख्यमंत्री कार्यालय में उप सचिव के पद पर तैनात प्रकाश चंद्र ठाकुर, वसंत विहार के एसडीएम हर्षित जैन और विवेक विहार के एसडीएम देवेंद्र शर्मा को निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का आदेश दिया गया है। यह आदेश दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना द्वारा दिया गया है। यह कदम उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस और सरकार के कामकाज में ईमानदारी सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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यही नहीं अपनी कर्तव्यपरायणता को सुनिश्चित करते हुए सक्सेना ने इससे पहले सोमवार को कालकाजी एक्सटेंशन में ईडब्ल्यूएस फ्लैटों के निर्माण में खामियां पाए जाने पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के दो सहायक इंजीनियरों को निलंबित कर दिया था। इन सभी घटनाक्रमों से यह सिद्ध हो रहा है कि जहां कुछ भी झोल दिख रहा है उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना का डंडा वहां चल रहा है फिर चाहे वो मुख्यमंत्री कार्यालय ही क्यों न हो।
अब चूंकि मामला सरकार से जुड़ा था तो “आप” कुछ न बोले ऐसा कैसे हो जाता। अब पूरे घटनाक्रम में कार्रवाई होते देख पार्टी के दूसरे नंबर के नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आए और हमेशा की तरह केंद्र और भाजपा को दोषी ठहराने की नीति का अनुसरण करते दिखाई दिए। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि भाजपा नेता झूठी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं और कहा कि मात्र अपने राजनीतिक एजेंडे की पूर्ति करने के लिए यह बिलकुल ठीक नहीं है। सिसोदिया ने कहा कि, “उपराज्यपाल ने भाजपा नेताओं की फर्जी शिकायतों के आधार पर एसीबी जांच का आदेश देने के लिए सभी कानूनों और मानदंडों को अलग रखा है। अगर एलजी भ्रष्टाचार को रोकना चाहते हैं, तो बीजेपी नेताओं के झूठ को सुनने के बजाय, उन्हें एमसीडी, पुलिस और डीडीए में भ्रष्टाचार का संज्ञान लेना चाहिए।”
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आप के पास एक ही उत्तर है- हमें छोड़ो MCD को देखो
बस जब धरती लगे फटने, तब खैरात लगी बंटने। जब भी राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार पर नकेल कसती दिखती है या कहीं भी संलिप्तता पायी जाती है तो उसका एक ही उत्तर होता है, हमें छोड़ो MCD को देखो। चूंकि एमसीडी में भाजपा 15 साल से शासन में है, तो आम आदमी पार्टी इसी पर हावी होने का प्रयास करती है ताकि खुद पर लगे दागों से पार पा सकें। लेकिन दिल्ली के नये उपराज्यपाल का औचक और तत्काल निर्णय लेने के साथ ही संलिप्त अधिकारियों को निलंबित करना दर्शाता है कि कैसे दिल्ली में अब नायक मूवी के अनिल कपूर जैसा सीएम नहीं बल्कि उपराज्यपाल अवश्य है। निस्संदेह यह निर्णय बड़ा ज़ोर का झटका है उन अधिकारियों के लिए जिनकी भ्रष्टाचार की कोई सीमा ही नहीं है।
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