राजस्थान की सरकार निकम्मी हो गयी है! गहलोत सरकार को देखकर ऐसा लगता है मानों जैसे उसने इस्लामी कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेक दिए हैं. पहले करौली, फिर जयपुर दंगा के बाद अब बूंदी में एक कट्टरपंथी मुसलमान मौलवी ने पैगम्बर के खिलाफ कुछ भी बोलने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी है. कानपुर में झड़प के एक दिन बाद, राजस्थान के बूंदी के एक मुस्लिम मौलवी की वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही थी, जिसमें उसने ‘पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने वालों की जुबान काटने’ की खुली धमकी दी थी. मुस्लिम मौलवी ने आगे कहा कि पैगंबर मोहम्मद के अपमान पर ‘लोगों के हाथ और जीभ काट दी जाएगी, आंखें निकाल ली जाएंगी.’
वीडियो में देखा जा सकता है कि मुस्लिम मौलवी ‘भड़काऊ भाषण’ दिए जा रहा है, जबकि पुलिसकर्मी चुपचाप खड़े हैं. मौलवी ने कहा- “यदि आप पैगंबर मोहम्मद का अपमान करते हैं, तो आपकी जीभ काट दी जाएगी. हम जेल जा सकते हैं, लेकिन हम पैगंबर मोहम्मद का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे.” टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम मौलवी द्वारा वीडियो में ‘खुली धमकी’ जारी करने पर अभी तक किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
https://twitter.com/itsVaibhavSri/status/1533307194816356352?s=20&t=fDdmelAuwk5A6UuXvM6OGw
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ध्यान देने वाली बात है कि मुस्लिम मौलवी का वीडियो उत्तर प्रदेश के कानपुर में सांप्रदायिक हिंसा की पृष्ठभूमि में आया है. कानपुर में शुक्रवार को बाजार बंद को लेकर विभिन्न समुदायों के दो समूहों के बीच हिंसक झड़प हो गई. एक टेलीविजन शो में पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान को लेकर लोगों के समूहों द्वारा दुकानदारों को दुकानें बंद करने के लिए मजबूर करने की कोशिश के बाद हिंसा भड़क उठी.
बीते शुक्रवार की नमाज के बाद शहर के परेड, नई सड़क और यतीमखाना इलाकों में झड़पें हिंसक हो गई. हाल ही में एक टेलीविजन डिबेट के दौरान भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर एक पक्ष द्वारा दुकानों को बंद करने का प्रयास करने पर मुस्लिम समुदाय द्वारा बम फेंके गए और गोलियां चलाई गई.
हालांकि, पैगम्बर मोहम्मद पर किसी भी प्रकार की टिपण्णी पर दंगा करना घोर निंदनीय है, किन्तु उससे भी घोर निंदनीय व्यवस्था की उपस्थिति में इस आराजकता को जायज़ ठहराना है. यह राजस्थान सरकार, पुलिस-प्रशासन और पूरे समाज की सामूहिक विफलता है. यह हमारे धार्मिक असहिष्णुता का प्रत्यक्ष उद्घोष है. इसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है. यह राष्ट्र की एकता और अखंडता को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है. ऐसे में भारतीयता को बचाने हेतु हर उस व्यक्ति को चाहे कोई किसी समाज और धर्मविशेष से ताल्लुक रखता हो ऐसे वक्तव्यों के विरुद्ध विद्रोह कर देना चाहिए, तभी स्थिति में परिवर्तन हो सकता है.
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