भारत ने इथेनॉल सम्मिश्रण से 41,000 करोड़ के आयात बिलों की बचत की है

अब पेट्रोलियम क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर' बनेगा भारत!

modi ji ethenol

source-TFIPOST.in

आज के समय में दुनियाभर के अधिकतर वाहन पेट्रोल-डीजल पर ही चलते हैं, लेकिन आने वाले वक्त में इसमें बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। एथेनॉल को ईंधन (Fuel ) के वैकल्पिक स्रोत के तौर पर देखा जा रहा है, जो भविष्य में ऑटो मोबाइल क्षेत्र में दुनिया में क्रांति लेकर आएगा। भारत भी पेट्रोल में एथेनॉल मिलाकर ईंधन के इस विकल्प को अपनाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। अब इसी एथेनॉल मिश्रण से भारत ने 41 हजार करोड़ रुपये के विदेशी मुद्रा भंडार की बचत कर कर ली है।

दरअसल, भारत ने नवंबर 2022 तक 10 फीसदी एथेनॉल मिश्रण यानी पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा था। लेकिन तय समय से पांच महीने पहले ही यानी जून 2022 में भारत ने अपने इस उपलब्धि को हासिल कर लिया। इससे देश को एक साथ कई फायदे हुए हैं। जैसे 27 लाख टन के करीब कॉर्बन का उत्सर्जन कम हुआ और साथ ही साथ भारत की विदेशी मुद्रा खर्च में, तेल आयात पर भारत के 41,000 करोड़ रुपये की बचत हुई। इन सबके अलावा सम्मिश्रण से 8 वर्षों में किसानों की आय में 40 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने भारत की इस उपलब्धि से जुड़ी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत ने पांच महीने पहले 10 प्रतिशत एथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य को हासिल कर लिया। एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग से देश के लिए विदेशी मुद्रा में 41 हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई। मंत्री ने इसे यह देश के ईंधन आयात और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। इस पहल से किसानों को फायदा हुआ है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अब अगला लक्ष्य 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण हासिल करना है और इसे 2025-26 तक पूरा करने का अनुमान है।

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क्या है इथेलॉन और कैसे किया जा रहा इसका इस्तेमाल?

गन्ने के कचरे से एथेनॉल बनाया जाता है। एक टन गन्ने के कचरे से 11 लीटर एथेनॉल बनता है। एथेनॉल एक तरह का फ्यूल होता है, जिसके इस्तेमाल से कई तरह के फायदे होते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा पर्यायवरण को भी होता है। एथेनॉल के इस्तेमाल से प्रदूषण कम होता है, जो आज के समय में भारत समेत कई देशों की बहुत बड़ी समस्या बना हुआ है। एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर इससे वाहन संचालित किए जा सकते हैं।

अमेरिका, ब्राजील, यूरोपीय संघ और चीन के बाद भारत दुनिया का एथनॉल का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है। दुनियाभर के ऑटो मोबाइल क्षेत्र में एथेनॉल के वाहनों में इस्तेमाल को लेकर चर्चाएं तेज हैं। वहीं कुछ देश तो ऐसे हैं जो इसका काफी प्रयोग भी करते नजर आ रहे हैं। जैसे ब्राजील में आज के वक्त में 40 प्रतिशत गाड़ियां ऐसी हैं, जो 100 फीसदी एथेनॉल पर चलाई जा रही हैं। वहीं बाकी वाहन भी 24 प्रतिशत पेट्रोल के साथ एथेनॉल के मिश्रण पर संचालित किए जा रहे हैं। ब्रिटेन के अलावा स्वीडन और कनाडा में भी एथेनॉल पर गाड़ियां चलाई जा रही हैं।

20% एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य

बात भारत के संदर्भ में की जाए तो मोदी सरकार देश में एथेनॉल के प्रयोग को बढ़ावा देने की कोशिशें में लगातार जुटी हुई हैं। भारत ने 2025 तक 20 प्रतिशत एथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य रखा है। पहले इसे पूरा करने के लिए सरकार ने वर्ष 2030 तक का लक्ष्य रखा था, परंतु फिर इसमें बदलाव किया गया।

नीति आयोग की रिपोर्ट भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण भविष्यवाणी करती है कि 2025 तक 20% इथेनॉल सम्मिश्रण से देश को अपार लाभ मिल सकता है, जैसे प्रति वर्ष 30,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत, ऊर्जा सुरक्षा, कम कार्बन उत्सर्जन, बेहतर वायु गुणवत्ता, आत्मनिर्भरता, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न का उपयोग, किसानों की आय वृद्धि, रोजगार सृजन, और अधिक निवेश के अवसर।

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भारत के लिए क्यों जरूरी?

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश हैं। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी से अधिक तेल का आयात विदेशों से करता हैं। ऐसे में अगर देश में एथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए, तो इससे कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए भारत की निर्भरता कम होगी। साथ ही साथ ईंधन भी सस्ता होगा और लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। एथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है, जो पर्यायवरण के लिए पेट्रोल-डीजल की तुलना में बेहतर विकल्प है। एथेनॉल के इस्तेमाल से किसानों को भी लाभ होता है। यह किसानों को आय का एक अन्य स्त्रोत उपलब्ध कराता है। इससे गन्ने की खेती करने वाले किसानों को लाभ मिलता है। इसके अलावा, अपनी ऊर्जा मांग के लिए विदेशी आयात पर निर्भरता को कम करने से दुनिया में भारत को रणनीतिक लाभ मिलेगा।

 

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