भारत-मिस्त्र की तेजस डील- हिंदुस्तान वैश्विक रक्षा निर्माता बनने की दिशा में बढ़ गया है

रक्षा निर्माण में भारत अब बड़ा खिलाड़ी बनकर सामने आ रहा है!

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Source- TFIPOST.in

वक्त बदलते देर नहीं लगती । कुछ वर्षों पहले का समय ऐसा था, जब भारत अपनी रक्षापूर्ति के लिए दूसरे देशों पर निर्भर हुआ करता था। भारत दुनिया के सबसे बड़े रक्षा आयातकों में से एक था। परंतु अब रक्षा क्षेत्र में भारत केवल आत्मनिर्भर ही नहीं बन रहा, बल्कि इसके साथ ही दूसरे देशों को हथियारों का निर्यात करने का प्रयास कर रहा है। कई देश भारत द्वारा निर्मित हथियारों के मुरीद हो चुके हैं। 42 देशों में आज भारत अपने हथियारों को निर्यात कर रहा है। भारत की ओर से अपने रक्षा उत्पादों का निर्यात लगातार बढ़ाने के प्रयास हो रहा है।

इस बीच भारत की तरफ से मिस्र को भी एक बहुत बड़ा ऑफर दिया गया है। दरअसल, इस वक्त मिस्र को अच्छी गुणवत्ता वाले 70 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता है। द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने मिस्र में हल्के लड़ाकू विमान (LAC) के साथ-साथ हेलीकॉप्टरों के निर्माण के लिए उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने की पेशकश की है। यानी भारत सिर्फ मिस्र को अपने विमान ही नहीं बेचना चाहता, बल्कि इसके साथ ही वो इसके लिए उत्पादन सुविधाएं प्रदान कराने के लिए मिस्र में ही फैक्ट्री खोलने के लिए भी तैयार है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा मिस्र को दिया गया यह ऑफर दोनों देशों की बेहतर के लिए है।

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 मिस्र को भारत का तेजस विमान खरीदने में दिलचस्पी

बता दें कि इस पेशकश से पहले वायुसेना प्रमुख मार्शल वीआर चौधरी पिछले साल नवंबर में मिस्र के दौरे पर गए थे और उन्होंने काहिरा में वायु शक्ति संगोष्ठी और रक्षा प्रदर्शनी में हिस्सा लिया था। वहीं, वर्तमान में भी भारतीय वायुसेना मिस्र की राजधानी काहिरा के पश्चिमी एयरबेस पर एक रणनीतिक नेतृत्व कार्यक्रम में भाग ले रही है। इसमें भारतीय वायुसेना के तीन सुखोई- 30 एमकेआई विमान, दो सी-17 विमान के साथ वायुसेना के 57 जांबाज हिस्सा ले रहे हैं।

ध्यान देने वाली यह है कि मिस्र अपने लिए बेहतरीन लड़ाकू विमान की तलाश में हैं। वर्तमान में वो अमेरिकी और रूसी निर्मित जेट का मिश्रण संचालित करता है। बढ़ते संघर्ष के कारण मिस्र अपनी रक्षा क्षमताओं को मजूबत करने के प्रयासों में जुटा हैं। ऐसे में तेजस हल्के लड़ाकू विमान मिस्र की वायुसेना की सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। तेजस भारत द्वारा विकसित एक हल्का और कई तरह की भूमिकाओं वाला जेट लड़ाकू विमान है। तेजस की खासियत की बात करें तो यह कम ऊंचाई पर उड़कर दुश्मन पर नजदीक से सटीक हमला कर सकता है। दुश्मन के रडार को चकमा देने में भी यह माहिर है। हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मिसाइल दागने में तेजस सक्षम है।

तेजस LCA Mk1A के अलावा HAL ने कई प्रकार के हेलीकॉप्टरों की पेशकश की है, जिनमें एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) शामिल हैं। एक सूत्र ने द इकोनॉमिक्स टाइम्स को बताया- “फिक्स्ड-विंग की आवश्यकता हो या रोटरी-विंग, भारत संयुक्त रूप से वहां उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने की पेशकश कर रहा है। उस क्षेत्र में इस तरह के विमानों की काफी मांग है और मिस्र एक अच्छा बेस होगा।” वैसे मिस्र के अलावा मलेशिया भी भारत का तेजस विमान खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहा है।

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भारत विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर

भारत आज हर क्षेत्र में भारत दुनिया का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है। परंतु यहां ध्यान देने वाली बात भी बात है कि कोई भी देश बिना हथियारों का निर्यात करें, सुपरपॉवर नहीं बन सकता। फिर चाहे वो कोई भी देश हो। केवल आत्मनिर्भर बनकर भारत विश्वगुरु नहीं बन सकता। अगर भारत को भी दुनिया पर अपना दबदबा बनाना है तो उसके लिए बेहद जरूरी है कि वो अधिक से अधिक देशों को डिफेंस से जुड़े उत्पादों का निर्यात करना होगा।

इसके अलावा एक और पहलू देखें तो अगर भारत और मिस्र के बीच यह डील हो जाती है, तो दोनों देशों के बीच संबंध और गहरे हो जाएंगे । ऐसा करने से भारत मिस्र का सबसे विश्वसनीय भागीदार बन सकता है। मिस्र की भारत पर निर्भरता भी बढ़ जाएगी और वो अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत का पक्षधार भी बन सकता है।

वहीं, भारत द्वारा मिस्र को दी गई यह डील दूरदर्शी सोच को परिदर्शित करता है। व्यापक नजरिए से देखा जाए तो यह माना जाता है कि 22वीं शताब्दी अफ्रीका के नाम होगी। आज भले ही अफ्रीका की पहचान गरीबी और हिंसा से होती है। परंतु अफ्रीकी महाद्वीप विकास के एक नए चरण की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में भारत भविष्य को ध्यान में रखकर अफ्रीकी देशों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारी में हैं और मिस्र को दिया गया यह ऑफर इसका उदाहरण हैं।

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