आज के वक्त में योग लोगों की जीवन शैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। बदलते समय के साथ दुनियाभर के लोग योग के महत्व को समझकर इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं। योग के इसी बढ़ते महत्व को देखते हुए पिछले कुछ वर्षों से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मनाया जा रहा है। वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की शुरूआत हुई थी। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाना तो बहुत अच्छा है, क्योंकि योग को लेकर लोगों में जागरुकता लाना भी जरूरी है। परंतु अब बदलते वक्त के साथ योग का महत्व भी बदलने लगा है। योग तेजी से पश्चिमी शैली में बदल रहा है। यहां सवाल यही है कि आज के समय में योग जिस तरीके से आगे बढ़ रहा है क्या इससे मूल में भी योग ही है या योग का वास्तविक मतलब धुंधला पड़ता जा रहा है।
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अब डॉगी योगी से लेकर बीयर योगा तक अस्तित्व में
योग शब्द संस्कृत के युज धातु से बना है जिसका अर्थ जुड़ना, एकजुट होना या शामिल होना है। यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से शरीर, मन और आत्मा को साथ लाने का प्रयास किया जाता है। परंतु आज के समय में योग केवल एक व्यायाम की तरह देखा जाने लगा है। कई लोग शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग करते हैं।
योग भारत तक सीमित नहीं रह गया है, यह अंतरराष्ट्रीय हो चुका है और इसके साथ ही योग का महत्व भी बदलने लगा है। अब योग शारीरिक रूप से फिट और मानसिक रूप से शांत रहने के लिए किया जाता है। आज लोग योग को एक खेल गतिविधि के तौर पर लेने लगे हैं। योग को कई लोगों ने तो अपना व्यवसाय बना लिया हैं। योगा से जुड़े उत्पाद महंगे से महंगे दामों में बेचे जा रहे हैं। योगा मैट, योगा पैंट जैसे तरह-तरह के उत्पाद का इस्तेमाल बड़े स्तर पर लोग कर रहे हैं और इस पर ही कई कंपनियों का व्यवसाय खूब आगे बढ़ रहा है।
योग के बढ़ते महत्व के साथ ही इसके नए और अलग तरीके भी इजाद किए जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर जो लोग अपने कुत्तों से प्यार करते हैं, वो उनके साथ योग कर रहे हैं और इसे नाम दिया गया ‘डॉगी योगा’। इसके अतिरिक्त कुछ लोग निर्वस्त्र योग भी करते हैं, जिसके पीछे का कारण बताया जाता है कि इससे शरीर की कमियों को स्वीकारते हुए आत्ममुग्धता को कम करने में मदद मिलती है। वहीं, आजकल ट्रेंड में ‘बीयर योगा’ भी है। खासतौर पर जर्मनी के बर्लिन में ‘बीयर योगा’ काफी प्रचलित है। इस दौरान लोग योगासन के बीच घूंट-घूंट बीयर पीते हैं। साथ ही मौजूदा समय में जगह-जगह पर योग स्टूडियो खोले जा रहे हैं। बड़ी संख्या में भारतीय युवा भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिसके साथ ही योग का असल महत्व कहीं न कहीं खोने लगा है।
योग पर हावी हो चुका है फैशन
सत्य यह है कि आज उस योग को आगे बढ़ाया जा रहा है, वो असल में योग है ही नहीं। आज के दौर में योग पर फैशन हावी हो चुका है। भारतीय संस्कृति में योग का काफी अलग महत्व है। योग को ऋषि मुनि शरीर, मन और प्राण की शुद्धि के लिए करते थे। आत्मा का परमात्मा से मिलन ही योग माना जाता है। परंतु आज जिस तरह से योग को व्यवसाय बनाया जा चुका है, ‘डॉगी योगा’ जैसे जिन अलग-अलग तरीकों से योग किया जा रहा है, वो भारतीय संस्कृति के अनुसार सही नहीं है। इसके अतिरिक्त लोग आजकल तंग कपड़ों में योग करते नजर आते हैं, जो किसी भी तरह से सही नहीं है।
योग केवल आपको फिटनेस नहीं देता, बल्कि यह शांति पाने का उद्देश्य भी माना जाता है। इसलिए शांत मन और आरामदायक कपड़ों में साथ योग करना ही सबसे बेहतर माना जाता है। इसके अलावा आजकल जिस तरह से बड़े-बड़े स्टूडियो को खोलकर योग किया जा रहा है, वो भी योग करने का गलत तरीका है। ध्यान देने वाली बात है कि प्राचीन काल में साधु संत प्राकृतिक वातावरण में योग करने को महत्व देते थे और इसे ही सबसे अनुकूल माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त की बेला में सूर्य की हल्की किरण और सुबह की शीतल हवा के बीच बैठकर योग करने से हर तरह के विकार दूर होते हैं। सनातम धर्म के अनुसार जो लोग आज भी योग कर रहे हैं, वहीं उत्कृष्ट हैं। अन्य के लिए तो योग केवल फैशन और शारीरिक फिटनेस पाने का एक माध्यम बन चुका है।
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