‘धूर्त नेताओं के लिए “अराजकता” राजनीति में ऊपर चढ़ने की सीढ़ी होती है’ और आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल इसी को सत्य साबित करते नजर आ रहे हैं। केजरीवाल का इतिहास ही रहा है कि वो राजनीति में आगे बढ़ने के लिए अपने करीबियों तक को ठगने से पीछे नहीं हटते।
ऐसे कई उदाहरण योगेंद्र यादव से लेकर प्रशांत भूषण और कुमार विश्वास के तौर पर देखने को मिलते हैं। सूची में अगर अगला नाम दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का हो, तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। केजरीवाल के ताजा बयान से तो ऐसा ही लग रहा है कि अब उनके निशाने पर मनीष सिसोदिया हैं, जिन्हें वो बलि का बकरा बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
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केजरीवाल ने हाल में दिए एक बयान में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की भविष्यवाणी की। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के हवाला केस में गिरफ्तार होने के बाद केजरीवाल ने दावा किया कि अब अगला नंबर मनीष सिसोदिया का है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि सत्येंद्र जैन के बाद अब मनीष सिसोदिया को फर्जी केस में फंसाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।
केजरीवाल ने कहा, “कुछ महीनों पहले ही मैंने केंद्र सरकार द्वारा फर्जी केस में फंसाकर सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार करने की बात कह दी थी। अब उन्हीं सूत्रों के हवाले से ही मुझे जानकारी मिली है कि केंद्र सरकार अब मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कराने वाली है। इसके लिए एजेंसियों को फर्जी केस तैयार करने को कहा गया है।“ इसके साथ ही केजरीवाल ने यह भी सवाल पूछा कि अगर मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन भ्रष्ट हैं, तो ईमानदार कौन होगा?
अब यहां गौर करने वाली बात ये है कि मामला सत्येंद्र जैन से जुड़ा है। गिरफ्तारी सत्येंद्र जैन की हुई, जेल वो गए। तो बीच में आखिर मनीष सिसोदिया कहां से आ गए? ना तो भाजपा की तरफ से और ना ही ईडी ने सिसोदिया से जुड़े किसी मामले का जिक्र किया। फिर क्यों अचानक केजरीवाल, मनीष सिसोदिया की बात करने लगे? कहीं इसके पीछे केजरीवाल का ही तो षड्यंत्र नहीं? कहीं केजरीवाल यह तो नहीं चाह रहे कि वे मौके का फायदा उठाकर मनीष सिसोदिया के पंख कुतर दें?
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भले ही अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष हो, लेकिन अगर राजनीतिक ताकत के हिसाब से देखा जाए तो वे तीसरे नंबर की हैसियत रखते हैं। पंजाब चुनाव में मुख्यमंत्री बनकर भगवंत मान आम आदमी पार्टी में पहले नंबर पर पहुंच गए हैं। भगवंत मान के हाथों में पंजाब जैसे राज्य की कमान आई है, जो दिल्ली की तुलना में कई गुना बड़ा है। मान को केजरीवाल की तरह हर फैसले के लिए उपराज्यपाल का मुंह नहीं ताकना पड़ता। केजरीवाल के पास पुलिस समेत ऐसे अनेक अधिकार नहीं हैं, जो भगवंत मान के पास हैं।
इसके बाद आम आदमी पार्टी में दूसरे नंबर पर मनीष सिसोदिया आते हैं। केजरीवाल एक मुख्यमंत्री तो हैं, लेकिन सिसोदिया के पास केजरीवाल से भी ज्यादा शक्तियां हैं। सिसोदिया इस वक्त एक साथ कई बड़े विभागों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। जिसमें शिक्षा, वित्त, भूमि एवं भवन, सतर्कता समेत सेवाएं, पर्यटन आदि कई विभागों की जिम्मेदारी तो शामिल है ही। इसके अतिरिक्त सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी के बाद अब मनीष सिसोदिया को उनके विभाग का काम भी सौंप दिया गया है।
सत्येंद्र जैन के सभी विभाग स्वास्थ्य, उद्योग, ऊर्जा, गृह, शहरी विकास, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण और जल आदि विभागों की अतिरिक्त जिम्मेदारी को अब सिसोदिया संभाल रहे हैं। इस वक्त सिसोदिया के पास 18 विभागों का जिम्मा हैं।
ऐसे में केजरीवाल को यह डर भी सता सकता है कि आगे आने वाले समय में सिसोदिया कहीं उनकी जगह ना ले लें। ऐसे में अगर सिसोदिया भी जांच के दायरे में आते हैं तो केजरीवाल एक बार फिर विक्टिम कार्ड खेल सकेंगे। इसके अलावा केजरीवाल को मनीष सिसोदिया से उनकी शक्तियां कम करने का भी मौका मिल जाएगा।
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केजरीवाल चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी पर हमेशा उनका ही एकाधिकार कायम रहे। राजनीति के लिए केजरीवाल अपने करीबियों तक का इस्तेमाल कर लेते हैं। प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और कुमार विश्वास तीनों ही अन्ना आंदोलन के वक्त से केजरीवाल के साथ जुड़े थे। लेकिन जब-जब केजरीवाल को अपनी शक्तियां कम होने का खतरा सताया है, तब-तब उन्होंने अपने करीबियों को ही हटाने की तैयारी शुरू कर दी है। 2015 में जब केजरीवाल मुख्यमंत्री बने तो उसके बाद प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। वहीं, 2018 में कुमार विश्वास ने विवाद के बाद पार्टी छोड़ दी।
वैसे मनीष सिसोदिया के जिस केस की बात केजरीवाल कर रहे हैं, वो 3 साल पुराना है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी द्वारा 2 हजार करोड़ रुपए के शिक्षा घोटाले का आरोप लगाया गया है, जिसमें सिसोदिया के भी शामिल होने की बात कही जा रही है। BJP नेताओं ने अपनी शिकायत में कहा था कि सिसोदिया और जैन विद्यालय कक्षाओं एवं भवनों के निर्माण में कथित तौर पर किए गए 2000 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल थे। ऐसे में अब यह देखना होगा कि केजरीवाल की असुरक्षा आम आदमी पार्टी को आगे कहां ले जाती है?
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